शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें

शेयर मार्केट का फंडा क्या है – शेयर बाजार को कैसे समझें?
ज ब कभी बाज़ार में निवेश करने का मुद्दा उठता है तो सवाल यहीं से शुरू होता है कि हम सब रिस्क या खतरा उठाने के लिए कितने तैयार रहते हैं? एक आसान-सा प्रयोग करक देखिए और आपको अपने इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। किन्हीं जुड़वां बच्चों से एक ही सवाल पूछिए ‘देखो बच्चों तुम्हारे सामने तीन विकल्प हैं। पहले में तुम्हें 30 रुपए का इनाम निश्चित ही मिलेगा, दूसरे में इनाम में 500 रुपए मिल सकते हैं, लेकिन में मिलने की संभावना 20 फीसदी ही है और तीसरे में 50 रुपए मिलने की 50 प्रतिशत संभावना है। अब बताओ, तुम क्या चुनोगे?’ आपके इस एक ही सवाल के जवाब आपको अलग-अलग मिलेंगे। खतरा उठाने की वृत्ति दो लोगों में, भले वे दोनों एक ही परिवार के हों, बेहद अलग होती है। अलग-अलग व्यक्तियों में, अलग-अलग समय पर खतरा उठाने की अलग-अलग वृत्ति होती है। आज इस लेख में हम जानते हैं कि शेयर मार्केट का फंडा क्या है – शेयर बाजार को कैसे समझें ? आइए विस्तार से जानें :–
शेयर बाजार का खतरा और आपकी प्रकृति
आप शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें खतरा उठाने के लिए जितने तैयार होंगे, उसी अनुसार, आप निवेश के लिए कंपनियों का चुनाव भी करेंगे। निवेश की आपकी पूरी योजना ही रिस्क ले सकने की आपकी वृत्ति पर आधारित होती है। जहां तक निवेश का सवाल है, तो अपने आप से पूछिए कि क्या उसे लेकर आप बहुत संकोची हैं, या बहुत सोच-समझ कर चलने वाले हैं, या आप खुलकर निवेश करते हैं? आपकी इस वृत्ति के आधार पर यह निर्धारित होगा कि आप किस तरह के निवेशक हैं।
1- कम जोखिम वाले शेयर
सबसे पहले बात करते हैं, उन लोगों की जो जरा से जोखिम से घबराकर दुखी हो जाते हैं। वे ऐसा निवेश चाहते हैं, जहां से उन्हें एक निश्चित रकम मिलती रहे। ऐसे निवेशक हमेशा उन उपायों की तलाश में रहते हैं जिनसे इनके निवेश पर कोई खतरा नहीं आए। ये लोग ऐसी कंपनियों को पसंद करते हैं, जहां से ज्यादा से ज्यादा डिविडेंड मिलता है या फिर ऐसी कंपनियां इन्हें आकर्षित करती हैं, जो आनुपातिक रूप से ज्यादा रकम देती हैं। ये लोग ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनका लाभ कमाने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा हो ताकि उनके पास पैसा आने का क्रम वैसा ही बना रहे जैसा तयशुदा बॉण्ड्स से आता है। अपने निवेश की सुरक्षा के प्रति ये इतने सावधान रहते हैं कि ये ऐसी कंपनियों को प्राथमिकता देते हैं, जिनके शेयरों की कीमत से ज्यादा उनकी बुकवैल्यू होती है। ऐसे शेयरों को ये लोग सस्ता मानते हैं, क्योंकि उन्होंने जितनी कीमत दी है उससे ज्यादा उन्हें मिल रहा होता है। जिन शेयरों की कीमत कम है शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें उन्हें ये ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उनमें बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
2- जोखिम के साथ अधिक कमाई
दूसरी ओर हैं, समझ-बूझ के साथ चलने वाले निवेशक। वे ऐसी अच्छी कंपनियों की तलाश में रहते हैं जिनकी बिक्री, कमाई और संपत्ति की वृद्धि का प्रमाण लगातार अच्छा रहा हो। ऐसी कंपनियां अच्छी तरह चलाई जाती हैं और उनका प्रबंधन भी व्यवस्थित होता है। जरूरी नहीं कि ऐसे निवेशक सिर्फ डिविडेंड पर ही ध्यान दें। वे यह भी देखते हैं कि कंपनी सारे आर्थिक पैमानों पर विकसित हो रही है या नहीं। कंपनी कितना देगी, इसकी तुलना में वे यह देखते हैं कि शेयर मार्केट में बढ़ती कीमत के कारण होने वाला फायदा क्या है।
यह तबका अच्छी कंपनियों के शेयरों पर नज़र रखता है और अगर बाज़ार में उनके मनपसंद शेयरों की कीमत अचानक ही ज्यादा गिर जाती है तो वे उन शेयरों को खरीदने का अच्छा मौका मानते हैं। उनके पोर्टफोलियो में शेयर हों तो भी वे कम कीमत के ज्यादा शेयर खरीद कर अपने पास मौजूद शेयरों की औसत कीमत को संतुलित करने का प्रयत्न करते हैं। इन लोगों की दिलचस्पी स्मॉल और मिडकैप में भी होती है, क्योंकि इनकी नज़र बाज़ार में उभरने वाली रिलायंस जैसी कंपनियों पर होती है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
3- आक्रामक शेयर धारक
कुछ निवेशक होते हैं जो हमेशा तेज रफ्तार में रहते हैं। वे हमेशा तेज शेयरों को पकड़ते हैं, ये लोग अपना बहुत सारा समय इस अध्ययन में लगाते हैं कि बाज़ार के बड़े शेयरों में उठने-गिरने का सिलसिला कैसा व किस तरह रहा है, और फिर वे सबसे ऊंची लहर पर सवार हो जाते हैं। ये लोग कम कीमत वाले ऐसे शेयरों की खोज में रहते हैं जिनमें कम निवेश से ज्यादा कमाई की संभावना होती है। इस तरह के निवेशक बाज़ार की खबरों पर पैनी नज़र रखते हैं, कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं और इनके मामले मेंअफवाहों का भी शेयरों की कीमत पर असर होता है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
4- ठंडे दिमाग वाले शेयर धारक
इन तीन तरह के निवेशकों के बीच कहीं वे निवेशक भी आते हैं जो बड़े ठंडे मन से निवेश की योजना बनाते हैं। वे यह तो मानते हैं कि उनके पोर्टफोलियो में शेयर जरूर होने चाहिए और जिसे वे अच्छी कंपनी मानते हैं उनके शेयर खरीदते भी हैं, लेकिन एक बार खरीदने के बाद वे उनका खास कुछ करते नहीं हैं।
शेयर मार्किट के फायदे और नुक्सान को समझें
इन सभी तरह के निवेशों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। कोई कंपनी किसी निवेशक को किसी मामले में अच्छी लगती है, तो दूसरे को नहीं लगती। जो कंपनी अच्छा डिविडेंड देती है, उसे सावधानी से निवेश करने वाला निवेशक पसंद करेगा, लेकिन वह निवेशक पसंद नहीं करेगा जो यह मानता है कि कंपनी का काम शेयर धारकों को नकद पैसे बांटना नहीं है बल्कि कमाई को व्यवसाय में लगाकर, कंपनी का विकास करना है। वह शेयर बाज़ार की तरफ देखता है तो यह देखता है कि कौन से शेयर की कीमत बढ़कर, उसके निवेश पर ज्यादा लाभ देगी। इसी तरह जिन शेयरों में उतार-चढ़ाव ज्यादा तेज होता है, सावधान निवेशक उसे खतरनाक मानता है।
शेयरों की सूची बनाएं और अध्ययन करें
बहरहाल निवेश में खतरे को लेकर आपका रवैया चाहे जो भी हो, जब आप खरीदने के लिए शेयर चुनते हैं तो कुछ सरल, सामान्य नियमों का ध्यान रखें। आप शेयरों की एक सूची बनाइए-‘सबसे तेज चढ़ने वाले’, ‘सबसे अधिक डिविडेंड देने वाले’ या ‘तेज शेयर’। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
इंटरनेट पर आपको यह जानकारी बिना किसी खर्च के मिल जाएगी। एक बार आपकी यह सूची बन जाती है तो शेयरों के चयन के सामान्य नियमों का पालन करें। कुछ आधारभूत विशेषताओं को देखिए, जैसे उस कंपनी की बिक्री, लाभ और संपत्ति में वृद्धि कितनी हुई। उसका अच्छा व्यावसायिक ढांचा और अच्छी प्रशासकीय व्यवस्था पहली जरूरत है। उसके पिछले 3 से 5 साल का विवरण देखें तो इसका पूरा अंदाज मिल जाता है कि यह कंपनी वैसे ही पैसा लगाने वाले किसी पूंजीपति का शौक भर है या कि इसके पांव मजबूत हैं।
शेयर मार्किट के उतार चढ़ाव को समझें
शुरू के थोड़े वक्त में ऐसा होता है कि निवेशकों की सामूहिक मनोस्थिति शेयरों की कीमतों में फर्क लाती है। ज्यादातर ऐसा होता है कि अच्छा नतीजा आने से शेयर की कीमत गिर जाती है, क्योंकि बाज़ार में वैसी ही अपेक्षा बनी हुई थी, इसलिए जब ऐसा होता है तो बाज़ार उसे कम करके आंकता है। कोई भी एक नई खबर कीमत को ऊपर या नीचे लाने का कारण बन जाती है। जब किसी प्रतिकूल खबर की आशंका हो तो उससे भी कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि माना जाता है कि इस कंपनी शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें का बुरा वक्त बीत रहा है और अब कुछ अच्छा घटित होगा। भले आपको लगे कि इस बात पर कैसे भरोसा किया जाए पर यह सच है कि बाज़ार में हर निवेशक के नजरिये का संयुक्त असर पड़ता है।
शेयर बाजार की सावधानी
हर सामान्य आदमी इस बाज़ार के बारे में परेशान रहता है, क्योंकि यहां की कोई बात उसे समझ में नहीं आती है। उन सब को मेरी सलाह है कि आप अपने मन की सुनिए। निवेश के बारे में सबसे सही फैसला आपकी अपनी समझ ही कर सकती है। वैसे शेयर न खरीदें, जिन्हें आपकी बुद्धि और समझ पसंद नहीं कर रही हो और इस बात का ध्यान रखें कि आपका सारा पैसा एक ही कंपनी में निवेश न किया गया हो। बाज़ार में उड़ती अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए। अफवाहें बना-बनाया खेल बिगाड़ देती हैं ।।
Russia Attacks Ukraine: स्टॉक मार्केट्स क्रैश होने से डर गए हैं, जानिए आपको क्या करना है
कुछ इनवेस्टर्स को तो पूंजी डूबने का डर भी सता रहा है। लेकिन, आपने अगर शेयरों में इनवेस्ट किया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इस मुश्किल घड़ी में मनीकंट्रोल आपके साथ है। वह आपको बता रहा है कि आपको अभी क्या करने की जरूरत है
कई इनवेस्टर्स खुद ही शेयर खरीदने की फैसले लेते हैं। कुछ ने तो डेरिवेटिव में भी ट्रेडिंग शुरू की है। अभी सावधानी बरतने का वक्त है। आपको उन शेयरों में इनवेस्ट नहीं करना चाहिए, जिनके बारे में आपको कुछ पता नहीं है।
यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Attacks on Ukraine) से स्टॉक मार्केट्स क्रैश (Stock Markets Crash) कर गया है। 2,000 अंक तक गिरने के बाद सेंसेक्स (Sensex) दिन में 11:44 बजे 1600 अंक से नीचे चल रहा था। यही हाल निफ्टी (Nifty) का भी है। वह 440 अंक की कमजोरी दिखा रहा है। इस गिरावट ने शेयरों के निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। उन्हें बड़े नुकसान का डर सता रहा है। अगर गिरावट और बढ़ती है तो उनका पूरा मुनाफा साफ हो जाएगा।
कुछ इनवेस्टर्स को तो पूंजी डूबने का डर भी सता रहा है। लेकिन, आपने अगर शेयरों में इनवेस्ट किया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इस मुश्किल घड़ी में मनीकंट्रोल आपके साथ है। वह आपको बता रहा है कि आपको अभी क्या करने की जरूरत है।
1. अपना सिप (SIP) बंद नहीं करें
शेयर बाजार में गिरावट से घबराकर आपको अपना सिप बंद नहीं करना है। हमारी इस सलाह के पीछे ठोस आधार है। आईडीएफसी म्यूचुअल फंड (IDFC Mutual Fund) की स्टडी से पता चलता है कि अगर 2020 में कोरोना शुरू होने पर शेयर मार्केट में क्रैश के बाद भी जिन इनवेस्टर्स ने अपने सिप जारी रखे हैं उन्हें उन लोगों के मुकाबले कई गुना ज्यादा प्रॉफिट होगा, जिन्होंने घबराकर अपने सिप बंद कर दिए थे।
भास्कर नॉलेज सीरीज: एक्सपर्ट्स ने कहा- शेयर बाजार से फायदे के लिए धैर्य, समझ और समय की परख जरूरी
शेयर बाजार में निवेश से कतराते हैं कई लोग
मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा, देश में शेयर बाजार में निवेश करने वालों की संख्या 8 करोड़ पार कर गई है। इसमें भी सालभर के भीतर 2 करोड़ से ज्यादा निवेशक जुड़े हैं। लेकिन अधिकांश निवेशक शेयर बाजार में निवेश और फायदा कमाने के मूलभूत नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे भी कई निवेशक हैं जो शेयर बाजार में निवेश से कतराते हैं।
उन्होंने कहा, म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर बहुत ही अनुभवी होते हैं। इनसे कम जोखिम के साथ अपने निवेश पर अधिक फायदा ले सकते हैं। मार्केट में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ज्यादा लालच करने या बहुत ज्यादा डरने से स्टॉक मार्केट से लाभ नहीं कमाया जा सकता।
इन एक्सपर्ट ने कई वास्तविक कहानियों से शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करके सैकड़ों गुना लाभ कमाने वाले लोगों का उदाहरण दिया। एक्सपर्ट्स ने शेयर बाजार में निवेश के लिए किन बातों का ध्यान रखें और किन गलतियों से बचें, इस पर कई सुझाव भी दिए।
इस मौके पर दैनिक भास्कर समूह के चेयरमैन स्वर्गीय रमेशचंद्र अग्रवाल के शून्य से शिखर तक पहुंचने के सफर को भी याद किया गया। कार्यक्रम का संचालन सीएनबीसी आवाज के पूर्व प्रबंध संपादक आलोक जोशी ने किया। दैनिक भास्कर समूह के डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल भी वेबिनार में मौजूद थे।
Russia Attacks Ukraine: स्टॉक मार्केट्स क्रैश होने से डर गए हैं, जानिए आपको क्या करना है
कुछ इनवेस्टर्स को तो पूंजी डूबने का डर भी सता रहा है। लेकिन, आपने अगर शेयरों में इनवेस्ट किया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इस मुश्किल घड़ी में मनीकंट्रोल आपके साथ है। वह आपको बता रहा है कि आपको अभी क्या करने की जरूरत है
कई इनवेस्टर्स खुद ही शेयर खरीदने की फैसले लेते हैं। कुछ ने तो डेरिवेटिव में भी ट्रेडिंग शुरू की है। अभी सावधानी बरतने का वक्त है। आपको उन शेयरों में इनवेस्ट नहीं करना चाहिए, जिनके बारे में आपको कुछ पता नहीं है।
यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Attacks on Ukraine) से स्टॉक मार्केट्स क्रैश (Stock Markets Crash) कर गया है। 2,000 अंक तक गिरने के बाद सेंसेक्स (Sensex) दिन में 11:44 बजे 1600 अंक से नीचे चल रहा था। यही हाल निफ्टी (Nifty) का भी है। वह 440 अंक की कमजोरी दिखा रहा है। इस गिरावट ने शेयरों के निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। उन्हें बड़े नुकसान का डर सता रहा है। अगर गिरावट और बढ़ती है तो उनका पूरा मुनाफा साफ हो जाएगा।
कुछ इनवेस्टर्स को तो पूंजी डूबने का डर भी सता रहा है। लेकिन, आपने अगर शेयरों में इनवेस्ट किया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। इस मुश्किल घड़ी में मनीकंट्रोल आपके साथ है। वह आपको बता रहा है कि आपको अभी क्या करने की जरूरत है।
1. अपना सिप (SIP) बंद नहीं करें
शेयर बाजार में गिरावट से घबराकर आपको अपना सिप बंद नहीं करना है। हमारी इस सलाह के पीछे ठोस आधार है। आईडीएफसी म्यूचुअल फंड (IDFC Mutual Fund) की स्टडी से पता चलता है कि अगर 2020 में कोरोना शुरू होने पर शेयर मार्केट में क्रैश के बाद भी जिन इनवेस्टर्स ने अपने सिप जारी रखे हैं उन्हें उन लोगों के मुकाबले कई गुना ज्यादा प्रॉफिट होगा, जिन्होंने घबराकर अपने सिप बंद कर दिए थे।
शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें
वर्ष 2008 में अचानक आई मंदी के बाद किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि 2009 में बाजार में इस कदर तेजी आएगी और यह सत्रह हजार के आंकड़े को पार कर लेगा।
अगर निवेशकों ने इस मौके का फायदा उठकार इंडेक्स फंडों में भी निवेश किया होता तो उन्हें इस समय सौ फीसदी रिटर्न की प्राप्ति हुई होती। यही नहीं, कुछ इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों में निवेश का इससे भी कहीं अधिक फायदा मिला होता। लेकिन मार्च से बाजार ने जिस तरह से तेजी पकडी, उसके इस साल यानी 2010 में जारी रहने की संभावना कम बताई जा रही है।
बाजार के जानकार तो पहले ही कहने लगे हैं कि निवेशकों को मझोली कंपनियों में निवेश का बेहतर मौका तलाशना चाहिए। लेकिन मझोली कंपनियों में निवेश के साथ हमेशा जोखिम लगा रहता है। इसकी वजह यह होती है कि बडी क़ं पनियों की तरह मझोली कंपनियों के बारे में उतने शोध नहीं किए जाते हैं, इसलिए कहीं न कहीं रिटर्न के मामले में पिछड़ने का डर तो बना ही रहता है।
जाहिर सी बात है, ऐसे में इन कंपनियों के बीच में से कोई बेहतर विकल्प चुनना अपने में आप में एक चुनौती है। सामान्य तौर पर देखा गया है कि छोटी और मझोली कंपनियों के सूचकांक चढ़ते बाजार में सेंसेक्स और निफ्टी से आगे निकल जाते हैं। इसकी वजह यह है इनमें से कई कंपनियों के पास बीटा शेयर होते हैं।
कहने का सीधा सा मतलब यह है कि अगर सेंसेक्स में 1 फीसदी की तेजी आती है तो मझोली कंपनियों में 1.5-2 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। दूसरी तरफ बाजार में गिरावट के समय इन सूचकांकों में काफी तेजी से गिरावट आती है।
छोटी और मझोली कंपनियों में निवेश दो तरीके से किया जा सकती है। एक तो इनमें सीधे तौर पर निवेश किया जा सकता है या फिर दूसरा तरीका है म्युचुअल फंड।
म्युचुअल फंड रेटिंग ऐजेंसी वैल्यू रिसर्च के अनुसार जो योजनाएं अपनी पोर्टफोलियो का 40 फीसदी हिस्से का निवेश छोटी और मझोली कंपनियों में करती हैं, वे छोटी और मझोली योजनाएं (स्मॉल ऐंड मिड कैप स्कीम) कहलाती हैं। ऐसे फंड जो अपने पोर्टफोलियो का 40 फीसदी से ज्यादा का निवेश बड़ी कंपनियों में करते हैं, वे लार्ज कैप फं ड कहलाते हैं।
बरतें सावधानी
मिड कैप फंड में निवेश करते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं।
बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य कार्याधिकारी ए बालासुब्रमण्यन कहते हैं 'किसी भी मिड कैप फंड में निवेश करते समय इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि फं ड किन शेयरों में निवेश कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि कई ऐसी कंपनियां होती हैं जो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बडी क़ंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं।'
कई ऐसे फंड भी होते हैं, जो वाकई जोखिम लेने का माद्दा रखते हैं। ये फंड बेहतर संभावनाओं वाले शेयरों का चयन कर उन पर दाव खेलते हैं। नतीजतन, बाजार के बेहतर करने की स्थिति में उन्हें काफी फायदा मिलता है, जबकि बाजार के धराशायी होने की स्थिति में इन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है।
आप जोखिम लेने की क्षमता का ध्यान रख ऐसे मिड कैप फंड का चयन कर सकते हैं, जो एक बड़े हिस्से का निवेश बडी क़ंपनियों में करते हैं या फिर जिनके जोखिम उठाने की क्षमता काफी अधिक होती है। सेक्टर और शेयर दोनों नजरिये से योजनाओं में काफी विविधता होनी चाहिए।
जिन योजनाओं में विवधिता ज्यादा होती है, वे नुकसान के जोखिम को काफी हद तक कम करती हैं। इस बाबत बालासुब्रमण्यन कहते हैं 'कोई भी ऐसे मिड कैप फंड जिनके पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या 20 से कम होती है और वह कुछ क्षेत्रों में ही निवेश करते हैं, उनमें जोखिम का खतरा ज्यादा होता है।'
देखें पिछला प्रदर्शन
मिड कैप योजनाओं में निवेश करने से पहले इनके कम से कम पिछले 3-4 सालों के प्रदर्शन पर जरूर गौर करना चाहिए। इसके अलावा सालाना प्रदर्शन पर भी नजर रखने की खासी जरूरत होती है।
इसे आप को यह जानने में आसानी होगी कि विभिन्न समय में इन योजनाओं का प्रदर्शन कैसा रहा है। इसके बाद इनकी तुलना बाजार में मौजूद योजनाओं से की जानी चाहिए। उदाहरण के तौर पर मान लें कि एक फंड की शुरुआत 2005 में हुई है और 2005-07 के बीच की अवधि में फं ड के प्रदर्शन में तेजी आई है, लेकिन फिर 2008 में इसे गिरावट के दौर से गुजना पडा है।
वर्ष 2009 में इसके प्रदर्शन में सुधार होता है। इन विभिन्न अवधि के बीच में फंड के प्रदर्शन से आपको फंड प्रबंधक की क्षमता का पता चलता है। इन दो मानदंडों के अलावा अपेक्षाकृत कम कोष वाली योजनाओं को चुनें, क्योंकि ये जल्द ही शेयरों में निवेश या इससे बाहर निकल सकती हैं।
मिड कैप शेयरों में निवेश करना ज्यादा मुश्किल होता है। लेकिन ऐसे लोग जो निवेश की तेजी से शरूआत करना चाहते हैं वे कं पनी के फंड जुटाने के तरीकों पर गौर कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट गुल टेकचंदानी कहते हैं 'अगर कंपनी ने कई बार शेयर बाजार से पूंजी जुटाई है तो फिर ऐसी कंपनी में निवेश से बचा जाना चाहिए।'
बिजनेस मॉडल अहम
इसके अलावा कंपनी का बिजनेस मॉडल भी बढ़िया होना चाहिए। ऐंजल ब्रोकिंग के हितेश अग्रवाल के अनुसार 'अगर किसी मिड कैप कंपनी की प्रतिद्वंद्वी बडी क़ंपनियां होती हैं तो उसके लिए अच्छा प्रदर्शन कर पाना मुश्किल होता है, लेकिन अगर प्रतिस्पर्ध्दी कमजोर है तो बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।'
इसके लिए हितेश एनआईआईटी टेक्नोलॉजी का उदारहण देते हैं, जो आईटी सेवा प्रदाता कंपनी होने के बाजवूद दूसरे कारोबार में भी हाथ आजमा रही है। यह बैंकों को आईटी सॉल्यूशंस मुहैया कराने के अलावा, वित्तीय सेवा और बीमा, परिवहन और खुदरा और वितरण का भी कार्य करती है।
ऐसे निवेशकों जिन्हें ज्यादा अनुभव नहीं होता है वे अधिक से अधिक प्रतिफल के लालच शेयर मार्केट में निवेश करते वक्त ये सावधानियां रखें में फंस जाते हैं। अपने पोर्टफोलियो का 10-20 फीसदी हिस्सा ही इन योजनाओं या शेयरों में रखें। ऐसे निवेशक जो शुरुआत करना चाहते हैं, उनके लिए लार्ज कैप या इंडेक्स फंड बेहतर हैं।