डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?
आजकल एक नया टर्म क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। और सभी लोग इसके बारे में जानना चाहते है धीरे धीरे कुछ लोग इस टर्म से परिचित भी हो गए है। पर ज्यादातर लोग अब भी इसे जानने की, समझने की कोशिश कर रहे हैं। तो आज हम इस पोस्ट में इसी के बारे कुछ जानकारी दे रहे है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है ?|Cryptocurrency :-
-क्रिप्टो शब्द का अर्थ है छुपा हुआ, सिक्रेट, राज। और इसी शब्द से बना है क्रिप्टोकरेंसी।
-क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है। जो की ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसे हम छू नही सकते, हाथ में पकड़ नही सकते। जैसे की हम रुपए पैसों को छू सकते है हाथ में पकड़ सकते है। लेकिन डिजिटल करेंसी को नहीं छू सकते है। क्योंकि यह एक तरह के डिजिटल कोड होते है जो कुछ स्पेशल कंप्यूटर्स पर बहुत ही जटिल तरीके से तैयार किए जाते है। जिसे डिकोड कर पाना लगभग नामुमकिन है।
अतः हम यह कह सकते है की क्रिप्टोकरेंसी एक तरह के कंप्यूटर प्रोग्राम से जो कोड, एल्गोरिथम बनते है। उन्हे कहते है। लेकिन इसकी वैल्यू होती है। इसे खरीदा, बेचा जा सकता है।
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Bitcoin |
- यह एक अनरेगुलेटेड शेयर मार्केट की तरह है। क्योंकि इसके ऊपर कोई अथॉरिटी नियंत्रण करने के लिए नही है। यह किसी भी केंद्रीय बैंक या किसी देश की सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है। या आसान भाषा में कहे तो इसके प्रति किसी की कोई जवाबदेही नही होती है। यह डिसेंट्रलाइज्ड है। यह कंप्यूटर पर ही जनरेट होती है और कंप्यूटर पर ही नेटवर्क के थ्रू दुनिया डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है। जैसे इंटरनेट से आज हर कोई कही से भी जुड़ सकता है ठीक वैसे ही।
- इसीलिए इसमें बहुत ज्यादा रिस्क भी है। क्योंकि इसके दाम खरीदारों के हिसाब से अचानक से बहुत अधिक बढ़ जाते है तो वही अचानक से बहुत नीचे भी गिर जाते हैं।
- आज मार्केट में कई तरह की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद है। जैसे -
- बिटकॉइन
- लाइटकॉइन
- पोलकाडॉट
- इथीरियम
- चेनलिंक
-ये सभी क्रिप्टोकरेंसी है जिनमे से बिटकॉइन इस वक्त की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में सामने आ रही है। इसकी कीमत भी सबसे ज्यादा है।
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Cryptocurrency |
बिटकॉइन क्या है| Bitcoin kya hai :-
-बिटकॉइन एक तरह कि क्रिप्टोकरेंसी ही है। अर्थात यह एक डिजिटल करेंसी या आभासी मुद्रा है। जो की ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है।
-बिटकॉइन को 2008 में सातोशी नाकामोतो (यह एक व्यक्ति है या समूह है, इसकी जानकारी नहीं है) ने बनाया था। और 2009 में इसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में लॉन्च किया गया था। उन्हे इसका फाउंडर माना जाता है।
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Bitcoin |
-बिटकॉइन की सबसे छोटी यूनिट को सातोशी कहा जाता है। जैसे एक रुपए में 100पैसे होते है ठीक वैसे ही 1 बिटकॉइन में 10 करोड़़ सातोशी होते है। इसलिए बिटकॉइन खरीदते समय जरूरी नहीं है की पूरा एक बिटकॉइन खरीदा जाए। इसकी छोटी यूनिट भी खरीद सकते है।
-बिटकॉइन की ओर लोगों का रुझान इसलिए भी ज्यादा हो रहा है क्योंकि इसके किसी भी तरह के लेनदेन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? में किसी बैंक, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या किसी अन्य चैनल या माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि इसका ट्रांसेक्शन सीधे peer to peer Network अर्थात लोग एक दूसरे से सीधे लेन देन कर सकते है। इसे ऐसे समझे की यदि एक व्यक्ति (A) है वो दूसरे व्यक्ति (B) को एक बिटकॉइन बेचता है तो वो सीधे A के वॉलेट से B के वॉलेट में ट्रांसफर हो जायेगा, इसके लिए किसी बैंक या थर्ड पार्टी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी है।
बिटकॉइन वॉलेट क्या है:-
बिटकॉइन क्योंकि एक डिजिटल करेंसी है इसलिए इसको सिर्फ electronically स्टोर किया जा सकता है इसके लिए एक वॉलेट की जरूरत होती है जिसे हम bitcoin wallet कहते है। बिटकॉइन वॉलेट कई तरह के होते है जैसे - ऑनलाइन क्लाउड वॉलेट, mobile wallet, web based wallet etc.
इनमें से किसी एक वॉलेट का प्रयोग कर उसमे account क्रियेट करते है। और हमे एड्रेस के रूप में एक unique ID प्रदान की जाती है। इन वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर कर सुरक्षित रखा जा सकता है।
बिटकॉइन माइनर क्या है:-
बिटकॉइन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसलिए जब भी किसी प्रकार का transaction या लेनदेन होता है तो वो सारे प्राइवेट कंप्यूटर का नेटवर्क जो इस काम में लगे हैं वो सभी काम करना शुरू कर देते है। कुछ मेथेमेटिकली इक्वेशन या क्रिप्टोग्राफिक puzzles होते है उन्हे सॉल्व करने में लग जाते जब तक की ट्रांसेक्शन कंपलीट नही हो जाता है। उसके बाद other नोड पर इसका वेरिफिकेशन होता है और फिर इस ब्लॉक को प्रोसेस कमप्लिट होने के बाद दूसरे ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है। इस तरह ये ब्लॉक चेन बढ़ती जाती है। जो लोग ये काम करते है उन्हे माइनर कहते है। उन्हे इस काम के बदले में कुछ रिवार्ड मिलता है।
इस तरह जो भी transaction होते है उनका रिकार्ड एक पब्लिक Ledger में दर्ज हो जाता है। ये ब्लॉक होते है। क्योंकि यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसलिए सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े रहते है। और यह रिकार्ड एक कंप्यूटर पर नही बल्कि सभी कंप्यूटर पर इनक्रिप्टेड फार्म में स्टोर हो जाते है।
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Block chain |
क्रिप्टोकरेंसी को कैसे खरीदा बेचा जाता है:-
क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और बेचने के लिए कई क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफार्म है जैसे :- Wazirx, CoinDCX GO, Zebpay, Coinswitch Kuber. जिनके जरिए इन क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन को खरीदा और बेचा जा सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान:-
- किसी भी प्रकार का केंद्रीय नियंत्रण न होने से इनका उपयोग गैर कानूनी कार्यों में भी किया जा सकता है।
DeFI कैसे करती है काम? यह क्या है और कितनी सुरक्षित है, जाने इसकी पूरी डिटेल
बिजनेस डेस्कः DeFI एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है। इसमें यूजर्स को कई सुविधाएं मिलती है। इसमें क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा है। सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन DeFI है। इसे बैंकिंग सिस्टम की तौर पर समझा जा सकता है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है। बैंकिंग सिस्टम लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी पर डेफी आपको आपकी संपत्ति का पूरा हक देता है। मतलब बिना किसी लिमिट और बिना किसी दखल के आप पैसे निकालने, उधार लेने और पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।
DeFi का क्या है महत्व
- DeFi लेनेदेन के लिए किसी भी थर्ड पार्टी या फिर ब्रोकर पर भरोसा नहीं करती है। इसमें कोई सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी नहीं शामिल होता है। इसका पूरा लेनदेन एक अलग टेक्नोलॉजी के माध्यम से होता है। वह एल्गोरिदम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी है।
- फंड्स को तुरंत ट्रांसफर किया जा सकता है। लेनदेन की दरें पुराने बैंकिंग सिस्टम की तुलना में कम होती हैं। यूजर्स की तरफ से DeFi पर किए जाने वाले सभी लेनदेन एक डेटाबेस में स्टोर होते हैं, जिसे हर कोई देख सकता है। इससे लेनदेन करने में ज्यादा पारदर्शिता रहती है। केंद्रीय वित्तीय एजेंसियां इसमें दखल नहीं देती है।
- DeFI लोगों के लेनदेन को सरेआम नहीं करती है। इसमें केवाईसी की जरूरत भी नहीं होती है। यूजर्स के प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखती है। एक क्रिप्टो वॉलेट से आप डेफी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने लग जाएंगे।
कैसे होते हैं साइबर हमले
DeFi में हमेशा एक ओपन सोर्स कोड मौजूद रहता है। इसके प्रोटोकॉल हमेशा पढ़ सकते हैं। लेकिन इसमें बदलाव हो सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा लेते हैं। कोड में खामियों का फायदा उठाकर फ्रॉड कर लेते हैं। DeFI की सुरक्षा में हुई खामियों को नहीं जांचा जा सकता है। इससे हैकर्स आसानी से निशाना बना सकते हैं।
दो तरह के होते हैं साइबर हमले
- वर्ष 2021 में 'Rug Pull' का मामला सामने आया था। इसमें 36 फीसदी लोगों को 2.8 बिलियन डॉलर (लगभग 280 करोड़ रुपये) से ज्यादा का घाटा हुआ था। Rug Pull एक मैलेशियल प्रैक्टिस है। इसमें क्रिप्टो डेवलपर्स एक प्रोजेक्ट को छोड़ देते हैं और इन्वेस्टर्स के फंड को लेकर भाग खड़े होते हैं।
- हैकर्स ने DeFi प्रोटोकॉल में एक बग की पहचान कर ली है। जो सभी क्रिप्टो वॉलेस तक एक्सेस हासिल कर DeFi से पैसे उड़ा ले जाते हैं।
- DeFi प्लेटफॉर्म पर बाहरी खतरों का रिस्क होता है। डेटा ब्रीच के कारण ऐसा होता है।
DeFi की सुरक्षा कैसे होती है?
DeFi के इस्तेमाल से पहले जांच लें कि प्रोटोकॉल पूरी तरह से टेस्टेड है या नहीं। किसी फेमस ऑडिटेड एजेंसी की तफ से वह ऑडिट की गयी है या नहीं। अपना क्रिप्टो वॉलेट पासकोड किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। यूजर्स को हमेशा बड़े घाटे से बचने डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? के लिए ऐसी जगह पैसा नहीं निवेश करना चाहिए, जो एक दिन में अचानाक बड़े रिटर्न देते हैं। ऐसी जगह निवेश के ज्यादा खतरे होते हैं। यूजर्स को संभावित हनीपोट्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है। यूजर्स को किसी भी स्कैम एडवर्टाइज से दूर रहना चाहिए। यूजर्स को हमेशा अपनी तरह से जांच करनी चाहिए। जांचा परखा गया प्रोटोकॉल ही बेहतर होता है। हमेशा बेसिक सिक्योरिटी चेकिंग करनी चाहिए।
Crypto पर RBI डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर का बड़ा बयान, कहा- पोंजी स्कीम जैसी है, सिस्टम और बैंकिंग के लिए खतरा
RBI Deputy Governor on cryptocurrencies: अपनी चिंताओं को जाहिर करते हुए टी रविशंकर ने कहा कि यह डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम्स है. जहां भागीदार ही आपसी सहमति से ट्रांजैक्शन करते हैं. इसे बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करने के लिए बनाया गया है. वहीं इसमें ट्रांजैक्शन के उद्देश्य भी साफ नहीं है.
टी रविशंकर सोमवार को आईबीए के वार्षिक बैंकिंग टेक्नोलॉजी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. (फोटो: PTI)
RBI Deputy Governor on cryptocurrencies: बजट में भले ही क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की गई हो, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि सरकार फिलहाल इसे Legalize कर देगी. वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा है कि यह पोंजी स्कीम जैसी है. उन्होंने इसे सिस्टम और बैंकिंग के लिए खतरा बताया. टी रविशंकर सोमवार (14 फरवरी, 2022) को क्रिप्टोकरेंसी पर आईबीए (Indian Banks' Association) के 17वें वार्षिक बैंकिंग टेक्नोलॉजी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
'क्रिप्टो नहीं है करेंसी, असेट या कमोडिटी'
उन्होंने कहा कि Cryptocurrency का मकसद ही सरकारी सिस्टम को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? दरकिनार करना है. यह किसी भी तरह से करेंसी, असेट या कमोडिटी नहीं है. वहीं यह करेंसी सिस्टम, मॉनिटरी अथॉरिटी, बैंकिंग के लिए खतरा है. इससे सरकार की इकोनॉमी कंट्रोल करने के सिस्टम में भी दिक्कत होगी. उन्होंने आगाह किया कि यह सरकारों को ब्लैकमेल करने का जरिया बन सकता है. इतना ही नहीं टी रविशंकर ने देश डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? में इसपर पाबंदी लगाने की भी मांग की.
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'बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करना मकसद'
अपनी चिंताओं को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम्स है. जहां भागीदार ही आपसी सहमति से ट्रांजैक्शन करते हैं. इसे बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार करने के लिए बनाया गया है. इसपर नियंत्रण रखना भी संभव नहीं है. सरकार न तो इनका पता लगा सकती है और न उन्हें जब्त या फ्रीज कर सकती है.
'ट्रांजैक्शन का उद्देश्य साफ नहीं'
क्रिप्टो में भले ही लेन-देन वेरिफाइड हो लेकिन ये गुमनाम हैं वहीं इसके ट्रांजैक्शन के उद्देश्य का भी पता नहीं चल पाता. RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि Cryptocurrency बॉर्डरलेस यानी सीमाहीन हैं. बिना किसी भौतिक अस्तित्व (Physical existence) के ये इंटरनेट पर काम करते हैं.
What Is DAO In Hindi | DAO क्या होता है, और कैसे कार्य करता है?
DAO एक “डिसेंट्रलाइज्ड ऑटोनोमस आर्गेनाइजेशन” के रूप में कार्य करता है, जिसको ब्लॉकचेन के माध्यम से कोड द्वारा संचालित किया जाता है, DAO प्रमुख रूप से थर्ड पार्टी इन्वॉल्मेंट को समाप्त करता है, जो पूर्ण रूप से एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस प्रणाली है |
प्रमुख रूप से DAO कम्युनिटी मेंबर के माध्यम से कार्य करता है, जिसको एक कंप्यूटर प्रोग्राम के रूप में एन्कोड किए गए नियमों द्वारा संचालित किया जाता है, ये एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसका लक्ष्य स्केबल टेक्नोलॉजी और टोकन स्टार्टअप को फंडिंग सहायता प्रदान करना है, DAO (डिसेंट्रलाइज्ड ऑटोनोमस आर्गेनाइजेशन) के इस वेंचर फंडिंग को 2017 में शामिल किया गया था, जो ईथर ब्लॉकचेन द्वारा संचालित होता है |
- DAO को अप्रैल “2016” में लॉन्च किया गया था, और लॉन्च होने के बाद ही DAO (डिसेंट्रलाइज्ड-ऑटोनोमस-आर्गेनाइजेशन) लगभग 150 ट्रिलियन डॉलर इकट्ठा करने में कामयाब रहा |
DAO (डिसेंट्रलाइज्ड ऑटोनोमस आर्गेनाइजेशन) कैसे कार्य करता है?
“DAO आर्गेनाइजेशन व स्टार्टअप को एक स्ट्रक्चर प्रोवाइड करता है, जिसमे ऑपरेटिंग नियमो को ब्लॉकचेन में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से डिजिटल कोडिंग कर डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? दिया जाता है, जिससे आर्गेनाइजेशन पियर-टू-पियर इंटरैक्शन कर सकती है |”
Note: DAO एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसके आप भी अपने यूनिक बिज़नेस आइडिया के आधार पर “DAO निवेशकों” को अपने स्टार्टअप में निवेश करने के लिए राजी कर सकते है |
DAO प्रोटोकॉल का प्रमुख हिस्सा उसका स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट है, कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से ही आर्गेनाइजेशन के नियम डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? लागु करने के साथ-साथ फंडिंग को मैनेज करने का कार्य करता है, एक बार एथेरियम पर कॉन्ट्रैक्ट लाइव हो जाने पर, कोई भी वोट प्रक्रिया में शामिल होने के बजाये नियमो को बदल नहीं सकता है |
जिस प्रकार सेंट्रलाइज्ड ऑर्गेनाइज़ेशन में निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ बोर्ड ऑफ़ मेम्बर के पास होता है, उसके विपरीत DAO एक डिसेंट्रलाइज्ड ऑर्गेनाइज़ेशन इकोसिस्टम के रूप में कार्य करता है, जिसमे हर कम्युनिटी मेम्बर्स के पास एक टोकन होता है, जिससे ऑर्गेनाइज़ेशन से जुड़े अहम बदलाव या किसी प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए वोटिंग की प्रक्रिया की जाती है, सभी कम्युनिटी मेंबर्स का सहमत होना जरुरी है |
DOA मेकर टोकन क्या है?
DAO मेकर टोकन एथेरियम पर निर्मित DAO इकोसिस्टम का गवर्नेंस टोकन है, जो धारकों को इकोसिस्टम को नियंत्रित करने की अनुमति देता है |
कॉइन मार्केट कैप के अनुसार इस वक्त DOA मेकर टोकन की कीमत लगभग $4.32 डॉलर है, मार्केट कैप $272,435,588 और सर्कुलेटिंग सप्लाई 63,126,403.74 DAO है |
निष्कर्ष -: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक प्रोग्राम है, और DAO मेकर टोकन एथेरियम पर निर्मित एक ERC-20 टोकन है, जो एथेरियम ब्लॉकचेन पर चलता है, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ही “DOA प्लेटफार्म” पर गुमनाम पक्ष के बीच कॉन्ट्रैक्ट, ट्रांजेक्शन और समझौतों को करने डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? की अनुमति देता है |
Disclaimer -: क्रिप्टो प्रोडक्ट और [नॉन -फंजीबल टोकन] अनियमित हैं, और ये अत्यधिक जोखिम भरे हो सकते हैं, content.fufi.info वेबसाइट पर दी गई जानकारी सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन से जुड़ी जानकारी को उपलब्ध कराना है, निवेश करने से पहले उचित जाँच व अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेकर ही निवेश करे |
क्या है क्रिप्टोकरेंसी? दुनियाभर में गिरा क्रिप्टो का मार्केट- जानिए क्रिप्टो से जुड़ी सारी डिटेल
नेशनल डेस्क: बीते मंगलवार और आज बुधवार को एक बार फिर से क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट देखने को मिली। आज सुबह 10 बजे बिटकॉइन 17% से ज्यादा गिरावट देखी गई। वहीं इस बीच सरकार 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला विधेयक संसद में पेश करेगी। बिल में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है।
हालांकि इस बीच लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक ये लगभग तय है कि सरकार क्रिप्टोक्यूरेंसी पर दरवाजे बंद करने के मूड में नहीं है पर इस पर एक अलग दृष्टिकोण और बीच का रास्ता अपनाया जा सकता है।
इनोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक संभव है कि क्रिप्टो को बतौर करेंसी मंजूरी नहीं दी जाए लेकिन इसे शेयर, गोल्ड या बॉन्ड की तरह एक संपत्ति के तौर पर मान्यता दी जाए। करेंसी के तौर पर इसे मंजूरी नहीं देने पर इससे लेन-देन या भुगतान आदि के लिए मुद्रा के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के है 1.5 से 2 करोड़ यूजर
जानकारी के लिए आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र में डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन 26 नए विधेयकों में से एक है। सरकार के विधायी एजेंडे में कुल 29 विधेयकों में से एक है। लिस्ट में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल 10वें नंबर पर है। वहीं, भारत में क्रिप्टोकरेंसी के 1.5 से 2 करोड़ यूजर हैं। इस बिल के कानून बनने से ये सभी यूजर प्रभावित हो सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी पर पीएम मोदी की बैठक में उठे ये सवाल
हाल ही में PM मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी, जिसमें उन्होंने रेगुलेटरी स्टेप्स उठाने के संकेत दिए थे। वहीं, भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता बैठक में आम सहमति बनी थी कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसे रेगुलेट किया जाना जरूर है, ताकि इसका इस्तेमाल टैरर फंडिंग और काला धन की आवाजाही में न हो।
दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी का कैसा है हाल
-भारत में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा रखा था लेकिन अमेरिका समेत कई देश इसके अनुकूल स्कीम बना रहे हैं।
- हाल ही में सेंट्रल अमेरिका के अल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 8 जून 2021 को बिटकॉइन कानून पास किया।
-दक्षिण कोरिया जैसे ताकतवर देश भी क्रिप्टो करेंसी और एक्सचेंज को रेगुलेट करने के लिए कानूनी स्ट्रक्चर बना रहे हैं।
-इसके अलावा कई दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देश भी बिटकॉइन को लीगल स्टेटस देने पर काम कर रही है।
आईए जानते हैं क्या है क्रिप्टोकरेंसी और कैसे करती है काम?
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से इसमें अस्थिरता बनी रहती है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है, जिसे कोई हैक नहीं कर सकता।
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