लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

मूल्य निवेश क्या है?
मूल्यनिवेश 1928 में डेविड डोड और बेंजामिन ग्राहम द्वारा शुरू की गई एक क्रांति थी। इसने निवेशकों के कंपनियों को देखने के तरीके को बदल दिया और अपनी निवेश रणनीतियों को पूरी तरह से बदल दिया। यह वॉरेन बफेट जैसे व्यापारिक मुगलों द्वारा पूरी लगन से लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान पालन की जाने वाली रणनीति है। इस लेख में, हम देखेंगे कि वास्तव में मूल्य निवेश क्या है, यह अंदरूनी व्यापार से कितना अलग है, कुछ दिशानिर्देश याद रखने योग्य हैं, और मूल्य निवेश के फायदे और नुकसान हैं।
मूल्य निवेश: परिभाषा और सूत्र
यह एक निवेश रणनीति है जिसमें प्रतिभूतियों को खरीदना शामिल है जो उनके नीचे हैंआंतरिक मूल्य यानी कम कीमत। आंतरिक मूल्य का उपयोग करके पता लगाया जाता हैमौलिक विश्लेषण.
आंतरिक मूल्य का सूत्र है:
- चतुर्थ = आंतरिक मूल्य
- ई =प्रति शेयर आय
- जी = अपेक्षित विकास दर
- वाई = दवर्तमान उपज ट्रिपल-ए रेटेड कॉर्पोरेट काबांड
यह एक ऐसी रणनीति है जो मजबूत लेकिन कम कीमत वाली और अलोकप्रिय कंपनियों के कम कीमत वाले शेयरों को खरीदकर भविष्य में होने वाले मुनाफे का फायदा उठाती है।
मूल्य निवेश बनाम इनसाइडर ट्रेडिंग
मूल्य निवेश अक्सर अंदरूनी व्यापार के साथ भ्रमित होता है। हालांकि दो शब्द समान हैं, वे बहुत अलग चीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इनसाइडर ट्रेडिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के गोपनीय रहस्यों की जानकारी रखता है और उस जानकारी का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए व्यापार करने के लिए करता है। इस तरह का व्यापार अवैध है लेकिन अक्सर साबित करना मुश्किल होता है।
दूसरी ओर, मूल्य निवेश पूरी तरह से कानूनी है। ट्रेडिंग सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर की जाती है। निवेशकों को उन पंक्तियों के बीच पढ़ने में सक्षम होना चाहिए जिन्हें आम जनता नहीं देख सकती है। यह दूसरों के सामने स्टॉक में मूल्य देखने की क्षमता है।
मूल्य निवेश के लिए दिशानिर्देश
कंपाउंडिंग की शक्ति का प्रयोग करें
चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति का दोहन करने के लिए मूल्य निवेश एक आदर्श तरीका है। जब आपके मूल्य शेयरों से अर्जित लाभांश और रिटर्न का पुनर्निवेश किया जाता है, तो आपके मुनाफे में वर्षों से जबरदस्त वृद्धि होती है क्योंकि आपके पुनर्निवेशित धन से अपना खुद का उत्पादन होगाआय.
अपने मन की बात मानें
एक मूल्य निवेश रणनीति का पालन करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि झुंड की मानसिकता का पालन न करें। पूरा विचार उन शेयरों को ढूंढना और खरीदना है जिन्होंने अभी तक अन्य निवेशकों का ध्यान नहीं खींचा है।
धैर्य रखें
मूल्य निवेश करते समय याद रखने वाला एक और महत्वपूर्ण पहलू धैर्य रखना है। कंपनी के आंतरिक मूल्य को अनलॉक करने में कुछ समय लगता है।
लॉन्ग टर्म सोचें
चूंकि कंपनी के वास्तविक मूल्य को अनलॉक करने में समय लगता है, इसलिए मूल्य निवेश केवल लंबी अवधि के लिए निवेश करते समय ही किया जाना चाहिए।
अभ्यास
मूल्य निवेश की जरूरत है aइन्वेस्टर कम कीमत वाले शेयरों के ढेर में विजेता की तलाश करने की मानसिकता। भविष्य में कौन से शेयर शानदार रिटर्न देंगे, यह जानने के लिए कुछ अनुभव की जरूरत होती है। इसके अलावा, कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपने शेयरों का गलत आकलन किया हो, जिसके परिणामस्वरूप नुकसान हो सकता है। इन नुकसानों को अपनी प्रगति में लेना सीखें और पिछली गलतियों से सीखें।
मूल्य निवेश के लाभ
बढ़िया स्टॉक, कम दरें
मूल्य निवेश के सबसे बड़े लाभों में से एक ऐसे शेयरों को खरीदना है जो भविष्य में बहुत कम कीमत पर जबरदस्त रूप से बढ़ने वाले हैं। चूंकि अन्य निवेशकों को अभी तक इसकी जानकारी नहीं हैआधारभूत स्टॉक की क्षमता, मूल्य निवेशक इन शेयरों को बहुत कम दर पर खरीद सकते हैं और भविष्य में भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
आजमाई हुई और परखी हुई रणनीति
मूल्य निवेश अब लगभग एक सदी से किया जा रहा है। यह एक सफल निवेश रणनीति साबित हुई है बशर्ते आप सही स्टॉक चुनने की कला जानते हों। एक अनुभवी निवेशक एक बार बड़ा मुनाफा कमा सकता है जब वह जानता है कि उसे अपना पैसा बुद्धिमानी से कहां लगाना है।
तथ्यों के आधार पर
मूल्य शेयरों का निर्धारण मौलिक विश्लेषण के आधार पर किया जाता है। कंपनी और उसके भविष्य की संभावनाओं के गहन अध्ययन के बाद शेयरों का चयन किया जाता है। सट्टा पर आधारित निवेश के बजाय ठोस तथ्यों और शोध पर निवेश करना बेहतर रणनीति है।
मूल्य निवेश के नुकसान
विशाल जोखिम कारक
भविष्य के टर्नअराउंड की उम्मीद में कम कीमत वाले शेयरों में निवेश करना एक बड़ा जोखिम है। गलत आकलन हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप निवेशक को भारी नुकसान हो सकता है।
कम विविधीकरण
चयनित मूल्य स्टॉक किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं, जिसके बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। विविधीकरण की कमी के कारण केवल कुछ केंद्रित क्षेत्रों में निवेश करने से पोर्टफोलियो जोखिम बढ़ जाता है।
लंबा इंतजार
किसी स्टॉक के आंतरिक मूल्य को अधिकतम करने में वर्षों लग सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप निवेशक के लिए लंबी होल्डिंग अवधि होती है। यह भी सुनिश्चित नहीं है कि स्टॉक अपनी पूरी क्षमता तक बढ़ेंगे, भले ही वे इंतजार कर रहे लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान हों, इस प्रकार अनिश्चित रिटर्न के कारण इसे जोखिम भरा बनाते हैं।
मूल्य निवेश उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है जो इसका इस्तेमाल करना जानते हैं। कंपनी और उसकी भविष्य की योजनाओं को पढ़कर धीमी शुरुआत करें। अनुपातों का उपयोग करना सीखें यह जानने के लिए कि वास्तव में क्या हैंबैलेंस शीट कंपनी के लिए मतलब। अपने निवेश में कुछ वास्तविक मूल्य जोड़ने का अभ्यास करें।
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जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Diwali Muhurat Trading पर तगड़ी कमाई करा सकते हैं ये 5 शेयर, जानिए कब खरीदें और कितने में बेचें
इन दिनों शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. दिवाली के दिन मुहूर्त ट्रेडिंग से अगर आप मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इन 5 शेयरों पर दाव लगा सकते हैं. इनमें आईसीआईसीआई बैंक और बीएसई जैसे शेयर भी शामिल हैं.
शेयर बाजार (Share Market) के लिए पिछला हफ्ता बहुत ही शानदार रहा. पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 1387 अंकों की तेजी देखने को मिली है. हालांकि, उससे पहले के हफ्तों में शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था. त्योहारों के चलते इस महीने में शेयर बाजार कई दिन बंद रहेगा. इसी बीच कई लोगों के मन में ये सवाल भी है कि क्या दिवाली (Diwali) को शेयर बाजार बंद रहेगा (Share Market on Diwali) या फिर उस दिन मार्केट खुलेगा? आपको बता दें कि 24 अक्टूबर को दिवाली पर छुट्टी की वजह से सामान्य घंटों में तो शेयर बाजार बंद रहेगा, लेकिन शाम तो 1 घंटे की मुहूर्त ट्रेडिंग (Diwali Muhurat Trading) के लिए खुलेगा. ऐसे में तमाम निवेशक चिंता में हैं कि किस शेयर पर दाव लगाया जाए, ताकि मुनाफा कमाया जा सके. आइए शेयर इंडिया सिक्योरिटीज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च हेड रवि सिंह से जानते हैं मुहूर्त ट्रेडिंग में कौन से टॉप-5 शेयरों पर दाव लगाकर आप कर सकते हैं तगड़ी कमाई.
1- KPIT Technologies देगा मुनाफा
मुहूर्त ट्रेडिंग में शेयर बाजार से मुनाफा कमाने के लिए KPIT Technologies का शेयर शानदार साबित हो सकता है. रवि सिंह ने इसे 710 रुपये पर खरीदने की सलाह दी है. उनका मानना है कि 725 रुपये का टारगेट रखकर आप इस शेयर में निवेश कर सकते हैं. साथ ही आपको 700 रुपये का स्टॉप लॉस लगाना चाहिए, ताकि नुकसान से बचा जा सके.
2- Gujarat Gas भी है फायदे का सौदा
अगर आप चाहें तो अपने पोर्टफोलियो में Gujarat Gas को भी शामिल कर सकते हैं. अगले हफ्ते Gujarat Gas फायदे का सौदा साबित हो सकता है. रवि सिंह की सलाह है कि Gujarat Gas को 500 रुपये स्तर पर खरीदा जा सकता है. Gujarat Gas के लिए टारगेट 520 रुपये का रहेगा, जबकि स्टॉप लॉस 495 रुपये पर लगाना चाहिए.
3- ICICI Bank पर खेल सकते हैं दाव
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के इस माहौल में आप ICICI Bank पर भी दाव लगा सकते हैं. ये कंपनी भी आपको मुनाफा दिलाने की ताकत रखती है. शेयर इंडिया की सलाह है कि इस शेयर को 905 रुपये पर खरीदा जाए. इसके लिए टारगेट 935 रुपये का दिया गया है, जबकि स्टॉप लॉस 890 रुपये का तय किया गया है.
4- BOB के शेयरों में करें निवेश
मुहूर्त ट्रेडिंग BOB के शेयरों के लिए भी शानदार साबित हो सकती है. रवि सिंह ने इसे 142 रुपये के लेवल पर खरीदने की सलाह दी है. इसके लिए टारगेट 150 रुपये रखा गया है और स्टॉप लॉस आप 140 रुपये पर लगा सकते हैं.
5- BSE में लगाएं पैसे
अगर आप चाहें तो BSE में भी पैसे लगा सकते हैं. इसे शेयर इंडिया की तरफ से 580 रुपये पर खरीदने की सलाह दी जा रही है. BSE का टारगेट प्राइस 598 रुपये है, जबकि स्टॉप लॉस 575 रुपये रखा गया है.
रवि सिंह बताते हैं कि इन सभी कंपनियों के टेक्निकल काफी मजबूत है और लॉन्ग टर्म मूविंग एवरेज का सपोर्ट भी मिल रहा है. ऐसे में अगर आप इन शेयरों में पैसे लगाते हैं तो मुनाफे का चांस काफी अधिक है. कोशिश करें कि अपने पोर्टफोलियो में इनमें से कुछ शेयर शामिल करें, जिससे आपकी कमाई बढ़ सके.
(इस आर्टिकल में दी गई सलाह शेयर बाजार के एक्सपर्ट रवि सिंह की है. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Diwali Muhurat Trading: जानिए क्या होती है मुहूर्त ट्रेडिंग, क्यों इस दिन हर कोई चाहता है शेयर खरीदना!
कैसे पाएं शेयर में लॉस पर काबू और समझिये स्टॉक मार्किट सपोर्ट लेवल
सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।
कागजी नहीं रियल घाटे को पहचानें (Understand about Real Loss no paper loss)
सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि किसी ट्रेड में नुकसान होता क्यों है? सीधा जवाब है- शेयर का बाजार मूल्य आपके खरीद भाव के नीचे चला गया। लेकिन गौर से देखें तो यह जवाब पूरी तरह सही नहीं है। मान लीजिए कि आपने 100 रुपए में कोई शेयर खरीदा। उसका भाव गिरकर 99 रुपए हो गया। ऐसे में आपके ट्रेडिंग एकाउंट लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान में प्रति शेयर एक रुपए का घाटा दिखेगा, लेकिन अभी यह घाटा सिर्फ कागज पर है। यह रियलाइज्ड नहीं हुआ है। रियलाइज्ड का अर्थ है कि अभी आपने इस घाटा सहते हुए अपने शेयर को बेचा नहीं है। आप इंतजार कर रहे हैं कि कीमत फिर चढ़ेगी। शेयर का भाव जब 100 रुपए से ऊपर जाएगा, तब आप उसे फायदे में बचेंगे। इस तरह वह लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान घाटा सिर्फ एकाउंट में है, वास्तविकता में नहीं। लॉन्ग टर्म निवेशक तो इस तरह की हलचल पर ध्यान भी नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि लॉन्ग टर्म में 100 रुपए में खरीदा शेयर, 90 रुपए पर जाकर भी वापस लौट सकता है और कुछ महीनों या एक साल बाद 125 रुपए में बिक सकता है। लेकिन आप अगर शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको ज्यादा चौंकन्ना होने की जरूरत है, क्योंकि आपने ट्रेडिंग का जो तरीका चुना है, उसमें शेयर को होल्ड करने के लिए वक्त ज्यादा नहीं है।
भाव गिरने पर घबराएं नहीं (Don;t Fear while price decreasing)
आम तौर पर नए ट्रेडर लॉस की सूरत में एक बड़ी गलती करते हैं। अगर किसी शेयर की कीमत 100 से गिरकर 98 रुपए हो जाती है। तो अनाड़ी ट्रेडर का संतुलन बिगड़ने लगता है। वह एक साथ डर और लालच दोनों मनोभावों से ग्रस्त हो जाता है। डर का मतलब है कि उसे लॉस बुक करने में घबराहट होती है। वह जानता है लॉंग टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान कि स्टॉप लास 98 के आस पास है, लेकिन वह नुकसान के डर के मारे स्टॉप लॉस नहीं लगाता है। लालच का मतलब है कि उसे लगता है गिरते हुए शेयर को पकड़ कर वो मोटा मुनाफा कमा सकता है। उसे लगता है कि 98 तक गिरने के बाद शेयर वापस चढ़ेगा। इसलिए वह 98 के भाव पर एक बार फिर उसे खरीद लेता है। अब उसका औसत भाव 99 हो गया है। गौर करने लायक बात यह है कि 98 पर खरीद के पीछे उसके पास कोई सुनिश्चित आधार नहीं है। उसने जो सोचा है, बाजार उसके विपरीत करवट लेता है। शेयर और गिरकर 96 पर चला जाता है। वह अनाड़ी ट्रेडर थोड़ा और डरता है, उसका लालच एक बार फिर हावी होता है। ऊपर लिखी मानसिक प्रक्रिया दोहराते हुए वह एक बार फिर उसी शेयर को खरीद लेता है। अपनी बची खुची पूंजी भी उसमें झोंक देता है। लेकिन इस बार भी उसकी खरीद के बाद शेयर के गिरने का सिलसिला जारी रहता है, वह 95 पर पहुंच जाता है। अब ट्रेडर के पास न तो पूंजी बची है, और न ही धैर्य। वह अपने मूल स्टॉप लॉस के मुकाबले ज्यादा नुकसान सहते हुए उसे बेचता है।
इसलिए सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)
आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र
1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\