क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं?

बिटकॉइन करेंसी पर कोई भी सेंट्रलाइज कंट्रोलिंग अथॉरिटी नहीं है. आज बिटकॉइन काफी पॉपुलर इसलिए है क्योंकि इसे मुद्रा शक्ति उन हजारों लोगों से मिलती है जिनके पास विशेष कंप्यूटर है जो नेटवर्क को इतना शक्ति संपन्न बनाते हैं कि नेट पर विनिमय सुरक्षित हो और लेनदेन की जांच करते रहते हैं, इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है. बिटकॉइन के पूरे सौदे की चेन को आप पूरी निजता बनाए हुए देख सकते हैं.
क्रिप्टो करेंसी राष्ट्र और राष्ट्रवाद के लिए कितना बड़ा खतरा? जानिए- अपने नफे-नुकसान की बातें
By: मृत्युंजय सिंह | Updated at : 04 Mar 2020 02:28 PM (IST)
नई दिल्ली: क्रिप्टो करेंसी पर आरबीआई ने साल 2018 में बैन लगाया था जिसे आज सुप्रीम कोर्ट ने हटाने का फैसला किया है. क्रिप्टो करेंसी के चलन से से क्या देश और दुनिया की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा यह सवाल उठने लगा है. क्या क्रिप्टो करेंसी राष्ट्रवाद के लिए भी खतरनाक है?
आज दुनिया में ऐसी सैकड़ों हजारों वेबसाइट और कंपनियां है जो बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में स्वीकार कर रही है. दुनिया के भौतिक बाजार आजकल इंटरनेट पे और इंटरनेट हमारे मोबाइल पे आ गया है. लोग अपने खरीददारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभाषी माध्यम मोबाइल इंटरनेट से कर रहें हैं और नकदी कि जगह वर्चुअल वैलट रखने लगे हैं.
आर्थिक विशेषज्ञ पंकज जायसवाल के मुताबिक, ''आज भी कई लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है लेकिन उन लोगों की संख्या अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ सेल फोन है और यह इंटरनेट के माध्यम से व्यापार नहीं कर सकते. मोबाइल इंटरनेट, लॉयल्टी पॉइंट, रिवार्ड पॉइंट और वैलट की विचारधारा ने बिटकॉइन कि विचारधारा को इन्फ्रा सपोर्ट किया है क्योंकि इसने राज्य प्रतिष्ठान कि अनिवार्य मान्यता को हटा कर सिर्फ एक सूत्र वाक्य को पकड़ा है वह है जन स्वीकार्यता और हमें ले गया है उस दौर में जब विनिमय के लिए मानवों ने देश कि सीमाओं के रूप में बड़ी रेखाएं नहीं खींची थी. बिना राज्य प्रतिष्ठान कि गारंटी, केन्द्रीय बैंक के नियमन के भी आप आभाषी दुनिया में बिटकॉइन की वजह से लेन देन कर सकते हैं क्योंकि बिटकॉइन पर किसी व्यक्ति विशेष सरकार या कंपनी का कोई स्वामित्व नहीं होता है."
Cryptocurrency Market News : क्यों क्रिप्टोकरेंसी का चल रहा है बुरा समय? जल्द ही 25% और गिर सकता है बिटकाॅइन
Cryptocurrency News : क्या शुरू हो गया है क्रिप्टोकरेंसीज का बुरा दौर
- आने वाले हफ्तों में 25% और गिर सकता है बिटकॉइन
- क्रिप्टोकरेंसी के लिए सही नहीं है यह समय
- बाजार में लिक्विडिटी की कमी से डिजिटल एसेट्स पर बुरा असर
एक साल में 75% गिरा बिटकॉइन
कुल मिलाकर बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए यह काफी बुरा समय चल रहा है। सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की वैल्यू एक साल में 75 फीसदी से अधिक गिर गई है। हालांकि, मंगलवार को यह बढ़त के साथ 16,675 डॉलर के करीब ट्रेड करती दिखाई दी। कोरोना महामारी के समय लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में जमकर पैसा लगाया था। इसका कारण था अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा बाजार में जमकर लिक्विडिटी लाना। फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को जीरो के करीब ले आया था। लेकिन अब यह काफी पुरानी बात हो गई है।
Cryptocurrency : कितना सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क? पढ़ें
Cryptocurrency Investment : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के जबरदस्त लाभ और अपने खतरे भी हैं.
Cryptocurrency का क्रेज़ अब इलॉन मस्क और जैक डॉर्सी जैसे बड़े बिजनेसमेन से लेकर आम निवेशकों के बीच साफ दिख रहा है. हमारा भविष्य डिजिटल की दुनिया में होगा, इस विचार को काफी बड़े स्तर पर अपनाया जा रहा है, लेकिन एक मूलभूत सवाल रह जाता है- क्या क्रिप्टोकरेंसी एक सुरक्षित निवेश का माध्यम (Crypto Investment) बन सकती है? हां, क्रिप्टो कॉइन्स में निवेश से ज्यादा रिटर्न मिलता है, लग गए तो ज्यादा प्रॉफिट है, लेकिन इसमें उतना ही खतरा भी है, बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है और मार्केट (Cryptocurrency Market Today) कभी-कभी अचानक से क्रैश भी हो सकता है. ऐसे में ये कैसे तय करें कि इसमें निवेश करना चाहिए या नहीं.
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सबसे पहले आपको ये बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत में कानूनी वैधता नहीं मिली हुई है. नहीं, ऐसा नहीं है कि क्रिप्टो में निवेश अवैध है, ऐसा नहीं है. लेकिन, यह कोई लीगल टेंडर नहीं है, इसपर कोई सरकारी रेगुलेशन नहीं है और अधिकतर देशों में यही स्थिति है. इन्हें ऑनलाइन माइनिंग करके जेनरेट किया जाता है, अधिकतर जेनरेशन प्राइवेट होते हैं और इन कॉइन्स से ट्रांजैक्शन और मॉनेटरी सिस्टम में कितनी अस्थिरता आ सकती है, इसपर भी कोई साफ तस्वीर नहीं है. शायद इसलिए भी भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वो अपना खुद का क्रिप्टो कॉइन चरणबद्ध तरीके से लॉन्च कर सकता है.
क्रिप्टो कॉइन में निवेश करना अवैध नहीं है और देश में पहले ही बहुत से ऑनलाइन क्रिप्टो एक्सचेंज काम कर रहे हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज पर क्रिप्टो ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट होती है.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लाभ
सबसे पहली बात, क्रिप्टोकरेंसी में निवेश आपको, बाकी के हमारे ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट टूल्स या निवेश के माध्यमों से कहीं ज्यादा बेहतर रिटर्न दे सकता है. इस साल के पहले चार महीनों में क्रिप्टो बाजार ने ऐतिहासिक तेजी देखी है. इस दौरान निवेशकों ने जबरदस्त पैसा बनाया. इसे आंकड़ों में समझिए. दुनिया की सबसे पॉपुलर और सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने वित्त वर्ष 2020-21 में 800 फीसदी का रिटर्न दिया है. अप्रैल, 2020 में यह 6,640 डॉलर के रेट पर ट्रेड कर रहा था और फिर एक साल की अवधि में यानी अप्रैल, 2021 तक यह 65,000 डॉलर पर पहुंच गया. बिटकॉइन के अलावा और भी कई अन्य क्रिप्टो कॉइन्स में जबरदस्त उछाल आई और निवेशकों ने बढ़िया रिटर्न कमाया.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खतरे
इस साल अप्रैल में बाजार ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा था. लेकिन अप्रैल के अंत में क्रिप्टो मार्केट क्रैश हो गया. अधिकतर करेंसी की वैल्यू गिर गई. बिटकॉइन $30,000 के अंदर आ गया. हालांकि फिलहाल यह $40,000 के लेवल तक रिकवर कर चुका है.
ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टो कॉइन्स बहुत ही ज्यादा वॉलटाइल यानी उतार-चढ़ाव का शिकार होती हैं और निवेश के पैसे डूबने का खतरा रहता है. दूसरी कमी यह है कि आप क्रिप्टोकरेंसी को हर जगह फ्लैट करेंसी यानी कि रुपया, डॉलर वगैरह की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. फिलहाल ऐसी बहुत कम जगहें हैं, जहां आप क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकें यानी कि इसे रुपये के अल्टरनेट की तरह इस्तेमाल कर सकें. ऊपर से इसपर कोई सरकारी रेगुलेशन नहीं है, तो वो किसी अप्रत्याशित स्थिति को न्यौता दे सकता है.
एक और चीज है, क्रिप्टो मार्केट को बड़े बिजनेसमेन और इलॉन मस्क जैसे टेक टाइकून्स लोग प्रभावित करते हैं. इलॉन मस्क पहले बिटकॉइन को सपोर्ट करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने डॉजकॉइन को समर्थन देना शुरू कर दिया. इससे डॉजकॉइन की कीमतें उछल गईं.
Cryptocurrency: क्रिप्टोबाजार में गिरावट का दिखने लगा असर, इन कंपनियों में बड़े पैमाने पर शुरू हुई छंटनी
ग्लोबल बाजारों में क्रिप्टोकरेंसी में पिछले कुछ समय से चल रही कमजोरी का असर अब कंपनियों के पे रोल पर भी पड़ रहा है। जहां एक ओर डिजिटल करेंसी में गिरावट के कारण निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा है वहीं दूसरी ओर क्रिप्टो के कारोबार से जुड़ी कंपनियों में छंटनी का दौर भी शुरू हो गया है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक ब्लॉकचेन ट्रेडिंग और लेंडिंग क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म ब्लॉकफाई ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया है कि कंपनी ने अपने कुल 850 कर्मचारियों में से 20 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। कंपनी के इस फैसले से लगभग 200 लोगों की नौकरी जा सकती है।
विस्तार
ग्लोबल बाजारों में क्रिप्टोकरेंसी में पिछले कुछ समय से चल रही कमजोरी का असर अब कंपनियों के पे रोल पर भी पड़ रहा है। जहां एक ओर डिजिटल करेंसी में गिरावट के कारण निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा है वहीं दूसरी ओर क्रिप्टो के कारोबार से जुड़ी कंपनियों में छंटनी का दौर भी शुरू हो गया है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक ब्लॉकचेन ट्रेडिंग और लेंडिंग क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म ब्लॉकफाई ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया है कि कंपनी ने अपने कुल 850 कर्मचारियों में से 20 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है। कंपनी के इस फैसले से लगभग 200 लोगों की क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? नौकरी जा सकती है।
ब्लॉकफाई (BlockFi) के सीईओ जैक प्रिंस ने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए अपने कर्मियों को कंपनी से निकालने की बात कही है। आपको बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में पिछले साल नवंबर में जबरदस्त तेजी दिखने के बाद गिरावट का दौर शुरू हो गया था। अब बाजार का हाल यह है कि बिटकॉइन जैसी सबसे प्रचलित करेंसी भी टूटकर 20000 डॉलर के नीचे आ गई है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज में भी लगातार गिरावट देखने को मिली है।
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई क्रिप्टो बाजार के खतरे क्या हैं? फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.