वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड

दिवाली को बचे 13 दिन, पटाखों पर गाइडलाइन नहीं दुकानदारों ने स्टॉक किए, गली-मोहल्लों में बिक भी रहे
अभी तक वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड प्रशासन के पास किसी दुकानदार ने लाइसेंस का आवेदन भी नहीं किया है। इसलिए अभी यह कहना मुश्किल है कि पटाखे बेचे जाएंगे या रोक जारी रहेगी। दुकानदारों को लाइसेंस कब मिलेंगे इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता।
रोहतक। दीपावली को महज 13 दिन शेष बचे हैं। ऐसे में पटाखों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। शहर के दुकानदारों ने मुनाफा कमाने के लिए पटाखे स्टोर कर लिए हैं। कई बाजारों में गुपचुप तरीके से दिन भर पटाखे बेचे जा रहे हैं। पटाखों की बड़ी खेप जमा करने के लिए कई कालोनियों में गोदाम बनाए गए हैं। यह गोदाम कभी भी रिहायशी इलाकों में बड़ी तबाही का कारण बन सकते हैं। पुलिस की टीमें इन गोदामों की तलाश कर रही हैं। एसपी उदय सिंह मीना ने सभी एसएचओ, सभी चौकी प्रभारियों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि पटाखे बेचते हुए पाए जाने पर तत्काल केस दर्ज कार्रवाई की जाए। इसके लिए गोदामों का पता लगाकर पटाखे जब्त किए जाएं।
दीवाली नजदीक है और अभी तक प्रशासन की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। हर साल की तरह पटाखे बेचने की जगह तय करने और लाइसेंस का वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड इंतजार दुकानदार कर रहे हैं। अब भी गली मोहल्लों में पटाखे बेचे जा रहे हैं। अभी तक प्रशासन के पास किसी दुकानदार ने लाइसेंस का आवेदन भी नहीं किया है। इसलिए अभी यह कहना मुश्किल है कि पटाखे बेचे जाएंगे या रोक जारी रहेगी। दुकानदारों को लाइसेंस कब मिलेंगे इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता।
एनजीटी ने दीपावली से ठीक पहले जारी किए थे आदेश
विगत वर्ष दीपावली से ठीक पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक आदेश जारी किया था। एनजीटी ने उन तमाम शहरों में पटाखों पर बैन लगाने के आदेश दिऐ थे, जहां एयर क्वॉलिटी खराब थी। जिन शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स सामान्य है, वहां दो घंटे के लिए पटाखे चलाने की अनुमति दी गई थी। शर्त यह थी कि केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
नियमों की उल्लंघना करने वालों पर होगी कार्रवाई
अगर किसी व्यक्ति ने दुकान में पटाखे बेचे या कहीं गोदाम बनाकर पटाखे स्टोर किए तो कानूनी कार्रवाई होगी। केस दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार किया जाएगा। हाल ही में पुलिस ने एक युवक को भारी तादाद में पटाखों के साथ पकड़ा है। कहीं भी ऐसी सूचना मिली तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। - उदय सिंह मीना, एसपी रोहतक
अभी कोई गाइड लाइन नहीं आई
अभी तक सरकार की तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं आई है। न ही पटाखे के लिए कोई लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। आने वाले कुछ दिनों में ही पता चलेगा कि पटाखों को लेकर क्या नियम बनाए गए हैं। -राकेश सैनी, एसडीएम रोहतक
मम्मी घर से काम करने के अपने अनुभव साझा करती हैं
हम बच्चों को स्मार्ट और सुरक्षित रूप से कनेक्टेड तकनीक से लाभान्वित करने में मदद करने के लिए यूके, परिवारों को टूल, टिप्स और संसाधनों तक पहुंचाने के लिए उद्योग, सरकार और स्कूलों के साथ मिलकर काम करते हैं।
शुरुआती दिन हैं, लेकिन केरी-ऐनी को लगता है कि परिवार घर से काम करने और बच्चों की देखभाल करने में अच्छा सहयोग कर रहा है। बच्चों की शिक्षा हमेशा प्राथमिकता लेगी, इसलिए केरी-ऐनी अपनी खुद की टू-डू सूची में यह सुनिश्चित करने के लिए जूझ रहे हैं कि लड़कियां स्कूली शिक्षा के साथ रख सकती हैं।
चुनौतियाँ
केरी-ऐनी ने स्वीकार किया कि वह परिवार को अलग करने के बारे में कुछ अपराधबोध से जूझ रही है। “चुनौती हमेशा अपराधबोध से भरी होगी। लगातार चिंता कि आप उन्हें पर्याप्त ध्यान या मदद नहीं दे रहे हैं, और यदि आप एक तंग समय सीमा पर हैं, तो आप उस पल में सब कुछ नहीं छोड़ सकते। ”
“इस स्थिति का सिल्वर लाइनिंग मेरे साथ की लड़कियां कर रही हैं। वे हमेशा मुझे सबसे अच्छा होने के लिए प्रेरित करते हैं, और वे देखते हैं कि मैं क्या तस्वीरें ले रहा हूं या संपादन कर रहा हूं। केरी-ऐनी कहते हैं कि उनका इनपुट वास्तव में अच्छा रहा है।
परिवर्तन के लिए समायोजन
हालांकि, केरी-ऐनी उन संसाधनों की भीड़ के लिए आभारी हैं जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और बच्चों की मदद करने के लिए शिक्षा मंच। "ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में कई शिक्षण कार्य हैं जो लड़कियों को दिखाते हैं अगर वे नहीं समझते हैं, और यह वह जगह है जहां वे वर्कबुक की तुलना में बहुत अधिक फायदेमंद हैं," वह कहती हैं।
उन्होंने कहा, '' इस समय बहुत सारी अद्भुत कंपनियां मुफ्त संसाधन दे रही हैं, इसलिए लड़कियां बहुत सारे अलग-अलग कार्यक्रमों का पता लगाने और नए खेल खेलने में सक्षम हैं। यह उनके लिए रोमांचक है, और बदले में, उनकी शिक्षा में मदद मिली है। ”
तकनीक का उपयोग करना एक साथ लाने के लिए
परिवार दोस्तों और परिवार के साथ संचार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। केरी-ऐनी कहते हैं, "बच्चों के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम उन भरोसेमंद लोगों से खुलकर बातचीत करें, जिन्हें हमने अपने उपकरणों में जोड़ा है।" “हमें बाहर जाने से पहले स्टॉक स्तरों पर जाँच करने के लिए कुछ दुकानों की स्थिति की जाँच करने की भी अनुमति है। बस बाहर की वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड दुनिया में पहुंच होने से सभी फर्क पड़ता है। ”
परिवार की भलाई से निपटना
परिवार भी सभी की भावनात्मक भलाई के बारे में जागरूक करने की कोशिश कर रहा है। केरी-ऐनी कहती हैं, "हम सभी के पास ऐसे दिन होते हैं, जहां हम खुद को महसूस नहीं करते हैं, और जो बच्चों के लिए भी होता है।" "वे इन भावनाओं से जूझ रहे होंगे और साथ ही अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे होंगे।"
किसी भी तनाव या चिंताओं को कम करने में मदद करने के लिए, परिवार ने छूट को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों के साथ बहुत सारे डाउनटाइम को अपनी दिनचर्या में शामिल किया है।
वह कहती है: “लड़कियों को अपने उपकरणों पर ASMR सुनना बहुत पसंद है और हम नामक एक मंच का उपयोग करते हैं बच्चों को आराम दो और शांत तकनीकों तक पहुंच में मदद मिली है। ”
स्कूल संसाधन
केरी-ऐनी अपने बच्चों के स्कूल के लिए प्रशंसा से भरी है और उनका मानना है कि उन्होंने परिस्थितियों में एक अद्भुत काम किया है।
वह कहती हैं, '' हमारे स्कूल ने वास्तव में मजेदार लर्निंग पैक्स भेजे हैं, जिनमें लड़कियां काम करना चाहती हैं और कई वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड शैक्षणिक कंपनियों ने परिवारों के लिए संसाधन मुक्त कर दिए हैं, जो एक अद्भुत इशारा है। ''
"ऐसे समय में जब वे परिवारों से मुनाफा कमा सकते हैं, उन्होंने वास्तव में दिखाया है कि शिक्षा उनका मुख्य ध्यान और प्राथमिकता है और लोगों के जीवन को आसान बनाता है।"
वह माता-पिता को छोटे बच्चों की भावनाओं को भी ध्यान में रखने की सलाह देती है। “हम ओवर-प्लान नहीं करते हैं। घर पर पाठ बहुत जल्दी किया जा सकता है क्योंकि यह एक से एक सेटिंग है, इसलिए हम इसे ध्यान में रखते हैं।
किताबों में कमीशन के लिए मनमानी
निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों से मोटा मुनाफा कमा रहे स्कूल संचालक
किताबों के मामले में सीबीएसई स्कूलों की मनमानी पर रोक नहीं लग पा रही है। छोटे बच्चों की किताबों में वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड मोटा कमीशन खाने के लिए स्कूल संचालक सीबीएसई की गाइड लाइन को भी दरकिनार कर रहे हैं। इस बात की जानकारी प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग तक के अफसरों को है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर प्रत्येक अफसर अधिकारों की दुहाई देने लगता है। 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र के लिए भी शिक्षा विभाग की कोई तैयारी नहीं है।
सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड शिक्षा बोर्ड) द्वारा 20 जुलाई 2015 को सर्कुलर जारी कर निर्देश दिए गए थे कि सीबीएसई के सभी स्कूलों में कक्षा 8 वीं तक एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित सिलेबस ही छात्रों को पढ़ाया जाए। सीबीएसई ने नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी कहा था कि स्कूल संचालक, पालकों को अतिरिक्त किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं करें। लेकिन शहर के अधिकांश निजी स्कूल सीबीएसई के इस निर्देश का पालन ही नहीं कर रहे हैं। कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार सीबीएसई के अफसर शिकायतों के इंतजार में बैठे हैं। पालक शिकायत करेंगे तो वह कार्रवाई करने को तैयार हैं।
हालांकि इस मामले काे लेकर शिकायतें लगातार होती रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इस साल भी स्कूल संचालकों ने प्राइवेट किताबें खरीदने के लिए पालकों को बाध्य करने की तैयारी अभी से कर ली है।
स्कूल से निकलते छात्र।
मनमानी की महंगी शिक्षा
एनसीईआरटी की किताबें समय पर नहीं मिलतीं
एनसीईआरटी की किताबें समय पर नहीं मिलती इससे प्राइवेट किताबें बच्चों को पढ़ानी पड़ती है। इसके साथ ही कुछ ऐसे विषय हैं जिनकी किताबें एनसीईआरटी प्रिंट नहीं करवाता। एनसीईआरटी की कुछ किताबें सभी स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं। राहुल श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष, सीबीएसई प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
स्कूलों की मान्यता खत्म करने के लिए लिखेंगे पत्र
सीबीएसई के द्वारा जारी किए गए नियमों का जो निजी स्कूल पालन नहीं करेंगे उनकी मान्यता खत्म करने के लिए बोर्ड को पत्र भेजेंगे। सर्कुलर के अनुसार कक्षा 8 वीं तक एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम ही स्कूलों को पढ़ाना होगा। मॉनीटरिंग कराएंगे। विकास जोशी, डीईओ
एनसीईआरटी की किताबें मिल रहीं Rs.50 में, प्राइवेट 400 में
नेशनल काउंसिल अॉफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की एक किताब की कीमत 45 से 50 रुपए है। जबकि सीबीएसई के निजी स्कूलों में वर्ष तक मुनाफा कमाने के लिए गाइड चलाई जा रहीं एक किताब की कीमत 200 से लेकर 400 रुपए तक है। निजी स्कूलों की किताबें महंगी होने पर एक दुकानदार का कहना था कि संचालक को कमीशन देना पड़ता है। इसलिए किताबों के दाम प्रकाशकों से मिलकर बढ़वाकर प्रिंट करवाना पड़ता है। उधर शिक्षकों का कहना था कि एनसीईआरटी की किताबों का जो स्तर रहता है वह प्राइवेट किताबों का नहीं रहता। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ग्वालियर चैप्टर के अध्यक्ष सुधीर सप्रा ने कहा- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र एनसीईआरटी की किताबों का ही अध्ययन करते हैं। लेकिन निजी स्कूल कमीशनखोरी के लिए बच्चों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।
नाम के लिए तय हैं 8 दुकानें, किताबें एक दुकान पर मिलती हैं
स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए 4 साल पहले कलेक्टर ने निर्देश दिए थे कि संबंधित स्कूल की किताबें कम से कम 8 दुकानों पर मिलनी चाहिए। इसके लिए सभी स्कूलों को नोटिस बोर्ड पर संबंधित दुकानों के नाम चस्पा करने के निर्देश भी दिए गए थे। लेकिन कलेक्टर के यह निर्देश सिर्फ दिखावा साबित हुए हैं। निजी स्कूलों द्वारा पालकों को 8 दुकानों के जो नाम दिए जाते हैं। उनमें से केवल एक या दो दुकान पर ही किताबें मिलती हैं। इससे दुकानदार मनमानी तरीके से किताबों के रेट लगाते हैं। नया सत्र 1 अप्रैल से शुरू होने वाला है लेकिन अब तक स्कूल शिक्षा विभाग ने किताबों को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किए। स्कूलों संचालकों में जिला प्रशासन का डर भी इसलिए नहीं है क्योंकि ऐसे स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
प्राइवेट स्कूलों
इसलिए महंगी
हम जांच कराकर नियम अनुसार कार्रवाई करेंगे
सीबीएसई ने निजी स्कूलों को कक्षा 8 वीं तक एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने के निर्देश थे। लेकिन निजी स्कूल प्राइवेट किताबें चला रहे हैं। ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?
सीबीएसई के स्कूल राज्य के अधीन नहीं है। फिर भी जो स्कूल नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
फीस निर्धारण, किताबें व ड्रेस आदि के लिए अब तक एक्ट क्यों नहीं बना?
पालकों को राहत मिल सके इसके लिए एक्ट तैयार करवाया जा रहा है।
प्राइवेट किताबें लागू करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा? नियमों का पालन हो सके इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे।
कमीशन के लिए स्कूल चला रहे प्राइवेट किताबें
निजी स्कूल कमीशनखोरी के लिए प्राइवेट किताबें चला रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए स्कूलों में एनसीईआरटी व मप्र पाठ्यपुस्तक निगम की पुस्तक चलाई जानी चाहिए। इसके लिए शीघ्र ही कलेक्टर से मिलकर मांग करेंगे। गोपाल गुप्ता, प्रांतीय उपाध्यक्ष, मप्र पुस्तक प्रकाशन एवं विक्रेता संघ
सरकार का बड़ा निर्णय, भूमि गाइड लाइन दरों में अब 40 प्रतिशत की छूट
फ़ाइल फोटो
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के लोगों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से भूमि के बाजार मूल्य के दरों में अब 40 प्रतिशत तक की छूट दिए जाने का आदेश जारी किया गया है। भूमि के क्रय पर इस विशेष छूट का लाभ राज्य के लोग 31 मार्च 2022 तक उठा सकेंगे। इससे पूर्व गाइड लाइन की दरों में 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही थी।
गौरतलब है कि एक फरवरी को आयोजित केबिनेट की बैठक में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए मार्केट वेल्यू गाइड लाइन की दरों को 30 प्रतिशत के स्थान पर घटाकर 40 प्रतिशत किए जाने का निर्णय लिया गया है। केबिनेट के इस निर्णय के परिपालन में वाणिज्यिक कर पंजीयन विभाग मंत्रालय द्वारा आज 7 फरवरी को गाइड लाइन दर में 40 प्रतिशत की छूट दिए जाने का आदेश विधिवत जारी किया गया। जारी आदेश के तहत नगर निगम एवं उनके निवेश क्षेत्र की संपत्तियों के मामले में मार्केट वेल्यू गाइड लाइन की दरों को वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए 30 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत की छूट दी गई है।