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विदेशी मुद्रा क्यों?

विदेशी मुद्रा क्यों?
इसका सीधा मतलब है जिस करेंसी का जितना अधिक वेटेज है उस करेंसी के उतार-चढ़ाव का इंडेक्स पर सर्वाधिक असर पड़ेगा।

डॉलर इंडेक्स पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – विदेशी मुद्रा भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति)

चर्चा में क्यों ?

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को 532.66 अरब डॉलर हो गया, जो जुलाई 2020 के बाद से अब तक का सबसे निम्नतम स्तर है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार नौवें सप्ताह गिरावट दर्ज की गई।

30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर था संकट, भारत को ऐसे मिला 500 अरब डॉलर का मुकाम

विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 जून 2020,
  • (अपडेटेड 13 जून 2020, 1:28 PM IST)
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा
  • भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा

हर हफ्ते की तरह इस बार भी केंद्रीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी किए हैं. इस बार के आंकड़े बेहद खास हैं. दरअसल, पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. इसी के साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा हो गया है. भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा है.

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है.

वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड तेजी से गिर रहा है. भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वह वर्ष 2003 से इसका डाटा एकत्र कर रहा है और यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इस साल वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी की गिरावट के साथ 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. गिरावट का सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा क्यों? कारण डॉलर का येन और यूरो जैसी मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच जाना है. डॉलर की तेजी ने सभी देशों के केंद्रीय बैंक को दबाव में ला दिया है.

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उदाहरण के तौर पर भारत का ही विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है. भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान संपत्ति के मूल्यांकन में 67 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड स्तर पर था. भारतीय केंद्रीय बैंक को रुपये की गिरावट रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा.

इसी तरह 1998 के बाद पहली बार जापान ने 20 बिलियन डॉलर खर्च कर येन को संभाला. इससे उसके रिजर्व का लगभग 19 प्रतिशत तक कम हुआ. चेक विदेशी मुद्रा क्यों? गणराज्य का भी फरवरी से अब तक 19 प्रतिशत रिजर्व कम हुआ है. आमतौर पर सभी देशों के केंद्रीय बैंक विदेशी पूंजी आने पर डॉलर खरीदते हैं और खराब समय आने पर इसे कम कर अपनी मुद्रा को ताकत देते हैं, मगर इस बार मामला गंभीर दिख रहा है.

डच बैंक एजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकार एलन रस्किन ने बताया कि एशिया के कुछ देशों के पास अभी भी विदेशी मुद्रा भंडार काफी है. वह अपनी मुद्रा की गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर सकते हैं. भारत के पास अभी भी वर्ष 2017 की तुलना में 49 प्रतिशत ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है और यह नौ महीने के आयात के भुगतान के लिए पर्याप्त है. शुक्रवार को इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन और थाइलैंड अपने विदेशी मुद्रा क्यों? नवीनतम विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करेंगे. हालांकि, अन्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार जल्द समाप्त हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 42 फीसदी की गिरावट के बाद पाकिस्तान का 14 अरब डॉलर का भंडार तीन महीने के आयात को भी कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

US Dollar Index Explained (USDX / DXY)

Importance of Dollar Index: जब भी अंतरराष्ट्रीय कारोबार की चर्चा होती है तो डॉलर इंडेक्स का आकलन जरूर होता है। फिर चाहे उसमें यूरोपीय यूरो या पाउंड के चढ़ने-उतरने की बात हो, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बाजार में मंदी की बात हो, चीन और रूस की आर्थिक स्थिति की बात हो या फिर अन्य विदेशी मुद्राओं के फिसलने और उछलने की बात हो जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार में मुद्रा (करेंसी) के बारे में कोई भी चर्चा हो। आइए जानते हैं कि अमेरिकी मुद्रा या डॉलर इंडेक्स सभी कारोबारियों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

डॉलर इंडेक्स सिर्फ अमेरिकी मुद्रा ही नहीं बल्कि दुनिया की 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती आर कमजोरी के आकलन का इंडेक्स है। इन 6 अलग-अलग करेंसियों में उन देशों की मुद्राएँ सम्मिलित हैं जो अमेरिका कारोबार में भागीदार हैं। इन 6 मुद्राओं में, यूरो, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना, स्विस फ्रैंक आदि यूरोपीय मुद्राएँ शामिल हैं, साथ ही जापानी येन और कनाडाई डॉलर भी सम्मिलित हैं।

डॉलर इंडेक्स के इतिहास पर नजर

1973 में अमेरिका की सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिज़र्व ने डॉलर इंडेक्स की शुरुआत की थी और उसका आधार (बेस) 100 रखा था। तब से लेकर आज तक डॉलर इंडेक्स में सिर्फ एक बार परिवर्तन किया गया है जब यूरोप के सभी देशों ने मिलकर एक साझा मुद्रा का चलन शुरू किया था। फ्रांसीसी फ्रैंक, जर्मन मार्क, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियम फ्रैंक आदि के स्थान पर यूरोप की साझा मुद्रा यूरो को इंडेक्स में सम्मिलित किया गया था। शुरुआत के समय से ही लेकर अब तक डॉलर इंडेक्स 90 से 110 अंकों के बीच बना रहा है। इसका उच्चतम स्तर 1984 में 165 अंकों के साथ था। 2007 में मंदी के दौर में इसका न्यूनतम स्तर आया 70 अंकों का था।

पूरी दुनिया की नज़र जिस इंडेक्स पर बनी रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है अंतरराष्ट्रीय कारोबार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है। यूएस फेड के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 1999 से लेकर 2019 के बीच अमेरिकी महाद्वीप में 96% कारोबार डॉलर में हुआ था। यूएस फेड की मानें तो 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों द्वारा घोषित किए गए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 60% भाग अमेरिकी डॉलर का है।

विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व

  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और RBI को आर्थिक विकास में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करती है.
  • यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
  • वर्तमान विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक वर्ष तक संभालने के लिए पर्याप्त है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति दृढ़ करने में सहायता मिलती है।
  • वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात लगभग 15% है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
  • आरबीआई विदेशी विदेशी मुद्रा क्यों? मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता विदेशी मुद्रा क्यों? है।
  • आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
  • जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया निर्गत करता है। इस अतिरिक्त तरलता (liquidity) को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के माध्यम से प्रबंधन करता है।
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