बिटकॉइन प्राइस

Google Trends 2018 : गूगल ट्रेंड्स में आया बिटकॉइन प्राइस, जानिए इसकी कहानी
साल 2018 खत्म होने की ओर है। हर कोई नई उम्मीदों के साथ नए साल का इंतजार कर रहा है। गूगल (Google) का सर्च इंजन भी नई चीजों के लिए तैयार हो रहा है। फिलहाल गूगल ने साल 2018 में सबसे ज्यादा ट्रेंड (Google Trends) में रहने वाली चीजों की सूची जारी की है। जिसके अनुसार बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) यानी बिटकॉइन का दाम खबरों में सबसे ज्यादा रहा है। टॉप 10 खबरों में Bitcoin Price छठवें नंबर पर था। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर बिटकाइन क्या है और इसके दाम को इतना ज्यादा क्यों सर्च किया गया है।
साल 2018 खत्म होने की ओर है। हर कोई नई उम्मीदों के साथ नए साल का इंतजार कर रहा है। गूगल (Google) का सर्च इंजन भी नई चीजों के लिए तैयार हो रहा है। फिलहाल गूगल ने साल 2018 में सबसे ज्यादा ट्रेंड 2018 (Google Trends 2018) में रहने वाली चीजों की सूची जारी की है। जिसके अनुसार बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) यानी बिटकॉइन का दाम खबरों में सबसे ज्यादा रहा है। टॉप 10 खबरों में Bitcoin Price छठवें नंबर पर था। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर बिटकाइन क्या है और इसके दाम को इतना ज्यादा क्यों सर्च किया गया है।
बिटकॉइन क्या है?
What Is Bitcoin? एक परिभाषा देना हो तो हम कहेंगे कि बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी (virtual currency) है। Bitcoin ठीक उसी तरह से एक करेंसी है जैसे रुपया, डॉलर, येन आदि होते हैं। लेकिन खास बात यह है कि यह मुद्रा डिजिटल (Digital Currency) होती है।
हम इसे अपनी जेब में नहीं रख सकते न ही इसे छू सकते हैं। यह आभासी मुद्रा है। बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है उसी तरह से इसे रखने के लिए भी डिजिटल वॉलेट की जरूरत होती है। जैसे हमारा मोबाइल या कंप्यूटर। आगे जानने से पहले यह जान लीजिए कि बिटकॉइन को बनाया किसने।
बिटकॉइन (Bitcoin) का आविष्कार सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने सन 2009 में किया था। हम यह नहीं जानते कि आखिर सतोशी नाकामोतो कौन हैं न ही उनकी कोई तस्वीर है। अब आखिर उन्होंने इसका आविष्कार कैसे किया?
मामला थोड़ा टेक्निकल है लेकिन आसानी से समझें तो गणित के कुछ सूत्रों के सहारे उन्होंने एक सिस्टम तैयार किया जिसमें बिटकॉइन जेनरेट हुए। जिस सिस्टम से बिटकॉइन (Bitcoin) को जेनरेट किया जाता है उस पूरी प्रक्रिया को बिटकॉइन माइनिंग (Bitcoin Mining) कहते हैं।
जो सिस्सटम उन्होंने तैयार किया था। उसके हिसाब से जितने चाहे उतने बिटकॉइन माइन नहीं किए जा सकते। उसकी एक सीमा है। माइनिंग के लिए कुछ सॉफ्टवेयर और विशेष तरह के हार्डवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया में केवल 21 मिलियन यानी 2 करोड़ 10 लाख बिटकाइन की माइनिंग की जा सकती है।
बिटकॉइन प्राइस को कौन बिटकॉइन प्राइस बिटकॉइन प्राइस कंट्रोल करता है
बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) को कौन कंट्रोल करता है? यह सवाल कई बार उठाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) को कोई भी कंट्रोल नहीं करता है। यह एक विकेन्द्रीकृत (Decentralized) मुद्रा है। मतलब इसका कोई केंद्र नहीं है, इसका कोई दफ्तर नहीं है।
जैसे भारतीय रुपये को आरबीआई कंट्रोल करता है। किसी भी तरह की समस्या होने पर हम रिजर्व बैंक से गुहार लगा सकते हैं लेकिन बिटकॉइन के मामले में ऐसा नही है। बिटकॉइन को खरीदने और बेचने के लिए कई एप का इस्तेमाल किया जाता है।
जैसा कि हमने पहले बताया है कि बिटकॉइन की एक निश्चित संख्या है। इस लिए जब ज्यादा लोग बिटकॉइन को खरीद लेते हैं तो खुले में बिटकॉइन कम बचते हैं। इस लिए उसका दाम अपने आप बढ़ जाता है। वहीं जब यही लोग बिटकॉइन को बेंचने लगते हैं तो इसका दाम कम होने लगता है। क्योंकि बाजार में बहुत सारे बिटकॉइन आ जाते हैं।
बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है
बिटकॉइन का इस्तेमाल करने के लिए पहले बिटकॉइन वॉलेट की आवश्यक्ता होती है। वालेट सेंडर और रिसीवर यानी भेजने वाले और पाने वाले दोनों के पास होना चाहिए। उसके बाद रिसीवर यानी बिटकॉइन पाने वाला सेंडर को अपना बिटकॉइन एड्रेस देता है।
सेंडर अपने वॉलेट में उस एड्रेस को डालता है और कितना बिटकॉइन भेजना है यह लिख कर सेंड कर देता है। इस प्रोसेस को पूरा करते ही सेंडर के वॉलेट में पड़े बिटकाइन कट जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि बिटकॉइन तुरंत ही पहुंच जाता है।
वह कई कंप्यूटरों से जुड़ा होता है। वहां से वेरीफाई होने के बाद वह रिसीवर को मिलता है। इस प्रक्रिया में 5-6 मिनट लग जाते हैं। कई बार यह समय आधे घंटे तक हो जाता है। अब सवाल यह आता है कि जब कोई सेंट्रल सिस्सटम नहीं होता तो आखिर बिटकॉइन वेरीफाई किस कंप्यूटर से होता है?
तो आपको बता दें यह वहीं कंप्यूटर होते हैं जिनसे बिटकॉइन की माइनिंग हो रही होती है। यह आपस में एक नेटवर्क से जुड़े हैं। जिसे ब्लॉकचेन (Blockchain) कहते हैं। जितने ज्यादा कंप्यूटर काम करते रहते हैं उतनी ही जल्दी बिटकॉइन सेंड करने का प्रोसेस पूरा होता है।
बिटकॉइन कैसे प्रचलित हुआ
बैंकों से पैसे के ट्रांसफर में समय और धन ज्यादा लगता है। साथ ही यह खर्च और बढ़ जाता है जब आप विदेशों से पैसा भेज रहे हों। फॉरेन एक्सचेंज में लोगों का ज्यादा खर्च लगता था। जबकि यही दाम बिटकॉइन ट्रांसफर में बहुत ही कम हो गया।
कहा जाए तो भेजी जाने वाली राशि के 1 प्रतिशत से भी कम दाम में। जिसके बाद लोगों ने बिटकॉइन का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इसकी एक खास बात और थी कि इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता था। जिसके कारण सरकारें चिंतित हो गईं।
कई देशों की सरकारों बिटकॉइन प्राइस बिटकॉइन प्राइस का मानना था कि बिटकॉइन का इस्तेमाल करके अवैध व्यापार जैसे स्म्गलिंग, हथियारों का धंधा किया जा सकता है। इस लिए कई देशों ने इसे बैन कर दिया। बिटकॉइन से पैसा भेजने का फायदा यह भी था कि बिटकॉइन वॉलेट का अकाउंट ब्लॉक नहीं होता है।
2017 में बिटकॉइन तब और चर्चा में आ गया जब उसके एक बिटकॉइन की कीमत करीब 17000 डॉलर पहुंच गई। इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
बिटकॉइन का दाम (Bitcoin Price) क्यों सर्च किया गया
साल 2017 में जिस समय गुजरात में चुनाव थे उस समय बिटकॉइन का दाम तेजी से बढ़ने लगा। जिससे बिटकॉइन खबरों में आ गया। लगातार खबरों में उसके दाम के बढ़ने का सिलसिला देखने को मिल रहा था। कभी जनवरी 2017 में 1 लाख रुपये का बिटकॉइन दिसंबर 2017 तक 14 लाख रुपये पहुंच गया।
जिसके कारण बिटकॉइन की ओर लोग आकर्षित हुए और बंपर इन्वेस्ट भी किया। लेकिन दिसंबर के बाद दाम गिरने लगा। आज बिटकॉइन का दाम 3 लाख रुपये से भी कम है। बिटकॉइन के लगातार घटते बढ़ते दामों को देखने के लिए लोगों ने बिटकॉइन प्राइस (Bitcoin Price) सर्च किया।
Gold vs Crypto से किसमें निवेश करना बेहतर, जानें कहां मिलेगा इन्वेस्टर्स को ज्यादा रिटर्न
Gold vs Cryptocurrency: पिछले कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ ही इन्वेस्टर्स इसमें निवेश करना पसंद कर रहे हैं। वही क्रिप्टो ने भी अपने निवेशकों को तगड़ा रिटर्न दिया है। हमारे देश में भी लोग अब इसी में निवेश करना पसंद कर रहे हैं लेकिन गोल्ड भी हमारे देश का सबसे पुराना और पसंदीदा कमोडिटी है।
सालों से ही गोल्ड ने अपने निवेशकों बिटकॉइन प्राइस को बेहतरीन रिटर्न दिया है, लेकिन इसमें ज्यादा रिटर्न क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency Investment) ने ही दिया है। ऐसे में अब इन्वेस्टर्स इस बात को लेकर कन्फ्यूज है कि अखिर वह गोल्ड या क्रिप्टोकरेंसी (Gold vs Cryptocurrency) में से किस में ऑप्शन में निवेश करें, जहां उन्हें सुरक्षित रिटर्न की गारंटी मिलें।
भारत में आजकल लोग डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) खरीदना बहुत पसंद कर रहे हैं। इसमें निवेश करने वाले लोगों की संख्या में इजाफे की सबसे बड़ी वजह है इसकी वैल्यू फिजिकल बोल कि जैसे ही है और यह सेफ जगह पर रखने की कोई झंझट नहीं है। वही क्रिप्टो करेंसी में भी इन्वेस्टर डिजिटल माध्यम से निवेश करते हैं। ऐसे में आपको इस बात की जानकारी दे रहे हैं कि गोल्ड या क्रिप्टोकरेंसी (Gold vs Cryptocurrency) किस में निवेश करने पर आपको अधिक रिटर्न मिलेगा।
बिटकॉइन vs सोना
बिटकॉइन ने अपने निवेशकों को सोने से अधिक रिटर्न दिया है। आंकड़ों के मुताबिक 2017 के दिवाली में बिटकॉइन में 312.5% की , 2018 में 196.3% की और 2019 में इसके प्राइस में 96.4% की बढ़त दर्ज हुई है।
साथ ही कोरोना काल में भी बिटकॉइन में इन्वेस्ट करने वाले इन्वेस्टर को शानदार रिटर्न मिला है। वहीं अगर हम बात करें सोने की तो साल 2017 में इसके प्राइस में 29.5% की, 2018 में 36.1%, 2019 में निवेशकों को 25.1% तक का गोल्ड पर रिटर्न मिला है। ऐसे में अब गोल्ड ने भी अपने निवेशकों को लाभदायक रिटर्न तो दिया है, लेकिन बिटकॉइन की तुलना में यह बेहद ही कम है।
गोल्ड में निवेश करना ही सुरक्षित
वैसे एक बात हम आपको साफ तौर पर बता दें कि भले ही सोने (Gold vs Cryptocurrency) में निवेश करने पर बिटकॉइन (Bitcoin) की तुलना में कम रिटर्न हासिल होगा, लेकिन यह निवेश और सरकार द्वारा भी मान्यता प्राप्त है। वैसे तो यह दोनों ही मार्केट रिस्क पर निर्भर है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में गोल्ड (Gold vs Crypto) में उठापटक बेहद ही कम होता है। आज भी इन्वेस्टर्स गोल्ड को ही एक बेहद विश्वसनीय कमोडिटी मानते हैं। किंतु क्रिप्टोकरंसी पर अब तक निवेशकों के बीच गोल्ड की तरह अटूट विश्वास नहीं बना है।
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उठापटक जारी, केवल बिटकॉइन करा रहा कमाई
बीते दिन शाम को ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बढ़ोतरी देखी गई है। 11 अक्टूबर यानी सोमवार के दिन ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में शाम को 0.18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह 171.88 लाख करोड़ रुपये पर ट्रेड कर रहा है। वहीं टोटल क्रिप्टो मार्केट Volume पिछले 24 घंटों में 7,29,610 करोड़ पर ट्रेड कर रहा है और इसमें 0.59 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई है।
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में पिछले 24 घंटो में तेजी देखी जा रही है। अब इसमें 0.84 प्रतिशत की बढ़त दर्ज देखी गई है और इसका मार्केट प्राइस 43,37,990 रुपये तक पहुंच गया है। इसका क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में करीब 45.58 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। बिटकॉइन में लगातार उठापटक का दौर जारी है।
वहीं Ethereum क्रिप्टोकरेंसी में 0.83 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह 2,71,517 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा XRP में 0.88 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 90.19 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। Cardano में 1.22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह 172.79 रुपये पर ट्रेड कर रहा है।
वहीं Binance Coin में 0.28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह 32,100 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। Tether में 0.70 प्रतिशत मामूली उछाल दर्ज की गई है और यह 78.18 पर ट्रेड कर रहा है।
Bitcoin का प्राइस 20500 डॉलर से बढ़ने को तैयार, क्रिप्टो मार्केट में प्रॉफिट बुकिंग
अमेरिका में फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट को लेकर फैसले से पहले क्रिप्टो मार्केट में कुछ बिकवाली हुई। मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin का प्राइस लगभग 0.08 प्रतिशत गिरकर इंटरनेशनल एक्सचेंजों पर 20,500 डॉलर के निकट रहा। CoinDCX जैसे भारतीय एक्सचेंजों पर यह मंगलवार के समान 21,651 डॉलर पर था।
CoinMarketCap, Coinbase और Binance जैसे इंटरनेशनल एक्सचेंजों पर बिटकॉइन में मामूली गिरावट थी और इसका प्राइस 20,483 डॉलर पर था। पिछले सप्ताह बुधवार की तुलना में इसकी वैल्यू लगभग 1.9 प्रतिशत अधिक है। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether में पिछले सप्ताह तेजी रही थी। इसका प्राइस पिछले एक दिन में बिटकॉइन की तरह लगभग 0.08 प्रतिशत घटा है। भारतीय एक्सचेंजों पर इसके प्राइस में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह लगभग 1,655 डॉलर पर था। Ethereum ब्लॉकचेन के एनर्जी एफिशिएंट ‘Merge’ अपग्रेड के लॉन्च से ट्रांजैक्शंस में तेजी आई है और एनर्जी की खपत में कमी हुई है। इस अपग्रेड में Ethereum के डिवेलपर्स ने इसके माइनिंग प्रोटोकॉल की प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) सिस्टम से प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) पर दोबारा कोडिंग की है। इस ब्लॉकचेन पर 100 अरब डॉलर से अधिक के डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) ऐप्स को सपोर्ट मिलता है और इस वजह से अपग्रेड को लेकर सतर्कता बरती गई है।
Gadgets 360 के क्रिप्टोकरेंसी प्राइस ट्रैकर से पता चलता है कि पिछले एक दिन में ज्यादातर ऑल्टकॉइन्स में गिरावट आई है। Cardano, Solana, Polygon, Avalanche, BNB, TRON और Chainlink के प्राइस में मामूली कमी हुई। हालांकि, Monero में कुछ तेजी आई है। मीम कॉइन्स में Dogecoin का प्राइस 5.2 प्रतिशत से अधिक गिरकर लगभग 0.14 डॉलर और Shiba Inu का 4.89 प्रतिशत घटकर 0.000012 डॉलर पर था। पिछले एक दिन में क्रिप्टो का ग्लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन 0.96 प्रतिशत घटा है।
पिछले वर्ष नवंबर में बिटकॉइन ने 67,000 डॉलर से अधिक का हाई बनाया था। इसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है। इसका प्राइस गिरने से बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स के साथ ही इस सेगमेंट से जुड़ी फर्मों को भी बड़ा नुकसान हुआ है। बहुत से देशों में रेगुलेटर्स ने भी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इनवेस्टर्स को चेतावनी दी है। इससे भी मार्केट पर प्रेशर बढ़ा है। चीन ने पिछले वर्ष क्रिप्टो से जुड़ी ट्रांजैक्शंस के साथ ही बिटकॉइन की माइनिंग पर भी पाबंदी लगा दी थी। अमेरिका सहित कुछ देशों में बिटकॉइन माइनिंग में इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत का विरोध हो रहा है।
खुदरा महंगाई दर से राहत, अक्टूबर में 7.41 फीसदी से घटकर 6.77 फीसदी पर पहुंची
LagatarDesk : महंगाई से जूझ रहे लोगों के लिए थोड़ी राहत भरी खबर है. थोक महंगाई दर के बाद खुदरा महंगाई दर भी घटी है. अक्टबूर में खुदरा महंगाई दर 3 महीने के निचले स्तर 6.77 फीसदी पर आ गयी. इससे पहले सितंबर में महंगाई दर 7.41 फीसदी रही थी. हालांकि अक्टूबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.48 फीसदी रही थी. इस तरह पिछले साल की तुलना में महंगाई दर 2.29 फीसदी अधिक है. वहीं सिंतबर माह की तुलना में महंगाई दर 0.64 फीसदी घटी है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने आंकड़ा जारी किया है. यह आंकड़ा कंज्यूमर प्राइस इंडेस्क यानी सीपीआई के आधार पर जारी किया गया है. (पढ़ें, झारखंड राज्य समन्वय समिति का गठन, शिबू सोरेन होंगे अध्यक्ष, हर माह होगी बैठक)
खाने-पीने की चीजों के दाम घटने के कारण महंगाई दर घटी
खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण खुदरा महंगाई दर में गिरावट देखी गयी है. यह लगातार दसवां महीना है, जब खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक है. अक्टूबर के लिए खाने की चीजों की महंगाई 7.01 फीसदी रही है, जो पिछले महीने 8.6 फीसदी पर थी. MoSPI के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले सितंबर में खुदरा महंगाई दर 7.41 फीसदी रही थी. वहीं अगस्त में यह 7 फीसदी रही थी. जुलाई में खुदरा मबंहाई दर 6.71 फीसदी, जून में 7.01 फीसदी, मई में 7.04 फीसदी और अप्रैल में 7.79 फीसदी रही थी.
क्या है CPI आधारित महंगाई?
बता दें कि जब हम महंगाई दर की बात करते हैं, तो यहां हम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित महंगाई की बात कर रहे हैं. सीपीआई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं. महंगाई को मापने के लिए, हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आरबीआई अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है. सीपीआई में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जाता है. इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है. एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडेक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या खुदरा महंगाई कहा जाता है.
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19 माह में पहली बार थोक महंगाई दर 10 फीसदी से नीचे आयी
बता दें कि खुदरा महंगाई दर से पहले सरकार ने थोक महंगाई दर का आंकड़ा जारी किया था. अक्टूबर में थोक महंगाई दर 8.39 प्रतिशत रही, जो सितंबर में 10.7 प्रतिशत पर थी. सितंबर महीने में थोक महंगाई जहां डबल डिजिट में रही थी. वहीं अक्टूबर में महंगाई दर घटकर सिंगल डिजिट में आ गयी है. 19 महीने में पहली बार थोक महंगाई दर 10 फीसदी से नीचे आयी है.