एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज

कनाडा में अपने व्यवसाय का विस्तार करें
कनाडा उद्यमी व्यवसायों के लिए अपार अवसर प्रदान करता है। दुनिया के कुछ प्रमुख शहरों, परिपक्व वित्तीय और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों और एक बढ़ते उद्योग के साथ, कनाडा व्यवसायों के लिए बहुत अधिक गुंजाइश प्रदान करता है। Y-Axis हमारे कनाडा बिजनेस वीज़ा समाधानों के साथ अवसरों के इस विशाल पूल तक पहुँचने में आपकी मदद कर सकता है।
कनाडा व्यापार वीजा विवरण
व्यापार की सुविधा के लिए, कनाडा विभिन्न व्यावसायिक वीजा प्रदान करता है जो उद्यमियों, अधिकारियों और पेशेवरों को व्यापार करने के लिए अस्थायी रूप से कनाडा जाने की अनुमति देता है। कनाडा बिजनेस वीजा के साथ, आगंतुक कर सकते हैं:
- व्यापार के उद्देश्य से कनाडा जाएँ
- व्यापार शो और सम्मेलनों में भाग लें
- संभावित ग्राहकों से मिलें और नए ऑर्डर लें
- कनाडा में एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज अपनी कंपनी से प्रशिक्षण में भाग लें
कनाडा बिजनेस वीजा आपको कनाडा में 6 महीने तक रहने की अनुमति देता है।
आवश्यक दस्तावेज़
कनाडा बिजनेस वीज़ा के लिए आवेदन करने के लिए, आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी:
- पासपोर्ट और यात्रा इतिहास
- पृष्ठभूमि प्रलेखन
- आपकी कंपनी के दस्तावेज़
- यह साबित करने वाले दस्तावेज कि आप निर्धारित समय से आगे नहीं रहेंगे
- पूरा आवेदन और वाणिज्य दूतावास शुल्क
- पर्याप्त चिकित्सा बीमा
कनाडा जाने के लिए आपके पास एक वैध और सम्मोहक कारण होना चाहिए।
आपके पास अपने पूरे प्रवास के दौरान अपने और किसी आश्रित का समर्थन करने के लिए पर्याप्त धन होना चाहिए।
आपके पास एक साफ आपराधिक रिकॉर्ड और चरित्र होना चाहिए। इसके लिए पीसीसी (पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट) के उपयोग की आवश्यकता हो सकती है।
आपको सरकार की मूलभूत स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
जिस देश में आप व्यवसाय करते हैं, उस देश की किसी सम्मानित कंपनी से औपचारिक आमंत्रण आवश्यक है।
कनाडा स्टार्टअप वीजा कार्यक्रम:
यदि आप एक गैर-कनाडाई हैं और कनाडा में एक नया व्यवसाय या कंपनी शुरू करना चाहते हैं, तो आप देश के स्टार्टअप वीजा कार्यक्रम का उपयोग कर सकते हैं।
यह कार्यक्रम अप्रवासी उद्यमियों को कनाडा में अपने स्टार्टअप विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। सफल आवेदक कनाडा में निजी कंपनियों के साथ गठजोड़ कर सकते हैं और अपना व्यवसाय चलाने के लिए धन और मार्गदर्शन पर सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
हालांकि, इस वीज़ा कार्यक्रम में स्टार्टअप के लिए स्वामित्व और शेयरधारिता आवश्यकताओं पर विशिष्ट दिशानिर्देश हैं।
वीजा आवेदकों के लिए पात्रता आवश्यकताएं हैं:
- इस बात का प्रमाण रखें कि व्यवसाय के पास आवश्यक समर्थन है
- स्वामित्व आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए
- अंग्रेजी या फ्रेंच में आवश्यक दक्षता होनी चाहिए
- माध्यमिक शिक्षा के बाद कम से कम एक वर्ष पूरा किया होना चाहिए
- कनाडा में बसने और परिवार के आश्रित सदस्यों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त धन होना चाहिए
- चिकित्सा परीक्षण और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए
इस वीज़ा के लिए आवेदकों के पास वीज़ा के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए एक निर्दिष्ट कनाडाई उद्यम पूंजी कोष, एंजेल निवेशक या बिजनेस इनक्यूबेटर का समर्थन या प्रायोजन होना चाहिए।
आईआरसीसी ने इस वीजा कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए विशिष्ट उद्यम पूंजी कोष, निवेशक समूह और बिजनेस इन्क्यूबेटरों को नामित किया है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से सफल होने वाले स्टार्टअप को न्यूनतम आवश्यक निवेश प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए। यदि यह एक उद्यम पूंजी कोष से है, तो न्यूनतम निवेश 200,000 अमरीकी डालर होना चाहिए। अगर निवेश किसी एंजेल निवेशक समूह से है, तो निवेश कम से कम 75,000 अमेरिकी डॉलर होना चाहिए। आवेदकों को एक कनाडाई व्यापार इनक्यूबेटर कार्यक्रम का सदस्य भी होना चाहिए।
वाई-एक्सिस आपकी कैसे मदद कर सकता है
कनाडा के लिए एक बिजनेस वीजा एक नए बाजार के लिए दरवाजे खोलता है। दुनिया की सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, कनाडा के पास व्यापार और व्यापार के माध्यम से देने के लिए बहुत कुछ है। Y-Axis हमारे विशेषज्ञ कनाडा वीज़ा और इमिग्रेशन सेवाओं के माध्यम से विश्वास के साथ व्यावसायिक वीज़ा के लिए आवेदन करने में आपकी सहायता कर सकता है। एक समर्पित वाई-एक्सिस सलाहकार आपके साथ काम करेगा और आपकी मदद करेगा:
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ा बाजार बनने की उम्मीद
ऐसे में भारत इसमें बड़ी भूमिका निभाकर विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ा सकता है। इस क्षेत्र में अमेरिका की तरह बड़ा बाजार बनने के लिए निजी क्षेत्र के.
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश में सभी देशों की रुचि बढ़ रही है। वे अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए सस्ती और भरोसेमंद अंतरिक्ष एजेंसियों की तलाश में हैं। ऐसे में भारत इसमें बड़ी भूमिका निभाकर विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ा सकता है। इस क्षेत्र में अमेरिका की तरह बड़ा बाजार बनने के लिए निजी क्षेत्र के महत्व को समझना जरूरी है।
प्रक्षेपण सेवाओं की बढ़ रही मांग
उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाओं और निगरानी उपग्रहों के लिए दुनियाभर में प्रक्षेपण सेवाओं की मांग बढ़ रही है। इसलिए निजी अंतरिक्ष व्यवसाय तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। सैटेलाइट इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया को 2025 के अंत तक वैश्विक स्तर पर कम से कम 60 हजार उपग्रह लॉन्च होने की उम्मीद है। निजी फर्मों को अंतरिक्ष मिशन की अनुमति से फंडिंग में मदद मिल सकेगी। इससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष बाजार की बड़ी हिस्सेदारी बनाने में कामयाब हो सकता है।
2020 में सरकार ने खोला रास्ता
पहले निजी मिशनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। 2020 में स्पेसकॉम पॉलिसी के मसौदे में पहली बार अंतरिक्ष नीति में बदलाव किया गया। इससे भारत में एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज अंतरिक्ष की दौड़ में प्रवेश करने को निजी फर्मों के लिए दरवाजे खुल गए। इसी तरह निजी फर्मों को अनुमति देने से अमेरिका को पिछले तीन दशकों में वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा हासिल करने में मदद मिली है। अमेरिका ने निजी फर्मों का समर्थन करने के लिए आर्थिक मदद, जबकि नासा ने तकनीकी सहायता की पेशकश की है।
स्काईरूट बना पहला स्टार्टअप
हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना 2018 में हुई। यह देश में सबसे अधिक धन जुटाने वाला पहला स्टार्टअप है। इसने बेंगलुरु और चेन्नई स्थित अपने केंद्रों में पूरी तरह से थ्रीडी रॉकेट इंजन का निर्माण किया। यह अंतरिक्ष में कदम रखने वाला देश का पहला स्टार्टअप बन गया है।
इसरो बड़े मिशनों पर देगा ध्यान
2022 के बजट में अंतरिक्ष विभाग को 13,700 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिनमें से लगभग ₹7,500 करोड़ ‘कैपिटल स्पेस एक्सपेंडिचर के लिए हैं। इसमें रॉकेट और अन्य आधारभूत संचरनाओं का रखरखाव व निर्माण शामिल है। निजी फर्मों को प्रक्षेपण की अनुमति देने से इसरो गगनयान (मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन) और आदित्य (सौर अनुसंधान मिशन) जैसे आगामी मिशनों के लिए अनुसंधान में अधिक धन लगा सकता है। छोटे और मध्यम आकार के उपग्रहों के प्रक्षेपण की जिम्मेदारी यदि निजी फर्म उठा लें तो इसरो बड़ी योजनाओं पर आसानी से काम कर सकता है।
अब बड़ी फंडिंग की उम्मीद
भारत अब भी अपनी अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के व्यावसायीकरण में प्रारंभिक चरण में है। अग्निकुल कॉसमॉस, पिक्सल और स्काईरूट में से प्रत्येक को अभी तक सिर्फ दो करोड़ डॉलर की फंडिंग ही प्राप्त हुई है। इसकी तुलना में विदेशी कंपनी जैसे स्पेसएक्स ने अपनी शुरुआत में ही 10 करोड़ डॉलर जुटा लिए थे। भारतीय स्टार्टअप उम्मीद करते हैं कि पहले मिशन के सफल होने पर बड़ी फंडिंग आएगी।
सरोगेसी पर बिल स्वागत योग्य
आखिरकार सरकार ने सरोगेसी (किराये पर कोख लेने) के बढ़ते कारोबार को विनियमित करने की पहल की है। इसके लिए तैयार हुए विधेयक का मूल भाव सही दिशा में है। इसमें ऐसे अनेक प्रावधान हैं जिनका वे तमाम लोग स्वागत करेंगे, जो हर चीज को बिजनेस बना देने की बढ़ती प्रवृत्ति से परेशान हैं। लेकिन इस कारोबार से भारत में बड़े स्वार्थ जुड़ चुके हैं, इसलिए इस आशंका के लिए आधार है कि उदारता और स्वतंत्रता के नाम पर बिल के कुछ प्रावधानों के खिलाफ शोर मचाया जाएगा।
सरोगेसी को लेकर ऐसी दलीलें पहले से दी जा रही हैं कि सख्त कानून बनने पर सरोगेसी के व्यापार का केंद्र थाईलैंड जैसे देशों की ओर खिसक जाएगा, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा का बड़ा नुकसान होगा। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में यह कारोबार 2.3 अरब डॉलर का हो चुका है। लेकिन इस कारोबार की भारी कीमत वंचित तबकों की महिलाओं को चुकानी पड़ रही है, जिनके संरक्षण का कोई वैधानिक उपाय अभी नहीं है।
हाल में एक गैर-सरकारी संस्था के सर्वेक्षण में सामने आया कि सरोगेसी से संतान चाहने वाले दंपती (जिनमें अधिकांश विदेशी होते हैं) एक साथ कई महिलाओं को गर्भधारण करवा देते हैं। अगर कई महिलाओं में यह सफल हो जाता है, तो बाकी का गर्भपात करा दिया जाता है। उन महिलाओं को कोई पैसा नहीं मिलता। इसी तरह वह महिला भी करार में तय धन से वंचित हो जाती है, अगर बाद में उसका गर्भपात हो जाता है।
अत: व्यापारिक सरोगेसी को रोकना आवश्यक है। प्रशंसनीय है कि प्रस्तावित प्रजनन सहायता तकनीक (एआरटी) विधेयक में यही मुख्य उद्देश्य रखा गया है। बिल के मुताबिक यह तकनीक सिर्फ भारतीय नि:संतान विवाहित दंपतियों या ऐसे दंपतियों के लिए ही उपलब्ध रहेगी, जिनमें पति-पत्नी में से कोई एक भारतीय हो।
21 से 35 वर्ष की महिला की कोख ही किराए पर ली जा सकेगी। कोई महिला सिर्फ एक बार सरोगेट मदर बनेगी। समलैंगिक या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े इसका लाभ नहीं उठा सकेंगे। इसके अलावा सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया पर निगरानी की व्यवस्था सख्त की जाएगी। ये तमाम स्वागतयोग्य कदम हैं। अब सरकार को अविलंब संबंधित विधेयक को पास कराने की तैयारी करनी चाहिए।
बात पते की
जब लोग सरकार से घबराते हैं तो वहां तानाशाही होती है और जब सरकार लोगों से घबराती है तो वहां स्वाधीनता होती है।
थॉमस जेफरसन
मोदी राज में अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन: मजबूत है विदेशी मुद्रा भंडार- एडीबी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा संग्रह है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होने के कारण भारत को रुपये में उतार-चढ़ाव से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। सवादा ने कहा कि, ‘विदेशी मुद्रा भंडार समय के साथ बढ़ ही रहा है इसमें गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं इसीलिए मुझे लगता है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से हमें खास परेशान नहीं होना चाहिए।’
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल, 2018 को समाप्त एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज सप्ताह में अबतक के सर्वकालिक उच्च स्तर 426.082 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब के करीब था।
आइए इस बहाने एक दृष्टि डालते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख उपलब्धियों पर।
मोदी सरकार में बढ़ता गया शेयर बाजार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ बढ़ रही है। 23 जनवरी को शेयर बाजार ने इतिहास रच दिया। 50 शेयरों के एनएसई सूचकांक निफ्टी ने पहली बार 11000 का आंकड़ा पार किया तो 30 शेयरों का बीएसई सूचकांक सेंसेक्स भी 36,000 का ऐतिहासिक स्तर पार कर गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।
विनिवेश से जुटाई रिकॉर्ड रकम
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था के कारण सरकार ने पहली बार विनिवेश के जरिये एक बड़ी रकम जुटाई है। वित्त वर्ष 2017-18 में अभी तक विनिवेश से 54,337 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। यह एक रिकॉर्ड है। इससे उत्साहित वित्त मंत्री आम बजट 2018-19 में विनिवेश के जरिये लगभग एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रख सकते हैं। सरकार ने सार्वजनिक एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज उपक्रमों में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचकर भी अच्छी खासी रकम जुटाई है। साथ बीमा कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराकर भी धनराशि प्राप्त की गयी है।
मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 5 साल में सबसे ज्यादा
देश में दिसंबर, 2017 में भी मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटीज में तेजी का रुख रहा। नये ऑर्डरों और उत्पादन में तेज बढ़ोतरी के दम पर देश के विनिर्माण क्षेत्र ने दिसंबर में तेज उड़ान भरी और इसका निक्कई पीएमआई सूचकांक नवंबर के 52.6 से बढ़कर 54.7 पर पहुँच गया। दिसंबर में उत्पादन वृद्धि की रफ्तार पांच साल में सबसे तेज रही जबकि नये ऑर्डरों में अक्टूबर 2016 के बाद की सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज की गयी। कंपनियों ने नये रोजगार भी दिये और रोजगार वृद्धि दर अगस्त 2012 के बाद के उच्चतम स्तर पर रही।
कोर सेक्टर में दर्ज की गई 6.8 प्रतिशत की रफ्तार
आठ कोर सेक्टरों में नवंबर 2017 के महीने में वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। यह एक साल में सबसे ऊपरी स्तर पर है। रिफाइनरी, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर बढ़ी है। एक साल पहले इसी माह में इन उद्योगों की उत्पादन वृद्धि 3.2 प्रतिशत थी। कोर सेक्टरों की वृद्धि दर अक्तूबर, 2016 के बाद सबसे अधिक है। रिफाइनरी, इस्पात तथा सीमेंट जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अच्छी रही। इस बार नवंबर में रिफाइनरी उत्पाद की 8.2 प्रतिशत, इस्पात की 16.6 प्रतिशत और सीमेंट क्षेत्र की वृद्धि दर सालाना आधार पर 17.3 प्रतिशत रही। कोर सेक्टरों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली उत्पादन को रखा गया है।
यूपीए सरकार से काफी ज्यादा है ग्रोथ रेट
यूपीए सरकार के अंतिम तीन सालों की अर्थव्यवस्था की गति पर गौर करें तो ये 2011-12 में 6.7, 2012-13 में 4.5 और 2013-14 में 4.7 प्रतिशत थी। वहीं बीते तीन साल के मोदी सरकार के कार्यकाल पर गौर करें तो 2014-15 में 7.2, 2015-16 में 7.6 थी, वहीं 2016-17 में 7.1 है। जाहिर है बीते तीन सालों में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 से ज्यादा रही है। जबकि यूपीए के अंतिम तीन सालों के एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 ही रही है।
विदेशी ऋण में 2.7 प्रतिशत की कमी
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का विदेशी ऋण 13.1 अरब डॉलर यानि 2.7% घटकर 471.9 अरब डॉलर रह गया है। यह आंकड़ा मार्च, 2017 तक का है। इसके पीछे प्रमुख वजह प्रवासी भारतीय जमा और वाणिज्यिक कर्ज उठाव में गिरावट आना है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2017 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और विदेशी ऋण का अनुपात घटकर 20.2% रह गय, जो मार्च 2016 की समाप्ति पर 23.5% था। इसके साथ ही लॉन्ग टर्म विदेशी कर्ज 383.9 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल के मुकाबले 4.4% कम है।
बेहतर हुआ व्यापार संतुलन
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2013-14 में अनुमानित व्यापार घाटा 62448.16 मिलियन अमरीकी डॉलर का था, वहीं अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अप्रैल-जनवरी 2015-16 में यह 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे से भी 29.7 प्रतिशत कम है। यानी व्यापार संतुलन की दृष्टि से भी मोदी सरकार में स्थिति उतरोत्तर बेहतर होती जा रही है और 2013-14 की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत तक सुधार आया है।
बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।
पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।
जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।
कैशलेस अभियान से आई पारदर्शिता
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी।
यात्रियों की सुविधा के लिए लांच हुआ पहला इकोनॉमी क्लास एसी-3 टियर कोच
राज एक्सप्रेस। भारत में एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज तेजी से फैल रही कोरोना महामारी के चलते सभी परेशान हैं, परन्तु काफी समय तक लगातार रहे लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक मंदी के हालात बनने लगे थे। इसलिए धीरे-धीरे करके लगभग सभी सेवाएं फिर से शुरू कर दी गईं। इनमें रेल यात्राएं भी शामिल हैं, लेकिन अब देश में एक बार फिर बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच न केबल ट्रेनों का संचालन एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज शुरू हुआ है बल्कि भारतीय रेलवे ने पहला इकोनॉमी क्लास एसी-3 टियर कोच भी लांच कर दिया है।
पहला इकोनॉमी क्लास एसी-3 टियर कोच भी लांच :
दरअसल, भारतीय रेलवे यात्रा के दौरान यात्रियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखती है। इसी के चलते रेलवे द्वारा देश में पहले कई बार स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। वहीं, अब यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने पहले इकोनॉमी क्लास एसी-3 टियर कोच की पेशकश की है। बता दें, इस एसी-3 इकॉनॉमी क्लास का ट्रायल पूरा हाेने के बाद ही इसे लांच किया गया है। इस बारे में जानकारी देते हुए रेलवे मंत्रालय ने सफल ट्रायल की पुष्टि भी की है। साथ ही एक विज्ञप्ति भी जारी की है।
मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक :
रेलवे मंत्रालय द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के मुताबिक, 'इस इकॉनमी क्लास एसी-3 टियर के कोच काे कुछ अनुमतियां मिलना अभी बाकी है, इन बची हुई अनुमति के मिलते ही इसे LBH काेचेस के साथ लगाया जाएगा। हालांकि, इसमें राजधानी, शताब्दी, दूराेंताे, और जनशताब्दी एअक्स्प्रेस ट्रेनों को शामिल नहीं किया गया है।' खबरों की मानें तो, रेलवे ने यह कोच कपूरथला की रेल कोच फैक्ट्री में ही तैयार किया गया है। इस कोच में कई खास सुविधाओं की पेशकश की जाएगी।
एसी-3 टियर कोच और गरीब रथ में है अंतर :
बताते चलें, भारतीय रेलवे में अब तक एसी (एयरकंडीशनर) के तीन क्लास ही मौजूद थे, लेकिन ये बात भी भूली नहीं जा सकती कि, लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री का पद सँभालते हुए गरीब रथ ट्रेनों का संचालन शुरू किया था। हालांकि, इकोनॉमी क्लास एसी-3 टियर कोच और गरीब रथ के कोच में बहुत अंतर है। एसी-3 इकॉनॉमी के नए कोच यात्रियों के लिए काफी शानदार सुविधाओं और फिनिशिंग का पूरा ध्यान रखते हुए इसे तैयार किया गया है। बता दें, रेलवे द्वारा इस कोच की पहली खेप तैयार कर ली है। इसके अलावा RCF कपूरथला में इस साल क़रीब 250 कोच तैयार करने का लक्ष्य है।
कोच में मिलेगी ये खास सुविधा :
इस एसी- 3 टियर इकॉनोमी क्लास में 83 बर्थ दी गई हैं। जबकि एसी-3 में कुल 72 बर्थ ही होते हैं।
इसकी बर्थ कुछ ऐसी होंगी साइड में अब तक 2 हुआ करती थी, लेकिन इसमें 3 बर्थ दी गई हैं।
इसका किराया एसी-3 से कम रखा जाएगा।
कोच के बर्थ काफी हल्का बनाया गया है जिससे यात्रियों को आसानी रहे। यह हलके होने के बाद भी काफी मजबूत बनाए गए हैं।
हर बर्थ के साथ स्नैक्स टेबल और चार्जिंग के लिए पोर्ट की व्यवस्था रखी गई है।
सभी बर्थ के साथ रीडिंग लाइट भी दी गई है।
उपर के बर्थ के लिए सीढ़ियां दी गई हैं।
इस कोच को फायर अलार्म सिस्टम से लेस रखा गया है।
कोच के दरवाजे चौड़े बनाए गए हैं, जिससे दिव्यांगों को व्हील चेयर के साथ ही अंदर तक लाया जा सके।
कोच में टॉयलेट को भी दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है। साथ ही टायलेट के नल को पैरों से चलाने की व्यवस्था भी की गई है, जो हाथों का इस्तेमाल नहीं करना चाहते वो पैर से भी नल चला सकेंगे।
कोच में लाइटिंग का भी काफी अच्छा इंतज़ाम किया गया है।
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