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America Murder अमेरिका: 10 साल के बच्चे ने अपनी मां को उतारा मौत के घाट, ‘ये’ है वजह
मिलवॉकी: अमेरिका के मिलवॉकी में 10 साल के बच्चे ने ‘वर्चुअल रियलिटी’ (वीआर) हेडसेट खरीदकर नहीं देने पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। अभियोजकों ने यह जानकारी दी। बच्चे ने शुरू में पुलिस को बताया कि 21 नवंबर को गोली दुर्घटनावश चली थी लेकिन बाद में उसने बताया कि उसने जानबूझकर अपनी मां पर गोली चलाई थी। बच्चे पर पिछले सप्ताह वयस्क की तरह प्रथम डिग्री जानबूझकर हत्या के आरोप लगाए गए। विस्कांसिन कानून के अनुसार गंभीर अपराध के मामलों में 10 साल के बच्चे पर वयस्क की तरह आरोप लगाए जाते हैं।
हालांकि बच्चे के वकील इस संबंध में बाल न्यायालय में अपील कर सकते हैं। बच्चे के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित है और उसे बाल हिरासत में रखा गया है। बच्चे के वकीलों में से एक एंजेला कनिंघम ने कहा, ‘‘यह एक पारिवारिक त्रासदी है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इससे इनकार कर सकता है या असहमत हो सकता है…। 10 साल के बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के लिए वयस्क (न्याय) प्रणाली ठीक नहीं है।
शिकायत के अनुसार, गोलीबारी की यह घटना 21 नवंबर को सुबह करीब सात बजे हुई थी। बच्चे ने शुरू में अधिकारियों को बताया कि उसे उसकी मां के बेडरूम से हथियार मिला और वह भूतल में बने लॉन्ड्री में गया जहां उसकी मां कपड़े धो रही थी। एक दिन बाद चिंतित रिश्तेदारों ने पुलिस को फोन किया। लड़के की मौसी ने कहा कि जब उसने बच्चे से बात की तो उसने घर की चाबियों का एक सेट निकाला जिसमें बंदूक के लॉक बॉक्स की एक चाबी थी।
जब उसकी रिश्तेदार ने गोली चलने के बारे में पूछा, तो लड़के ने कहा कि उसने अपनी मां पर बंदूक तान दी थी। लड़के की रिश्तेदार और बहन ने कहा कि मां की मौत पर वह कभी नहीं रोया या उसे कोई पछतावा भी नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उसने मां की मृत्यु के बाद उनके अमेजन खाते में लॉग इन किया और सुबह ओकुलस वर्चुअल रियलिटी हेडसेट का ऑर्डर दिया। उसी सुबह, उसने अपने सात वर्षीय चचेरे भाई पर भी हमला किया। (एजेंसी)
चार शहरों में एक दिसंबर से ई-रूपी का पहला पायलट परीक्षण होगा
दिल्ली: कारोबारियों की तरह अब आम लोग भी ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इसके लिए देश के चार शहरों में एक दिसंबर से डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण करेगा। परीक्षण में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट शामिल होंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक डिजिटल टोकन के रूप में होगी। यह लीगल टेंडर होगा यानी इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा। ई-रूपी को उसी मूल्य पर जारी किया जाएगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।
आरबीआई ने कल (मंगलवार) को कहा कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर यह परीक्षण किया जाएगा। यह भौतिक मुद्रा की तरह ही भरोसे, सुरक्षा और अंतिम समाधान (सेटलमेंट) जैसी खूबियों से लैस है। पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग वर्चुअल मनी की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इससे पहले एक नवंबर से इसके थोक इस्तेमाल का पायलट परीक्षण शुरू हो चुका है। डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। खास बात है कि क्रिप्टोकरेंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा।
डिजिटल रुपये को मोबाइल वर्चुअल मनी फोन और दूसरे उपकरणों में रखा जा सकेगा। इसे बैंकों के जरिये वितरित किया वर्चुअल मनी जाएगा। उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की ओर से मिलने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे। आरबीआई ने कहा, ई-रूपी के जरिये व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से मर्चेंट (पी2एम) दोनों के रूप में लेनदेन कर सकेंगे। मर्चेंट यानी व्यापारियों के यहां लगे क्यूआर कोड के माध्यम से वर्चुअल मनी भुगतान किया जा सकेगा।नहीं मिलेगा कोई ब्याज नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। बैंकों को पैसा हस्तांतरित करने में आसानी, मुद्रा छापने का खर्च घटेगा, अवैध मुद्रा की रोकथाम, आसान टैक्स वसूली, काले धन व मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगेगी। भरोसा, सुरक्षा, अंतिम समाधान जैसी खूबियों से लैस है ई-रूपी। ई-रूपी उसी मूल्य पर जारी होगा, जिस पर वर्तमान में जारी होते हैं करेंसी नोट और सिक्के।
इन चार शहरों में परीक्षण दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू और भुवनेश्वर में सीबीडीसी के खुदरा इस्तेमाल से जुड़ा पहला पायलट परीक्षण किया जाएगा। अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में बाद में शुरू होगी सेवा। आरबीआई ने 8 बैंकों का चयन किया है। इसमें पहले चरण में चार बैंक हैं। बाद वर्चुअल मनी में अन्य बैंकों को जरूरत के आधार पर इसमें शामिल किया जा सकता है। वर्चुअल मनी डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) यानी किसी देश के केंद्रीय बैंक की ओर से जारी वर्चुअल या डिजिटल करेंसी। लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी या स्टेबल कॉइन के हजारों प्रकार बाजार में उतर चुके हैं। उनके जैसे सीबीडीसी बनाने की तैयारी में 112 देशों के केंद्रीय बैंक जुटे हैं। सरकारी प्रामाणिकता की वजह से यह क्रिप्टो से ज्यादा विश्वसनीय है। बाहमास ने अक्तूबर 2020 में सबसे पहले 'सैंड डॉलर' नाम से सीबीडीसी शुरू की। जमैका, नाइजीरिया समेत 8 पूर्वी कैरेबियाई देशों में भी लॉन्च। रूस, चीन, सऊदी अरब, यूएई, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया, यूक्रेन, कजाखस्तान, द. अफ्रीका, घाना शामिल। भारत सहित 26 देश अभी तक विकास के चरण में थे।
डिजिटल रुपया भारत की डिजिटल यात्रा का अगला कदम साबित होने जा रहा है। जहां दुनिया के तमाम देश डिजिटल करेंसी की संरचना,जोखिम और क्रियान्वयन से जुड़ी रणनीतियों पर सिर खपा रहे हैं, ऐसे में भारत इस क्षेत्र में वैश्विक मानदंड स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। दरअसल, भारत वैश्विक रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और डिजिटल समाधानों (खासतौर से डिजिटल भुगतानों और वित्तीय समावेश) के विकास में अगुवा की भूमिका पहले से निभाता आ रहा है।
AIIMS Server Hacked : भारत के मशहूर अस्पताल AIIMS का सर्वर हैक; हैकर्स ने 200 करोड़ की फिरौती मांगी
AIIMS Server Hacked: Server hack of India's famous hospital AIIMS; Hackers demanded a ransom of 200 crores
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राजधानी दिल्ली के ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ यानी एम्स का सर्वर पिछले छह दिनों से डाउन है. ‘पीटीआई’ न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि एम्स का सर्वर हैकर्स ने हैक कर लिया है।
हैकर्स ने एम्स प्रशासन से करीब 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. हैकर्स ने वर्चुअल मनी यह भी कहा है कि यह रकम क्रिप्टोकरंसी (वर्चुअल करेंसी) के रूप में दी जानी चाहिए। इससे अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
‘मनी कंट्रोल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एम्स का सर्वर बीते बुधवार से डाउन है. सर्वर हैकिंग के कारण 3 से 4 करोड़ मरीजों की जानकारी से समझौता किया गया है.
वर्तमान में अस्पतालों, ओपीडी, प्रयोगशालाओं में आपातकालीन मरीजों को कलम और कागज के सहारे अन्य कार्य किए जा रहे हैं। इस घटना की जानकारी जांच एजेंसियों को दे दी गई है और आगे की कार्रवाई की जा रही है.
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि जांच एजेंसियों की सिफारिश के मुताबिक अस्पताल के सभी कंप्यूटरों पर इंटरनेट वर्चुअल मनी सेवा बंद कर दी गई है.
एम्स के सर्वर में कई पूर्व प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई वीआईपी रोगियों का डेटा है। पीटीआई ने एक सूत्र के हवाले से बताया, “हैकर्स ने कथित तौर पर क्रिप्टोकरंसी के रूप में 200 करोड़ रुपये की मांग की।”
इस बीच, एनआईसी ने ई-अस्पतालों के डेटाबेस और एप्लिकेशन सर्वर पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। साथ ही एनआईसी की टीम एम्स में अन्य ई-हॉस्पिटल के सर्वर से वायरस हटाने का काम कर रही है। अब तक चार सर्वरों को स्कैन किया जा चुका है और डेटाबेस नियंत्रण में है। सूत्रों का यह भी कहना है कि एम्स के सर्वर पर पूर्ण नियंत्रण पाने में कम से कम पांच दिन और लग सकते हैं।
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.