ऑनलाइन निवेश

किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

लेकिन आप ब्रोकर के बिना डीमैट खाता कैसे खोलते हैं?

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डीमैट अकाउंट क्या होता है

डीमैट अकाउंट या डीमटीरियलाइज़ेशन अकाउंट आपके शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखने के लिए एक वर्चुअल लॉकर है। सेबी (SEBI) ने अनिवार्य किया है कि शेयर, म्यूचुअल फंड और अन्य पूंजी बाजार के साधन डिमटेरियलाइज़्ड रूप में होने चाहिए जिसे डीमैट अकाउंट कहा जाता है। डीमैट खाता भौतिक शेयर प्रमाण पत्र रखने की आवश्यकता को समाप्त करता है। शेयरों को आपके डीमैट खाते में या कहते से ऑनलाइन स्थानांतरित किया जा सकता है। डीमैट अकाउंट डीपी या डिपॉजिटरी प्रतिभागी के माध्यम से खोला जाता है, जैसे कि बैंक, स्टॉकब्रोकर, ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आदि। आप कहीं भी जाएं, आप अपने डीमैट खाते को ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं।

ऑनलाइन अकाउंट शुरू करने के कारण ऑनलाइन ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट करना आसान और तेज़ हो गया है जो आपको ऑर्डर देने और कुछ ही मिनटों में ट्रेड करने में मदद करता है। यह आपके लेन-देन का एक डिजिटल रिकॉर्ड भी रखता है और खाते के लाभार्थी को उनकी प्रतिभूतियों की निगरानी करने में सक्षम बनाता है, हालांकि वे जब पसंद करते हैं तब। अलग-अलग डीपी (DP) अलग-अलग खता खोलने की दर लगाते हैं। कुछ डीपी (DP) जैसे बैंक जिनके साथ आपके पास पहले से सेविंग या करंट अकाउंट है, आपको बिना किसी शुल्क के डीमैट अकाउंट खोलने की अनुमति देंगे ।

जिस संस्थान में आप अपना डीमैट खाता खोलना चाहते हैं, वह डिफ़ॉल्ट रूप से आपका ब्रोकर बन जाता है। क्या वे आपकी निवेश यात्रा में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और उनका ब्रोकरेज शुल्क उस ब्रोकिंग पार्टनर के प्रकार पर निर्भर करेगा जिसके साथ आप अपना डीमैट खाता खोलना चाहते हैं। आपके डीमैट खाते की प्रतिभूतियों का लेन-देन केवल आप ही कर सकते हैं। डीपी (DP) केवल NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉजिटरी लिमिटेड) या CDSL (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज़ लिमिटेड) और अकाउंट होल्डर के बीच मध्यस्थ है। आपके होल्डिंग को ट्रैक करने के लिए दो सरकारी नियमित केंद्रीय डिपॉजिटरी जिम्मेदार हैं।

विभिन्न प्रकार के ब्रोकर

अपना डीमैट खाता कहां खोलना है, यह तय करना इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको अपने ब्रोकर से किस प्रकार की सेवाओं की आवश्यकता है। व्यापक रूप से, दो प्रकार के ब्रोकर हैं। एक डिस्काउंट ब्रोकर और एक सर्विस ब्रोकर। डिस्काउंट ब्रोकर केवल उन निर्देशों का पालन करता है जो आप उन्हें देते हैं। वे आपके इनपुट के आधार पर सिक्योरिटीज़ या बिक्री में इन्वेस्ट करते हैं। दूसरी ओर सर्विस ब्रोकर आपको विकल्प प्रदान करता है और स्टॉक, आईपीओ (IPO), इंश्योरेंस और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट जैसे विभिन्न ट्रेड करने में आपकी सहायता करता है। अगर आप सर्विस ब्रोकर के माध्यम से इन्वेस्ट करते हैं, तो ब्रोकरेज शुल्क पर ध्यान दें। वे एक फ्लैट मूल्य निर्धारण योजना या वॉल्यूम-लिंक्ड योजना की पेशकश कर सकते हैं। एक फ्लैट मूल्य निर्धारण योजना एक फ्लैट दर है जो आकार या मूल्य की परवाह किए बिना सभी लेनदेन पर लगाया जाता है। वॉल्यूम-लिंक्ड प्लान एक गतिशील प्लान है जहां कमीशन शुल्क व्यापार की मात्रा के अनुपात में विपरीत रूप से आनुपातिक होते हैं। ट्रेड की वैल्यू जितनी अधिक होगी, ब्रोकरेज शुल्क कम होगा। आप कितनी बार ट्रेड करने की योजना बना रहे हैं और आपकी समग्र निवेश रणनीति के आधार पर, ब्रोकर की पसंद एक निवेशक से दूसरे में भिन्न होगी।

स्टॉक मार्केट में नए रिटेल इन्वेस्टर के लिए, सर्विस ब्रोकर का विकल्प चुनने की सलाह दी जाती है। हालांकि, फाइनेंस, ट्रेडिंग और डिस्काउंट ब्रोकर में बैकग्राउंड वाले अनुभवी इन्वेस्टर के लिए या मोबाइल या डेस्कटॉप ट्रेडिंग एप्लीकेशन के माध्यम से इन्वेस्ट करना एक उपयोगी चैनल है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस प्लेटफॉर्म के साथ निवेश करना चाहते हैं, डीपी ब्रोकरेज शुल्क मांगेगा। ब्रोकरेज शुल्क के बिना कोई डीमैट अकाउंट नहीं है।

ंड का प्रवाह

स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए आपको तीन प्रकार के अकाउंट को ऐक्टिवेट करना होगा। बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट अकाउंट। ये तीन अकाउंट लिंक होने चाहिए। ट्रेडिंग अकाउंट का उपयोग ट्रेड चलाने या अपने स्टॉक, शेयर, कमोडिटी आदि को खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है। खरीदारी और इन्वेस्टमेंट करने के लिए पैसे आपके बैंक अकाउंट या सेविंग अकाउंट से आते हैं। शेयर, बॉन्ड, इंस्ट्रूमेंट आदि खरीदे जाने के बाद, उन्हें आपके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है। अगर आप म्यूचुअल फंड के शेयर या यूनिट बेचना या रिडीम करना चाहते हैं, तो आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से बेचने के लिए ऑर्डर दे सकते हैं। यूनिट या शेयरों को डीमैट खाते से डेबिट कर दिया जाएगा और बिक्री से प्राप्त आय आपके बैंक खाते में डेबिट कर दी जाएगी।

जिस संस्थान में आपका बैंक खाता है, उसके साथ डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलना या उसी यूनिट के साथ डीमैट, ट्रेडिंग और बैंक खाता खोलना निवेश की प्रक्रिया को परेशानी मुक्त बनाता है।

आवश्यक दस्तावेज

डीमैट खाता खोलने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की जा सकती है। ब्रोकरेज फर्म आपको एप्लीकेशन फॉर्म और केवाईसी (KYC) फॉर्म प्रदान करेगी और आपकी ओर से ट्रेड और फंड के सेटलमेंट के लिए एप्लीकेंट द्वारा हस्ताक्षरित फर्म के नाम पर किए गए पावर ऑफ अटॉर्नी का अनुरोध करेगा।

डीमैट अकाउंट खोलना कुछ आसान चरणों में किया जा सकता है। निवेशक के लिए और बिज़नेस करने में आसानी के लिए इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और सरल बनाया गया है। कुछ आसान चरणों में, आप अपनी पसंद के डीपी (DP) के साथ डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और आज ही इन्वेस्ट करना शुरू कर सकते हैं।

स्टॉक ब्रोकर नौकरी| सैलरी| 2022| Stock Broker Kya Hota Hai

स्टॉक ब्रोकर क्या होता है – stock broker kya hota hai, शेयर मार्केट में ब्रोकर का क्या काम होता है?

दोस्तों, इस लेख में हम शेयर मार्किट में उपयोग होने बाले ब्रोकर (broker) के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे. क्योकि बिना ब्रोकर के शेयर को खरीद या बेच नहीं सकते है. इस समय सभी लोग share market की तरफ आना चाहते है और काफी लोग निवेश भी कर चुके है. जब से इन्टरनेट का दौर आया है तब से ज्यादातर कार्य ऑनलाइन होने लगे है.

पहले के लोग सिटी में ही निवेश करते थे लेकिन अब गाँव के लोग भी निवेश करने लगे है यह सिर्फ इन्टरनेट के करण संभव हुआ है. इसलिए शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए बेसिक जानकारी पता होना चाहिए जिससे आगे आपको कोई समस्या ना हो.

Stock broker kya hota hai के बारे मे अच्छे से समझाने की कोशिश करेंगे ताकि आपको एक बेसिक ज्ञान मिलते रहे। तो चलिए मे आपको step by step जानकारी इस पोस्ट के जरिये बता रहे है.

जैसा की आपको पता है की डायरेक्ट शेयर मार्किट में जाकर किसी कंपनी के शेयर नहीं खरीद सकते है उसके लिए एक कंपनी या ऐसा रास्ता चाहिए जो मार्केट में जाकर आपके आर्डर को पहुचाएं, उसको हम stock broker कहते है. ब्रोकर हमारे आर्डर को stock exchange NSE या BSE में पहुचाते है और ये ब्रोकर कंपनिया कुछ फीस लेती है जिनको हम ब्रोकरेज या दलाली कहते है. ब्रोकर अपनी फीस को लेकर हमारे आर्डर को मार्किट में प्लेस करते है जिसको stock broker कहते है.किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

स्टॉक ब्रोकर किस तरह से काम करता है (Stock Broker Kya Hota Hai)

शेयर मार्किट में शेयर को sell और buy के लिए stock broker में ट्रेडिंग account बनाना होता है. इसके जरिये ही हम मार्किट मे आप आर्डर लगाते है की हमें किस शेयर को किस समय ख़रीदे और कब बेचे, कितनी क्वांटिटी ख़रीदे. ये कुछ ही सेकंड में अपने आर्डर को मार्किट में पंहुचा देते है.Stock broker kya hota hai

इसका प्रोसेस कुछ इस तरह है –

मान लीजिये की आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट से TCS कंपनी के 20 शेयर खरीदने का आर्डर दिया अब आर्डर को प्लेस करते ही stock ब्रोकर आपके आर्डर को शेयर मार्किट में ले जायगा. और जो व्यक्ति TCS कंपनी के शेयर को बेचने के लिए खोज रहा होगा. इस प्रोसेस में आप शेयर को खरीद रह है और वो व्यक्ति शेयर को बेच रहा है. ये मैचिंग आर्डर हुआ जिसमे वह आपके आर्डर को आप तक पंहुचा देगा ये काम stock broker करते है.

Stock broker कितने प्रकार के होते है?

स्टॉक ब्रोकर 2 प्रकार के होते है-

1.फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर (Full-Service Broker)

2.डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर (Discount Stock Broker)

1.फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर (Full-Service Broker)-

ये ब्रोकर फुल सर्विस प्रोवाइड करते है लेकिन इसमें sell और buy की सुविधा नहीं मिलती है. इसमें कई अन्य सर्विस प्रोवाइड होती है जैसे कौनसा शेयर खरीदना है, कितने शेयर खरीदना है, और उसे कब बेचना है ये सभी जानकारी Full-Service Broker में मिलती है.

यदि जब भी आप कोई stock खरीद रह है और पैसे कम है तो ऐसे में आपको margin money की सुविधा मिलती है. यदि आप “इनिशियल पब्लिक ओफ्फेरिंग” के जरिये शेयर को खरीद रह है तो आप फ़ोन से कॉल करके या इन्टरनेट एप्लीकेशन की मदद से अपने दिय गय आर्डर को प्लेस कर सकते है. इस ब्रोकर में आपको पोर्टफोलियो मैनेज की सुविधा मिलती है.

2. डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर (Discount Stock Broker)-

ट्रेडर इस ब्रोकर के नाम से ही पता चल रहा है की ये Discount Stock Broker है. यहाँ पर ब्रोकर की फीस कम होती है कम पैसो में आपको आर्डर को मार्किट में प्लेस किया जाता है. डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर की तरफ से कोई भी सर्विस नहीं मिलेगी, आपको खुद ही खोज कर प्लेस करना होता है. इस ब्रोकर में आपको पोर्टफोलियो मैनेज की सुविधा नहीं मिलती है.

Top 10 Stock Brokers in India 2022

2 Angel Broking

3 India Infoline

4 Motilal Oswal

9 HDFC Security

लोगों दोवारा पूछे गय सवाल –

स्टॉक ब्रोकर की सैलरी कितनी होती है?

यदि आपको स्टॉक ब्रोकर के बारे में पूरी जानकारी है तो आप अपने लिए खुद का ऑफिस खोल कर व्यापार शुरू कर सकते है. वही दूसरी तरफ आप किसी कंपनी में जॉब करते है तो आपको प्रतेक महीने सुरुआती में ₹25000 से लेकर ₹40000 तक सैलरी मिलेगी.

जिस तरह से आपको अनुभव होगा ठीक उसी तरह से सैलरी भी बढेगी. अच्छी योग्यता होने पर आपको महीने में 1 लाख सैलरी भी मिलने लगेगी. आप चाहे तो इसे side income के तौर पर कर सकते है.

स्टॉक मार्केट में नौकरी – Job in Stock Market

हम आपको ज्ञात कराते है की स्टॉक मार्किट में जॉब करने पर आपको क्या-क्या कार्य करने को मिलेंगे. स्टॉक मार्किट में सिक्योरिटी एनालिस्ट, स्टॉक ब्रोकर्स, सिक्योरिटी रिप्रेजेंटेटिव एवं कैपिटल मार्केट स्पेशलिस्ट, मार्केटिंग एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव आदि. स्टॉक मार्किट में सभी लेखा-जोखा तथा रिसर्च सम्बंधित हिसाब करना होता है.

स्टॉक ब्रोकर बनने के क्या फायदे है?

  1. ब्रोकर्स अपने अधिक मात्रा में ग्राहक होने पर ब्रोकरेज फीस ले सकता है.
  2. ग्राहक मैनेजमेंट और रिसर्च आदि की जिम्मेदारी sub broker को दे सकता है.
  3. जैसा की आपको पता है की स्टॉक मार्किट में अधिक पैसा है जिसमे आप स्टॉक ब्रोकर बने और सर्विस देकर अच्छी कमाई कर सकते है.
  4. जब आप स्टॉक ब्रोकर बन जायेंगे तो आपको शेयर मार्किट के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो जायगी. इसके माध्यम से आप शेयर मार्किट में पैसा इन्वेस्ट करके अच्छा पैसा कमा सकते है.
  5. इसके आलावा जो भी शेयर मार्किट में पैसा इन्वेस्ट करना चाहता है उसे आप राये, सलाह और अच्छा मार्गदर्शन देकर उनसे फीस भी ले सकते है.
  6. इसके आलावा youtube पर अपना channel बना सकते है और शेयर मार्किट से सम्बंधित जो भी जानकरी आपको है वह youtube पर विडियो के माध्यम से अपलोड कर सकते है.

इन्हें भी पढ़े –

शेयर मार्केट में ब्रोकर बनने के लिए क्या करना होगा?

यदि आप स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते है तो उसके लिए आपको financial market course करना होगा. इसके साथ में आपको economics, statistics, commerce, accountancy या Business Administrator इन सब्जेक्ट की ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ले सकते है यदि इसकी knowledge होगी तो काफी मदद मिलेगी.

यदि आपको course करना है तो National Stock Exchange का NCFM Course कर सकते है यह एक online certification program है. इस course को करने बाले को math या english होना बहुत जरुरी है. इसके तरह ही BSE institute भी online program प्रोवाइड करता है. स्टॉक ब्रोकिंग छेत्र रिस्क से भरा हुआ है. इसमें कम काम और अधिक समय का होता है बहुत अधिक प्रेशर भी होता है. Stock Broker Kya Hota Hai, स्टॉक ब्रोकर कैसे बने?

दलाल कितने प्रकार के होते हैं?

दलाल कई प्रकार के होते है-
ब्रोकर-डीलर
सीमा शुल्क दलाल
व्यापार दलाल
कार्गो ब्रोकर
ब्रोकरेज फ़र्म
ऑटो परिवहन दलाल
कमोडिटी ब्रोकर
सूचना दलाल

दलाल को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

दलाल किसे कहते है – दलाल (broker) वो होता है जो खरीदने बाले और बेचने बाले के बिच में सौदा कराने में मदद करता है जिसे हम english में broker कहते है.

स्टॉक ब्रोकर का मतलब क्या है?

काफी सारे लोगो को पता नहीं होगा की स्टॉक ब्रोकर का मतलब क्या है? दलाल (broker) दूसरे लोगों के बिच में ख़रीद-बिक्री का काम करता है जिसमे उसे कुछ मुनाफा मिलता है.

क्या मैं स्टॉक ब्रोकर बन सकता हूं?

स्टोक ब्रोकर बनने के लिए 21 वर्ष की आयु होना जरुरी है. स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए 10th या 12th पास होना चाहिए. इसके लिए आपको Partner or Authorized Assistant or Authorized Clerk or Remisier or Handyman 2 बर्ष का अनुभव होना चाहिए.

पूंजी में बढ़ोतरी करने के लिए सही ब्रोकर का करें चुनाव

ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है.

आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड (प्रोडक्ट्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन) विनीत अरोड़ा के मुताबिक, 'अगर आप फोन पर ऑर्डर प्लेस करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि ब्रोकर आपकी कॉल को सुने और उस पर प्रतिक्रिया दे।' दूसरा, आपको यह भी समझने की जरूरत है कि क्या आप अपने निवेश संबंधी फैसले खुद ले सकते हैं या इनके लिए आपको किसी की मदद चाहिए। ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है। ऐसे में लोग चाहते हैं कि उन्हें निवेश संबंधी फैसले करने में सलाह दी जाए। ऐसे मामले में यह जरूरी हो जाता है कि आप ऐसे ब्रोकिंग हाउस के पास जाएं जिसके पास अच्छी रिसर्च टीम हो और जो आपकी जरूरतों को समझ सके। शेयरखान के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट आर कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकर के पास यह क्षमता होनी चाहिए कि वह बिना किसी पक्षपात के रिसर्च और सेवाएं मुहैया करा सके।'

सेवा देने की क्षमता: अपने ब्रोकर का चयन करने के लिए यह एक बेहद जरूरी चीज है। जिस ब्रोकिंग फर्म का आप चयन कर रहे हैं, उसके पास आपकी जरूरतों के हिसाब से सेवाएं देने और आपकी जरूरतें समझने की क्षमता होनी चाहिए। अगर आप इलेक्ट्रॉनिक कॉपी के बजाय बिलों की फिजिकल कॉपी में ज्यादा सुविधाजनक महसूस करते हैं तो ब्रोकिंग फर्म ऐसी होनी चाहिए जो आपको बिल की फिजिकल कॉपी मुहैया करा सके। अगर शेयरों की बिक्री के बाद आप चेक चाहते हैं तो फर्म को इसे उस दिन आपके पास पहुंचाने की क्षमता होनी चाहिए। ये छोटी चीजें हैं, लेकिन इनसे आपको अपने ब्रोकर का चयन करने में आसानी होगी।

कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकरेज हाउस किस तरह से आपको सेवा दे रहा है यह किसी दूसरे ब्रोकरेज हाउस का चयन करने का अहम आधार होता है।' ऐसे में, अगर आपको बिल को लेकर कोई दिक्कत है या आपको किसी खास ट्रेड के बारे में जानकारी चाहिए तो ब्रोकिंग हाउस के पास ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए कि वह आपकी दिक्कत दूर कर सके। यह इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रांच, बैक ऑफिस या कॉल सेंटर के रूप में हो सकता है। कुछ ब्रोकिंग हाउस के पास कई भाषाओं वाले कॉल सेंटर होते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी मूल भाषा में ऑर्डर देते हैं या कोई दिक्कत बताते हैं तो उसे ब्रोकरेज हाउस आसानी से हल कर पाता है। इसके अलावा आजकल कई ब्रोकरेज हाउस ऐसे भी हैं, जो दिन के अंत में अपने क्लाइंट के पास ट्रेड की पुष्टि करने वाले, पैसा एकाउंट में डेबिट करने वाले टेक्स्ट मैसेज भी भेजते हैं। हालांकि, आप अगर अपने ट्रेड संबंधी फैसले खुद करने में यकीन रखते हैं तो आपको ऑनलाइन ब्रोकिंग या मोबाइल बैंकिंग का सहारा लेना चाहिए। अपने ब्रोकर को कॉल करने और फोन पर अपने टर्न के आने का इंतजार करने के अलावा आपको बैंक में चेक जमा करने और दूसरी दिक्कतों से भी राहत मिल जाती है। आज शेयरों के अलावा ब्रोकर पोस्ट ऑफिस स्कीमें और आईपीओ में आवेदन करने में मदद करने जैसे काम भी कर रहे हैं। बैंकों की ब्रोकरेज सेवाओं के साथ जुड़ने पर एक फायदा होता है कि आपका पैसा तभी खाते से जाता है, जब उससे ट्रांजैक्शन होता है। ऑनलाइन कारोबार के लिए ब्रोकर आपके सौदे प्लेस करने के लिए आपसे मार्जिन चेक की मांग करते हैं। आदर्श तौर पर, आपके ब्रोकर को आपके खाते के तीन जरियों से एक्सेस की सेवा ऑफर करनी चाहिए। पहला ऑनलाइन के जरिए, दूसरा- सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर के जरिए और तीसरा- नजदीकी शाखा के रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए। इस तरह की व्यवस्था से काफी आसानी होती है।

कमिशन और ब्रोकरेज: अक्सर छोटे ब्रोकरेज हाउस निवेशकों को लुभाने के लिए कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं। कुछ ब्रोकर्स ऐसे भी हैं, जो क्लाइंट के ऑनलाइन ट्रेडिंग करने पर कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं, लेकिन कॉल सेंटर या रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए होने वाले सौदों पर ज्यादा फीस लेते हैं। ऐसे में, हर तरीके से लगने वाले चार्ज के बारे में आपको भली-भांति पता कर लेना चाहिए। ब्रोकर के साथ जुड़ने से पहले अगर आप डेमो देख लें कि किस तरह से ट्रेडिंग की जा सकता है तो और भी अच्छा होगा, लेकिन कई बार सुस्त इंटरनेट कनेक्शन की वजह से ऑनलाइन ट्रेडिंग में ज्यादा दिक्कत हो सकती है। साथ ही, कुछ ट्रेडिंग टर्मिनलों पर तेज स्पीड वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन की भी जरूरत पड़ सकती है। चूंकि आप अपने वित्तीय ब्योरे और मेहनत से कमाई गई पूंजी का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में सिस्टम की सिक्युरिटी काफी पुख्ता होनी चाहिए। अच्छे ब्रोकिंग हाउस अपने यहां टर्मिनलों पर सिक्युरिटी को नियमित अंतराल पर चेक करते रहते हैं।

आखिरी बात यह है कि निवेशक को यह देखना चाहिए कि ब्रोकिंग हाउस अपने हितों से भी ऊपर अपने क्लाइंटों के हितों को रखे।

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

शेयर बाजार में शेयर खरीदन-बेचना बच्चों का खेल नहीं. इसके लिए आपको जरूरत होती है. ब्रोकर के चयन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान.

शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान

1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का किस ब्रोकर का उपयोग करना है? चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.

2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.

इसे भी पढ़ें: ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए MRP बताना अनिवार्य, सरकार का आदेश

3. ब्रोकिंग चार्जेज पर नजर
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

4. अन्य सुविधाएं के बारे में जानें
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

5. ब्रोकरेज की छवि जान लें
अपने ब्रोकर पर मुहर लगाने से पहले बाजार में उसकी छवि जान लें. ब्रोकर की सेवाओं और सुविधाओं की संतुष्टि के बाद ही उससे जुड़े. सभी ब्रोकरेज के खिलाफ दर्ज शिकायतों का ब्यौरा सेबी के पास मिल जाएगा.किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

(नोट: यह लेख सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग के विचारों से प्रभावित हैं. इस लेख में गिरिजा गाद्रे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता ने अहम योगदान दिया है.)

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पूंजी में बढ़ोतरी करने के लिए सही ब्रोकर का करें चुनाव

ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है.

आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड (प्रोडक्ट्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन) विनीत अरोड़ा के मुताबिक, 'अगर आप फोन पर ऑर्डर प्लेस करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि ब्रोकर आपकी कॉल को सुने और उस पर प्रतिक्रिया दे।' दूसरा, आपको यह भी समझने की जरूरत है कि क्या आप अपने निवेश संबंधी फैसले खुद ले सकते हैं या इनके लिए आपको किसी की मदद चाहिए। ज्यादातर निवेशकों के पास बाजार को ट्रैक करने के लिए वक्त और संसाधनों की कमी होती है। ऐसे में लोग चाहते हैं कि उन्हें निवेश संबंधी फैसले करने में सलाह दी जाए। ऐसे मामले में यह जरूरी हो जाता है कि आप ऐसे ब्रोकिंग हाउस के पास जाएं जिसके पास अच्छी रिसर्च टीम हो और जो आपकी जरूरतों को समझ सके। शेयरखान के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट आर कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकर के पास यह क्षमता होनी चाहिए कि वह बिना किसी पक्षपात के रिसर्च और सेवाएं मुहैया करा सके।'

सेवा देने की क्षमता: किस ब्रोकर का उपयोग करना है? अपने ब्रोकर का चयन करने के लिए यह एक बेहद जरूरी चीज है। जिस ब्रोकिंग फर्म का आप चयन कर रहे हैं, उसके पास आपकी जरूरतों के हिसाब से सेवाएं देने और आपकी जरूरतें समझने की क्षमता होनी चाहिए। अगर आप इलेक्ट्रॉनिक कॉपी के बजाय बिलों की फिजिकल कॉपी में ज्यादा सुविधाजनक महसूस करते हैं तो ब्रोकिंग फर्म ऐसी होनी चाहिए जो आपको बिल की फिजिकल कॉपी मुहैया करा सके। अगर शेयरों की बिक्री के बाद आप चेक चाहते हैं तो फर्म को इसे उस दिन आपके पास पहुंचाने की क्षमता होनी चाहिए। ये छोटी चीजें हैं, लेकिन इनसे आपको अपने ब्रोकर का चयन करने में आसानी होगी।

कल्याणरमण के मुताबिक, 'ब्रोकरेज हाउस किस तरह से आपको सेवा दे रहा है यह किसी दूसरे ब्रोकरेज हाउस का चयन करने का अहम आधार होता है।' ऐसे में, अगर आपको बिल को लेकर कोई दिक्कत है या आपको किसी खास ट्रेड के बारे में जानकारी चाहिए तो ब्रोकिंग हाउस के पास ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए कि वह आपकी दिक्कत दूर कर सके। यह इंफ्रास्ट्रक्चर ब्रांच, बैक ऑफिस या कॉल सेंटर के रूप में हो सकता है। कुछ ब्रोकिंग हाउस के पास कई भाषाओं वाले कॉल सेंटर होते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी मूल भाषा में ऑर्डर देते हैं या कोई दिक्कत बताते हैं तो उसे ब्रोकरेज हाउस आसानी से हल कर पाता है। इसके अलावा आजकल कई ब्रोकरेज हाउस ऐसे भी हैं, जो दिन के अंत में अपने क्लाइंट के पास ट्रेड की पुष्टि करने वाले, पैसा एकाउंट में डेबिट करने वाले टेक्स्ट मैसेज भी भेजते हैं। हालांकि, आप अगर अपने ट्रेड संबंधी फैसले खुद करने में यकीन रखते हैं तो आपको ऑनलाइन ब्रोकिंग या मोबाइल बैंकिंग का सहारा लेना चाहिए। अपने ब्रोकर को कॉल करने और फोन पर अपने टर्न के आने का इंतजार करने के अलावा आपको बैंक में चेक जमा करने और दूसरी दिक्कतों से भी राहत मिल जाती है। आज शेयरों के अलावा ब्रोकर पोस्ट ऑफिस स्कीमें और आईपीओ में आवेदन करने में मदद करने जैसे काम भी कर रहे हैं। बैंकों की ब्रोकरेज सेवाओं के साथ जुड़ने पर एक फायदा होता है कि आपका पैसा तभी खाते से जाता है, जब उससे ट्रांजैक्शन होता है। ऑनलाइन कारोबार के लिए ब्रोकर आपके सौदे प्लेस करने के लिए आपसे मार्जिन चेक की मांग करते हैं। आदर्श तौर पर, आपके ब्रोकर को आपके खाते के तीन जरियों से एक्सेस की सेवा ऑफर करनी चाहिए। पहला ऑनलाइन के जरिए, दूसरा- सेंट्रलाइज्ड कॉल सेंटर के जरिए और तीसरा- नजदीकी शाखा के रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए। इस तरह की व्यवस्था से काफी आसानी होती है।

कमिशन और ब्रोकरेज: अक्सर छोटे ब्रोकरेज हाउस निवेशकों को लुभाने के लिए कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं। कुछ ब्रोकर्स ऐसे भी हैं, जो क्लाइंट के ऑनलाइन ट्रेडिंग करने पर कम ब्रोकरेज चार्ज लेते हैं, लेकिन कॉल सेंटर या रिलेशनशिप मैनेजर के जरिए होने वाले सौदों पर ज्यादा फीस लेते हैं। ऐसे में, हर तरीके से लगने वाले चार्ज के बारे में आपको भली-भांति पता कर लेना चाहिए। ब्रोकर के साथ जुड़ने से पहले अगर आप डेमो देख लें कि किस तरह से ट्रेडिंग की जा सकता है तो और भी अच्छा होगा, लेकिन कई बार सुस्त इंटरनेट कनेक्शन की वजह से ऑनलाइन ट्रेडिंग में ज्यादा दिक्कत हो सकती है। साथ ही, कुछ ट्रेडिंग टर्मिनलों पर तेज स्पीड वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन की भी जरूरत पड़ सकती है। चूंकि आप अपने वित्तीय ब्योरे और मेहनत से कमाई गई पूंजी का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में सिस्टम की सिक्युरिटी काफी पुख्ता होनी चाहिए। अच्छे ब्रोकिंग हाउस अपने यहां टर्मिनलों पर सिक्युरिटी को नियमित अंतराल पर चेक करते रहते हैं।

आखिरी बात यह है कि निवेशक को यह देखना चाहिए कि ब्रोकिंग हाउस अपने हितों से भी ऊपर अपने क्लाइंटों के हितों को रखे।

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