कुल मार्जिन

FMCG Companies: एफएमसीजी कंपनियों को सितंबर तिमाही से मार्जिन से मिली ताकत, ग्रामीण सेक्टर में वापसी की उम्मीद
FMCG कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में अपनी बिक्री में मूल्य आधारित वृद्धि दर्ज की है.
By: ABP Live | Updated at : 07 Nov 2022 09:41 AM (IST)
FMCG Companies Expect Margin Improvement: देश के एफएमसीजी सेक्टर (FMCG Sector) को चालू वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में कुछ सुधार हुआ है. बताया जा रहा है कि तीसरी तिमाही के मार्जिन में सुधार के साथ ग्रामीण बाजार से वापसी की उम्मीद जाग उठी है. अब एफएमसीजी क्षेत्र को त्योहारी सीजन की शुरुआत और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल मार्जिन अच्छे मानसून तथा फसल कटाई के साथ सुधार की उम्मीद है.
मूल्य आधारित हुई वृद्धि
FMCG कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में अपनी बिक्री में मूल्य आधारित वृद्धि दर्ज की है. कुछ श्रेणियों में ब्रिटानिया, डाबर और नेस्ले जैसी एफएमसीजी कंपनियों ने भी बिक्री में वृद्धि दर्ज की है.
मैरिको ने क्या कहा
बीती तिमाही के अपने वित्तीय नतीजे में भारत की मल्टीनेशनल कंज्यूमर गुड्स कंपनी मैरिको लिमिटेड (Marico Limited) का कहना है कि, "खुदरा मुद्रास्फीति स्थिर रहने के कारण एफएमसीजी क्षेत्र में लगातार चौथी तिमाही में बिक्री में गिरावट देखी गई. मांग की भावना काफी हद तक पिछली तिमाही की तरह ही थी और तिमाही के आखिरी महीने में ही इसमें थोड़ा सुधार हुआ."
सकल मार्जिन में सुधार
यह कंपनी पैराशूट, सफोला और हेयर एंड केयर जैसे ब्रांडों के तहत उत्पाद बेचती है. इस कंपनी ने कहा कि सकल मार्जिन में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान तिमाही आधार पर सुधार होना चाहिए.
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मैरिको के मुनाफे में आई गिरावट
घरेलू कंपनी मैरिको के सालाना आधार के मुनाफे में गिरावट आई है. जबकि सालाना आधार पर कंपनी की आय में बढ़ोत्तरी हुई है. वित्त वर्ष 2022 -23 की सितंबर तिमाही में Marico का मुनाफा सालाना आधार घटकर 307 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी का मुनाफा 316 करोड़ रुपये रहा था. जबकि सितंबर में कंपनी का मुनाफा 319 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था. ये कंपनी हेल्थ, ब्यूटी एड वेलनेस में प्रोडक्ट्स और सर्विसेज उपलब्ध कराती है.
ब्रिटानिया ने क्या कहा
दूसरी तिमाही में अपना उच्चतम तिमाही राजस्व दर्ज करने वाली ब्रिटानिया ने लागत और लाभप्रदता के मोर्चे पर कहा कि आटा और दूध उत्पादों में बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण जिंसों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है.
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Published at : 07 Nov 2022 09:41 AM (IST) Tags: FMCG companies FMCG Stocks FMCG Britannia FMCG Company Marico Limited हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
सकल, परिचालन और शुद्ध लाभ मार्जिन: क्या अंतर है?
प्रत्येक मार्जिन व्यक्तिगत रूप से कंपनी की परिचालन दक्षता पर बहुत अलग दृष्टिकोण देता है। व्यापक रूप से एक साथ लिए गए तीन मार्जिन एक फर्म की परिचालन ताकत और कमजोरियों (SWOT) में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं । मार्जिन प्रतिस्पर्धी तुलना करने और पिछले अवधि के मुकाबले विकास और हानि के रुझान की पहचान करने में भी उपयोगी हैं।
चाबी छीन लेना
- एक आय विवरण प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और ब्याज और कर खर्चों से विभाजित होता है।
- आय विवरण के विश्लेषण के लिए सकल लाभ, परिचालन लाभ और शुद्ध लाभ मार्जिन महत्वपूर्ण उपाय हैं।
- प्रत्येक लाभ मार्जिन माप कंपनी के राजस्व के प्रति डॉलर के लाभ की मात्रा को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, मार्जिन विश्लेषण मैट्रिक्स एक आय विवरण पर तीन अलग-अलग स्थानों पर लागत के मुकाबले मुनाफे की तुलना करके एक फर्म की दक्षता को मापते हैं।
सकल लाभ हाशिया
सकल लाभ मार्जिन सकल बिक्री राजस्व और बिक्री की प्रत्यक्ष लागत के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है। यह तुलना आय विवरण का पहला खंड बनाती है। कंपनियों के पास उनके व्यवसाय के आधार पर विभिन्न प्रकार की प्रत्यक्ष लागतें होंगी। माल के उत्पादन और निर्माण में शामिल कंपनियां सामान बेचने के उपाय की लागत का उपयोग करेंगी, जबकि सेवा कंपनियों के पास अधिक सामान्यीकृत संकेतन हो सकता है।
कुल मिलाकर, सकल लाभ मार्जिन यह जानना चाहता है कि कोई कंपनी अपने उत्पाद का कितनी कुशलता से उत्पादन कर रही है। सकल लाभ मार्जिन की गणना कुल राजस्व से विभाजित सकल लाभ है। सामान्य तौर पर, अधिक सकल लाभ मार्जिन संख्या होना बेहतर होता है क्योंकि यह प्रति डॉलर राजस्व के कुल सकल लाभ का प्रतिनिधित्व करता है।
परिचालन लाभ मार्जिन
परिचालन कुल मार्जिन दक्षता कंपनी के आय विवरण का दूसरा खंड बनाती है और अप्रत्यक्ष लागतों पर ध्यान केंद्रित करती है। कंपनियों की अप्रत्यक्ष लागतों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो नीचे की रेखा को भी प्रभावित करती है। कुछ आम तौर पर अप्रत्यक्ष लागतों में अनुसंधान और विकास, विपणन अभियान खर्च, सामान्य और प्रशासनिक व्यय और मूल्यह्रास और परिशोधन शामिल हैं।
ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन इन लागतों के प्रभावों की जांच करता है। परिचालन लाभ सकल लाभ से परिचालन व्यय को घटाकर प्राप्त किया जाता है। ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन की गणना कुल राजस्व द्वारा ऑपरेटिंग प्रॉफिट को विभाजित करके की जाती है।
परिचालन लाभ कंपनी की अप्रत्यक्ष लागतों का प्रबंधन करने की क्षमता को दर्शाता है। इसलिए, आय विवरण का यह खंड दिखाता है कि एक कंपनी उन क्षेत्रों में निवेश कर रही है जो यह अपेक्षा करते हैं कि कई चैनलों के माध्यम से अपने ब्रांड और व्यवसाय के विकास को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। एक कंपनी का उच्च सकल लाभ मार्जिन हो सकता है, लेकिन अपेक्षाकृत कम परिचालन लाभ मार्जिन अगर विपणन, या पूंजी निवेश आवंटन जैसी चीजों के लिए इसका अप्रत्यक्ष खर्च अधिक है।
खालिस मुनाफा
शुद्ध लाभ मार्जिन आय विवरण विश्लेषण में प्रयुक्त तीसरा और अंतिम लाभ मार्जिन मीट्रिक है । सभी खर्चों के लिए लेखांकन के बाद आय विवरण के अंतिम खंड और किसी कंपनी की शुद्ध आय का विश्लेषण करके इसकी गणना की जाती है।
शुद्ध लाभ मार्जिन एक कंपनी द्वारा दिए गए ब्याज और करों को ध्यान में रखता है। शुद्ध लाभ की गणना परिचालन लाभ से ब्याज और करों को घटाकर की जाती है कुल मार्जिन – जिसे ब्याज और करों (EBIT) से पहले कमाई के रूप में भी जाना जाता है । शुद्ध लाभ मार्जिन की गणना कुल राजस्व पर शुद्ध लाभ को विभाजित कुल मार्जिन करके की जाती है।
शुद्ध लाभ अपने ब्याज भुगतान और कर भुगतान का प्रबंधन करने की कंपनी की क्षमता को उजागर करता है। ब्याज भुगतान कई किस्मों को ले सकता है। ब्याज में वह ब्याज शामिल है जो एक कंपनी पूंजीगत साधनों के लिए ऋण पर हितधारकों का भुगतान करती है। इसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक निवेश से अर्जित कोई ब्याज भी शामिल है।
निगमों के लिए एक फ्लैट दर पर कर लगाया जाता है। 2017 के टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट के बाद कॉर्पोरेट टैक्स की दर 35% से घटाकर 21% कर दी गई। व्यक्तियों की तरह, निगमों को भी क्रेडिट, कटौती, छूट और अधिक के रूप में आने वाले कॉर्पोरेट टैक्स ब्रेक की पहचान करनी चाहिए।
विशेष ध्यान
एक कंपनी का शुद्ध लाभ मार्जिन दिखाता है कि कंपनी व्यवसाय से जुड़े सभी खर्चों का प्रबंधन कैसे कर रही है। आय विवरण पर, खर्चों को आम तौर पर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और ब्याज और करों से तोड़ा जाता है। कंपनियां इन तीन क्षेत्रों में से प्रत्येक में व्यक्तिगत रूप से खर्च का प्रबंधन करना चाहती हैं।
यह विश्लेषण करके कि सकल, परिचालन और शुद्ध लाभ मार्जिन एक दूसरे की तुलना कैसे करते हैं, उद्योग के विश्लेषकों को कंपनी की परिचालन शक्तियों और कमजोरियों की स्पष्ट तस्वीर मिल सकती है।
बाजार और व्यवसाय कारक तीनों मार्जिनों में से प्रत्येक को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। व्यवस्थित रूप से यदि प्रत्यक्ष बिक्री व्यय पूरे बाजार में बढ़ता है, तो एक कंपनी के पास कम सकल लाभ मार्जिन होगा जो बिक्री की उच्च लागत को दर्शाता है।
कंपनियां विकास के विभिन्न चक्रों से गुजर सकती हैं, जो उच्च परिचालन, और ब्याज खर्च को जन्म देती हैं। एक कंपनी विपणन अभियानों या पूंजी निवेश में अधिक निवेश कर सकती है जो परिचालन लागत को एक अवधि के लिए बढ़ाती है जिससे परिचालन लाभ मार्जिन घट सकता है। कंपनियां ऋण के माध्यम से पूंजी भी जुटा सकती हैं जो ब्याज भुगतान बढ़ने पर अपने शुद्ध लाभ मार्जिन को कम कर सकती हैं।
कॉरपोरेट निवेश की योग्यता का विश्लेषण करते समय इन विभिन्न चरों और मार्जिन विश्लेषण पर उनके प्रभाव को समझना निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
कुल मार्जिन
Pune, Maharashtra, India: मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग (MTF) शेयर बाजार में डिलिवरी ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के लिए एक प्रभावशाली साधन है। एमटीएफ (MTF) के ज़रिये निवेशक अपने पास मौजूद राशि से अधिक मूल्य के शेयर खरीद सकते हैं। निवेशक को ध्यान रखना होगा की मार्जिन ट्रेडिंग में लाभ तभी होगा कुल मार्जिन जब उनके सौदे का मुनाफा इन दोनों के कुल मुल्य से अधिक हो- ब्रोकरेज और एमटीएफ में लिए सौदे पर लागु होने वाला ब्याज धन।
मार्जिन ट्रेडिंग फाइनेंसिंग (MTF) से जुड़ी चुनौतियां
डिलीवरी में ट्रेड करने वाले निवेशक कम से कम ब्याज दरों पर एमटीएफ (MTF) की सुविधा की अपेक्षा करते हैं। आम तौर पर, इंट्राडे ट्रेडर्स को अपने ब्रोकर के प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर देते समय मार्जिन (लीवरेज) मिलता है। मगर डिलीवरी ट्रेडर्स के लिए लीवरेज एमटीएफ (MTF) के माध्यम से प्रदान किया जाता है। इस सुविधा को लेने के लिए हो सकता है निवेशक को अपने ब्रोकर से जानकारी लेनी पड़े। एमटीएफ (MTF) की मदद से निवेशक केवल मार्जिन राशि देकर डिलीवरी में अधिक मूल्य के शेयर खरीद सकते हैं। ब्रोकर बाकी राशि प्रदान करते हैं और उस पर ब्याज लगाते हैं। साथ ही उस ऑर्डर पर ब्रोकरेज चार्ज भी लगता है। अगर ब्रोकरेज चार्ज और एमटीएफ (MTF) की ब्याज दरें अधिक हो तो सौदे में अगर लाभ भी हो, फिर भी ज्यादा हिस्सा इन सारे चार्ज की पूर्ती करने में चला जाता है। निवेशक के इस समस्या का समाधान प्रतिष्ठित डिस्काउंट ब्रोकर - बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड (बीएफएसएल) प्रदान कर रहा है।
बीएफएसएल की एमटीएफ (MTF) सुविधा कैसे मदद कर सकती है
ब्रोकरेज और एमटीएफ (MTF) ब्याज दरों को कम करने के लिए बीएफएसएल सदस्यता-आधारित वार्षिक प्लान प्रदान करता है। इनमें से सबसे प्रभावी सदस्यता प्लान है - बजाज प्रिविलेज क्लब - जो अनुभवी निवेशक के लिए किफ़ायती दरों पे ट्रेडिंग करने और एमटीएफ (MTF) सुविधा लेने का अवसर देता है। बजाज प्रिविलेज क्लब (बीपीसी) सदस्यता-आधारित योजना की कुछ विशेषताएं यहां दी गई हैं-
बीपीसी योजना की विशेषताएं
- किफ़ायतीब्रोकरेज: बीपीसी ग्राहक फ्लैट ब्रोकरेज दर पर सिर्फ Rs 5/- प्रति ऑर्डर में डिलीवरी, कुल मार्जिन इंट्राडे और फ्यूचर व ऑप्शन में ट्रेड कर सकते हैं।
- ब्याजदरजोबाजारकेऔसतसेकाफीकमहै: बीपीसी ग्राहक सिर्फ 9.25% प्रति वर्ष के ब्याज दर पर एमटीएफ (MTF) की सुविधा ले सकते कुल मार्जिन हैं। ग्राहक एमटीएफ (MTF) के माध्यम से डिलीवरी ट्रेडों पर उनके पास उपलब्ध राशि से 3.5 गुना अधिक तक का सौदा ले सकते हैं। Rs 1 लाख का एमटीएफ (MTF) लेने पर बीपीसी सदस्य्ता वाले निवेशक को मात्र Rs 25.34 प्रति दिन का ब्याज देना होता है।
- कोईअकाउंटमेंटेनेंसचार्ज(AMC)नहीं: बीपीसी सदस्य्ता वाले निवेशक को कोई डीपी एएमसी (DP AMC) चार्ज नहीं लगता।
- डीलरडेस्कसहायता: बीपीसी ग्राहकों को ट्रेडिंग और एमटीएफ (MTF) ऑर्डर पर अपने प्रश्नों के समाधान के लिए डीलर डेस्क सपोर्ट का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड की अन्य सदस्यता योजनाएं:
बजाज प्रिविलेज क्लब के अलावा, निवेशक अन्य सदस्य्ता प्लान भी चुन सकते हैं। बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज दूसरा सदयस्ता प्लान प्रदान करते हैं - प्रोफेशनल पैक। यहां, वार्षिक सदस्यता शुल्क Rs 2500 है। इसके लाभ नीचे दिए गए हैं:
ब्रोकरेज: Rs 10 प्रति ऑर्डर सभी सेगमेंट में
मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग: 12% प्रति वर्ष
एएमसी (DP AMC) : 0
सरल और सुरक्षित प्लेटफार्म
बजाज फाइनेंशियल सिक्युरिटीज लिमिटेड निवेशकों के लिए आसान और सुविधाजनक ट्रेडिंग सेवा प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह न केवल वेब और ऐप (BFSLTRADE) पर उपलब्ध ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के आसान यूजर इंटरफेस से ज़ाहिर होता है, बल्कि इसके अतिरिक्त सेवाएं, जैसे मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग सुविधा के ज़रिये भी प्रकट होता है। ग्राहक आसानी से ट्रेडिंग एप्लिकेशन पर एमटीएफ (MTF) ऑर्डर लगा सकते हैं और ऐप में ही ब्याज रिपोर्ट (Interest Report) को ट्रैक कर सकते हैं। बीएफएसएल सुनिश्चित करता है कि निवेशकों के ट्रांजेक्शन सुरक्षित रहें और प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विभिन्न माध्यमों कुल मार्जिन द्वारा निवेशक के सभी प्रश्नों का समाधान किया जाये। निवेशक 100% ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड के साथ डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं।
Investments कुल मार्जिन in securities market are subject to market risk, read all the related documents carefully before investing. Brokerage will not exceed the SEBI prescribed limit. All leveraged intraday positions will be squared off the same day. There is no restriction on withdrawal of unutilised margin amount. As subject to the provisions of SEBI Circular CIR/MRD/DP/54/2017 dated June 13, 2017, and the terms and conditions mentioned in rights and obligations statement issued by the TM. (if applicable).
UP Election 2022 Results: इन सीटों पर BJP-सपा के बीच रही कांटे की टक्कर, जीत का मार्जिन 1,000 वोटों से भी कम
कई सीटों पर सपा तथा बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच टफ फाइट देखने को मिली. आंकड़ों के मुताबिक, कई सीटें ऐसी रहीं जिन पर जीत और हार का मार्जिन 5 हजार वोटों से भी कम रहा.
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उत्तर प्रदेश में बंपर जीत के साथ एक बार फिर बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है. भगवा दल ने अकेले 255 सीटों पर जीत हासिल की. सहयोगी दलों (अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी) की सीटें मिलाकर यह आंकड़ा 270 को पार कर गया. कई सीटों पर बीजेपी और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी नीत गठबंधन (रालोद समेत अन्य दल) के बीच कांटे का मुकाबला रहा. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 सीटों पर प्रत्याशियों की जीत हार का अंतर (मार्जिन) 1,000 वोट से भी कम रहा.
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समाजवादी पार्टी ने वोटों की गिनती शुरू होने के बाद अपने कार्यकर्ताओं से मतगणना केंद्रों पर डटे रहने को कहा था क्योंकि वोटों का अंतर कई सीटों पर काफी कम था. कई सीटों पर सपा तथा बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच टफ फाइट देखने को मिली. आंकड़ों के मुताबिक, कई सीटें ऐसी रहीं जिन पर जीत और हार का मार्जिन 5 हजार वोटों से भी कम रहा. कुछ पर तो यह अंतर 1,000 से 2,000 के बीच सिमट गया. कहीं बीजेपी तो कहीं विपक्ष के उम्मीदवार आगे रहे.
विधानसभा सीट --------- विजेता प्रत्याशी ------------ रनरअप ------------------- मार्जिन
बड़ौत कृष्णपाल मलिक (बीजेपी) जयवीर (रालोद) 315
बिलासपुर बलदेव औलख (बीजेपी) अमरजीत सिंह (सपा) 307
चांदपुर स्वामी ओमवेश (सपा) कमलेश सैनी (बीजेपी) 234
धामपुर अशोक राणा (बीजेपी) नईम उल हसन (सपा) 203
दिबियापुर प्रदीप यादव (सपा) लखन सिंह राजपूत (बीजेपी) 473
डुमरियागंज सैय्यदा खातून (सपा) राघवेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी) 771
इसौली मो. ताहिर खान (सपा) ओम प्रकाश पांडे (बीजेपी) 269
जसराना सचिन यादव (सपा) मानवेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी) 836
कटरा वीर विक्रम सिंह (बीजेपी) राजेश यादव (सपा) 357
कुर्सी सकेंद्र प्रताप (बीजेपी) राकेश वर्मा (सपा) 217
मुरादाबाद नगर रीतेश गुप्ता (बीजेपी) युसूफ अंसारी (कुल मार्जिन सपा) 782
नाकुर मुकेश चौधरी (बीजेपी) धर्म सिंह सैनी (सपा) 315
नहटौर ओम प्रकाश (बीजेपी) मुंशीराम (सपा) 258
राम नगर फरीद महफूज़ (सपा) शरद अवस्थी (बीजेपी) 261
शाहगंज रमेश (निषाद पार्टी) शैलेंद्र यादव 719
Automobile dealers: वाहन डीलरों ने सियाम को लिखा पत्र, बिक्री मार्जिन में बढ़ोतरी की मांग
फाडा ने वाहन कंपनियों से कहा है कि कारोबार को आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए डीलरशिप पर लागत ढांचे में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी लाई जाए।
Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 31, 2020 15:09 IST
Photo:PTI । FILE PHOTO
Auto dealers seek higher sales margin, cost reduction measures to tide over dwindling profitability
नयी दिल्ली। वाहनों डीलरों के संगठन फाडा ने वाहन विक्रेताओं का प्रति वाहन बिक्री मार्जिन बढ़ाकर कम से कम सात प्रतिशत करने की मांग की है। वाहन बाजार में लंबे समय से जारी सुस्ती और अब कोरोना वायरस महामारी की वजह से बिक्री में काफी गिरावट आई है। इससे डीलरों की परिचालन लागत बढ़ गयी है।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) ने वाहन कंपनियों से कहा है कि कारोबार को आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए डीलरशिप पर लागत ढांचे में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी लाई जाए। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) को लिखे पत्र में फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले ने मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) या वाहन कंपनियों की ओर से तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि ऊंची लागत और कम परिचालन मार्जिन की वजह से उनका मुनाफा लगातार कम हो रहा है।
काले ने कहा कि जहां कर्मचारियों का भुगतान, ब्याज लागत और किराया आसमान छू रहा है वहीं डीलरों का मार्जिन खर्च की तुलना में नहीं बढ़ रहा है। काले ने कहा कि भारतीय डीलर काफी कम तीन से पांच प्रतिशत के मार्जिन पर परिचालन करते हैं। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में यह काफी कम है। उन्होंने कहा कुल मार्जिन कुल मार्जिन कि देश में वाहन डीलरशिप का कुल कारोबार पर औसत शुद्ध लाभ आधा से एक प्रतिशत तक ही है।
पत्र में कहा गया है कि पिछले 15 माह के दौरान वाहन बाजार में सुस्ती की वजह से डीलरों का यह मार्जिन भी प्रभावित हुआ है। बिक्री घटने से कई वाहन डीलर नुकसान में आ गए हैं। काले ने कहा कि भारत में डीलरशिप को कुल आमदनी का औसतन 85 प्रतिशत लागत पर खर्च करना पड़ता है। इसमें श्रमबल, ब्याज और ढांचे का खर्च मुख्य रूप से शामिल है।