एक तकनीकी विश्लेषण

विकल्पों का परिचय

विकल्पों का परिचय
"समाधि में हमको ब्रह्म ज्ञान नहीं हुआ| संयम करने से हुआ"

coexistential philosophy comparison

परिचय सम्मेलन जरूरी हैं, जीवनसाथी चुनने मिलते हैं कई विकल्प : सांसद

परिचय सम्मेलन आज के समय की जरूरत है। इसमें एक ही मंच पर जीवनसाथी चयन के कई विकल्प मौजूद रहते हैं। इसके साथ ही इस बात का विश्वास भी रहता है कि यहां मिलने वाली हर जानकारी सही होती है, क्योंकि समाज के कई ऐसे लोग यहां मौजूद रहते हैं जो मंच से परिचय दे रहे युवक-युवती के परिजनों से परिचित रहते हैं। इस कारण परिचय दे रहे युवक-युवती एवं उनके परिजन सही जानकारी देते हैं साथ ही कुछ छिपा भी नहीं पाते। यह बात सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने रवींद्र भवन में रायकवार समाज के युवक-युवती परिचय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कही।

उन्होंने कहा कि रायकवार समाज अपने जातीय धंधों से वंचित हो रहा है, इसे विकल्पों का परिचय दिलाने मैं में हमेशा प्रयासरत रहता हूं। उन्होंने समाज के लिए 6 लाख रुपए देने की घोषणा की। विशिष्ट अतिथि नगर विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि समाज के लोगों की विकल्पों का परिचय मांग के मुताबिक गंगा मंदिर के पास सामुदायिक भवन बनवाया जाएगा। इसके लिए 5 लाख रुपए देने की घोषणा उन्होंने की।

विकल्पों का परिचय

निर्णय लेने (Decision Making): एक निर्णय एक ऐसी प्रक्रिया का निष्कर्ष है जिसके द्वारा कोई लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्रवाई के दो या अधिक उपलब्ध वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के बीच चयन करता है। प्रक्रिया को निर्णय लेना कहा जाता है। प्रबंधकीय निर्णय लेना प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया का पर्याय है।

विचार को स्पष्ट करने के लिए, आइए योजना के महत्वपूर्ण प्रबंधकीय कार्य की जाँच करें। क्या नियोजन में कई फैसलों की श्रृंखला शामिल है जैसे कि क्या किया जाना चाहिए? कब? कैसे? कहा पे? किसके द्वारा? इसलिए योजना का अर्थ है निर्णय लेना।

प्रबंधन के अन्य कार्य जैसे आयोजन और नियंत्रण भी निर्णय लेने से बना है। एक निर्णय चुनाव का एक कार्य है जिसमें एक प्रबंधक एक निष्कर्ष देता है कि किसी दिए गए स्थिति के तहत क्या किया जाना चाहिए। निर्णय कई संभावित विकल्पों में से चुने गए व्यवहार के एक पाठ्यक्रम का प्रतिनिधित्व करता है।

निर्णय लेने का अर्थ।

निर्णय लेना प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि निर्णय लेना समस्या से संबंधित है, प्रभावी निर्णय लेने से ऐसी समस्याओं को हल करके वांछित लक्ष्यों या उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस प्रकार निर्णय लेने का कार्य उद्यम पर होता है और उद्यम के सभी क्षेत्रों को कवर करता है।

वैज्ञानिक निर्णय लेने की एक उचित अवधि के साथ समाधान के लिए सबसे अच्छा संभव विकल्प पर पहुंचने की सुविचारित प्रक्रिया है। निर्णय का अर्थ है विचार-विमर्श में कटौती करना और निष्कर्ष पर आना। निर्णय लेने में दो या दो से अधिक विकल्प शामिल होते हैं क्योंकि यदि केवल एक ही विकल्प होता है तो निर्णय नहीं किया जाता है।

According to James Stoner;

"Decision making is the process of identifying and selecting a course of action to solve a specific problem."

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा : एक परिचय एवं परीक्षा का प्रारूप

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), जो भारत का एक संवैधानिक निकाय है, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं तथा भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) एवं भारतीय कंपनी कानून सेवा (ICLS) आदि जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं हेतु अभ्यर्थियों का चयन करने के लिये प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है। प्रत्येक वर्ष लाखों अभ्यर्थी अपना भाग्य आज़माने के लिये इस परीक्षा में बैठते हैं। तथापि, उनमें से चंद अभ्यर्थियों को ही “राष्ट्र के वास्तुकार” (Architect of Nation) की संज्ञा से विभूषित इन प्रतिष्ठित पदों तक पहुँचने का सौभाग्य प्राप्त होता है। ‘सिविल सेवा परीक्षा’ मुख्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में सम्पन्न की जाती है जिनका सामान्य परिचय इस प्रकार है-

मुख्य परीक्षा:

  • सिविल सेवा परीक्षा का दूसरा चरण ‘मुख्य परीक्षा’ कहलाता है।
  • प्रारंभिक परीक्षा का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि सभी उम्मीदवारों में से कुछ गंभीर व योग्य उम्मीदवारों को चुन लिया जाए तथा वास्तविक परीक्षा उन चुने हुए उम्मीदवारों के बीच आयोजित कराई जाए।
  • मुख्य परीक्षा कुल 1750 अंकों की है जिसमें 1000 अंक सामान्य अध्ययन के लिये (250-250 अंकों के 4 प्रश्नपत्र), 500 अंक एक वैकल्पिक विषय के लिये (250-250 अंकों के 2 प्रश्नपत्र) तथा 250 अंक निबंध के लिये निर्धारित हैं।
  • मुख्य परीक्षा में ‘क्वालिफाइंग’ प्रकृति के दोनों प्रश्नपत्रों (अंग्रेज़ी एवं हिंदी या संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कोई भाषा) के लिये 300-300 अंक निर्धारित हैं, जिनमें न्यूनतम अर्हता अंक 25% (75 अंक) निर्धारित किये गए हैं। इन प्रश्नपत्रों के अंक योग्यता निर्धारण में नहीं जोड़े जाते हैं।
  • मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों भाषाओं में साथ-साथ प्रकाशित किये जाते हैं, हालाँकि उम्मीदवारों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से किसी में भी उत्तर देने की छूट होती है (केवल साहित्य के विषयों में यह छूट है कि उम्मीदवार उसी भाषा की लिपि में उत्तर लिखे है, चाहे उसका माध्यम वह भाषा न हो)।
  • गौरतलब है कि जहाँ प्रारंभिक परीक्षा पूरी तरह वस्तुनिष्ठ (Objective) होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में अलग-अलग शब्द सीमा वाले वर्णनात्मक (Descriptive) या व्यक्तिनिष्ठ (Subjective) प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों में विभिन्न विकल्पों में से उत्तर चुनना नहीं होता बल्कि अपने शब्दों में लिखना होता है। यही कारण है कि मुख्य परीक्षा में सफल होने के लिये अच्छी लेखन शैली बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।

हाइड्रोग्राफी का परिचय

हाइड्रोग्राफी अनुप्रयुक्‍त विज्ञान की एक शाखा है जिसमें महासागरों, सागरों, तटीय क्षेत्रों, झीलों और नदियों की माप और भौतिक विशेषताओं के विवरण के साथ इनमें समय के साथ होने वाले परिवर्तन की भविष्यवाणियों के लिए जो कि मुख्‍यत: नौचालन की सुरक्षा के उद्देश्य से हैं तथा आर्थिक विकास, सुरक्षा और रक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण सहित अन्य सभी सामुद्रिक गतिविधियों के समर्थन में अध्‍ययन किया जाता है । जल-सर्वेक्षण संबंधी माप-तोल में ज्वारीय, धारा प्रवाह और तरंगों की सूचनाएं शामिल हैं । इसमें निचले तल विशेषकर समुद्री भौगोलिक विशेषताओं जैसे - चट्टानों, शॉल्स, जलभित्तियों और दूसरी विशेषताओं की मापतोल का अध्‍ययन किया जाता विकल्पों का परिचय है, जो जहाजों के मार्ग में बाधा होते हैं और उनसे नौचालन के लिए खतरा विकल्पों का परिचय है । तलहटी के मापतोल में नीचे की प्रकृति का संग्रहण भी शामिल है क्योंकि यह विकल्पों का परिचय जलयानों के प्रभावी एंकरिंग के लिए आवश्‍यक है । समुद्र विज्ञान के विपरीत, हाइड्रोग्राफी में किनारे की विशेषताओं चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित, प्रकाश स्‍तम्‍भ भी शामिल हैं जिनसे जहाजों की स्थिति को स्थिर करने में सहायता मिलती है, साथ ही इसमें समुद्र और समुद्र तल के भौतिक पहलु भी शामिल होते हैं । जलधाराओं के हाइड्रोग्राफी में धारा तल, प्रवाह, पानी की गुणवत्ता और आसपास की भूमि संबंधी जानकारी का अध्‍ययन शामिल है । बेसिन या आंतरिक हाइड्रोग्राफी नदियों और पीने योग्य पानी पर विशेष ध्यान देती है, यद्यपि यह एकत्रित डाटा जहाजों के नौचालन उपयोगों के लिए नहीं है, इसका उपयोग वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए किया जाता है । नदीयों और सागर में नौचालन, नौचालन संबंधी चार्ट की मदद से किया जाता है और हाइड्रोग्राफी वह विज्ञान है जो नौचालन संबंधी चार्ट के संकलन के लिए सभी आवश्यक डेटा उपलब्‍ध करवाता है । भाअजप्रा का हाइड्रोग्राफी विभाग 111 राष्ट्रीय जलमार्गों के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट की व्यवहारिकता का अध्ययन कर रहा है। आधुनिक जगत में हाइड्रोग्राफी कार्य को सटीकता के साथ और समय पर पूरा करने के लिए अधिकांश नवीनतम तकनीकी पर निर्भर है । भाअजप्रा का हाइड्रोग्राफिक विभाग नवीनतम उपकरणों का प्रयोग करते हुए नवीनतम तकनीक के साथ जुडा हुआ है । सुरक्षित सामुद्रिक नौचालन के लिए हर पन्‍द्रह दिन में बाथमेट्रिक सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है और न्‍यूनतम उपलब्‍ध गहराई तथा नदी संबंधी सूचनाओं को भारतीय अन्‍तर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण द्वारा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है ।

मध्यस्थ दर्शन - संक्षिप्त परिचय

मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद) सार्वभौम मानवीय संविधान, शिक्षा व् स्वराज्य व्यवस्था को प्रतिपादित करता है|

'मध्यस्थ दर्शन' रहस्य से मुक्त है|

यह मनुष्य के सम्पूर्ण आयामों की यथार्थता, वास्तविकता और सत्यता को अध्ययन गम्य और बोध गम्य कराता है|

'मध्यस्थ दर्शन' अनुभव बल की अभिव्यक्ति, सर्वतोमुखी समाधान की संप्रेषणा, न्याय विकल्पों का परिचय पूर्ण व्यवहार नियम पूर्ण व्यवसाय व् आचरण पूर्ण पद्धति से जीने की कला को करतलगत कराता है|

यह 'चेतना विकास मूल्य शिक्षा' रूप में अध्ययनगम्य है|

मूल प्रतिपादन

व्यापक सत्ता एवं प्रकृति का अनवरत सहअस्तित्व है | समस्त क्रिया (जड़ एवं चैतन्य प्रकृति) शून्य (व्यापक सत्ता) में ही नियंत्रित एवं संरक्षित है, इसीलिए प्रकृति का नाश नहीं है | इससे अधिक अस्तितव में अध्ययन के लिए वस्तु नहीं है | इससे कम में अध्ययन पूरा होता नहीं|

इस धरती में मानव 'जागृति क्रम' में "जीव चेतनावश" - 'अमानवीयता में जी रहा है| यही मानव के सम्पूर्ण समस्याओं का कारण है|

'मानवता' जागृत मानव का कार्य व्यवहार का स्वरुप है - यही विकसित चेतना है| मानव, ज्ञान पूर्वक समाधानित, व् जागृत होता है| अस्तित्व में अनुभूत होता है|

अनुसन्धान

मध्यस्थ दर्शन में 'अनुसन्धान' के ३ आधार बिंदु हैं:

गठनपूर्णता:

जड़ परमाणु परमाणु में परिणाम का अमरत्व| जड़ ही विकल्पों का परिचय विकास पूर्वक चैतन्य पद को प्राप्त करता है | यही 'जीवन परमाणु' है|

क्रियापूर्णता :

मानव में ज्ञान पूर्वक श्रम का विश्राम, विकसित चेतना पूर्वक जागृति, समाधान - प्रखर प्रज्ञा, सतर्कता, मानवीयतापूर्ण क्रियाकलाप|

आचरणपूर्णता:

मानव में अनुभव प्रमाण पूर्वक गति का गंतव्य| गुणात्मक विकास का परम बिंदु, जागृतिपूर्णता, सत्य, धर्म, निर्भयता, न्याय, नियम, जीवन तृप्ति और उसकी निरंतरता।

वाङ्मय स्वरूप

मध्यस्थ दर्शन वांग्मय चार दर्शन, तीन वाद तीन शास्त्र तथा संविधान के रूप में प्रकाशित है एवं अध्ययन हेतु मानव सम्मुख प्रस्तुत है|

मध्यस्थ दर्शन: ४ भाग में

मानव व्यवहार दर्शन, कर्म दर्शन, अभ्यास दर्शन, अनुभव दर्शन

सहअस्तित्ववाद: ३ भाग में

समाधानात्मक भौतिकवाद, व्यवहारात्मक जनवाद, अनुभवात्मक अध्यात्मवाद

शास्त्र: ४ भाग में

व्यवहारवादी समाजशास्त्र, आवर्तनशील अर्थशास्त्र, मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान, मानवीय संविधान

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